नई दिल्ली: केंद्र सरकार सैद्धांतिक तौर पर सशस्त्र सेनाओं से रिटायर कर्मचारियों के लिए 'वन रैंक, वन पेंशन' पॉलिसी पर राजी हो गई है। सरकार से जुड़े एक सूत्र ने एनडीटीवी को यह जानकारी दी। सरकार ने इसके लिए 8,300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की भी व्यवस्था की है।
देश में 20 लाख से भी ज्यादा पूर्व सैन्यकर्मी काफी सालों से इसकी मांग करते रहे हैं। इस स्कीम का फायदा उन सभी सैन्यकर्मियों को मिलेगा जो एक ही पद से रिटायर हुए हैं लेकिन उन्हें पेंशन अलग-अलग मिलती है। फिर चाहे उनके रिटायरमेंट का साल कोई भी रहा हो।
गौरतलब है कि ज्यादातर सैन्यकर्मी तो 60 साल की उम्र से पहले ही रिटायर हो जाते हैं। एक ही रैंक पर 10-15 साल पहले रिटायर हुए सैन्यकर्मियों और हाल-फिलहाल में रिटायर हुए सैन्यकर्मियों की पेंशन में काफी अंतर है। इस अंतर को पाटने की मांग काफी समय से की जा रही थी और इसे लेकर पूर्व सैन्यकर्मी काफी भावुक भी हैं।
2008-2010 के बीच रिटायर हुए सैन्यकर्मियों ने तो कई बार राष्ट्रपति भवन तक मार्च भी किया और अपने वीरता पदक वापस करने की पेशकश भी की थी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 19 मई को तीन देशों के दौरे से लौटने पर उनके साथ अंतिम दौर की बातचीत होगी। कहा जा रहा है कि इस योजना का शुभारंभ मोदी सरकार का एक साल पूरा होने के मौके पर किया जाएगा।
यही नहीं, सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना 1 अप्रैल 2014 से लागू होगी। इसका मतलब यह है कि जिन पूर्व सैन्यकर्मियों को अपने समकक्षों के मुकाबले कम पेंशन मिलती है उन्हें एरियर के रूप में भी एकमुश्त राशि मिलेगी।