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नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस साल अबतक हुए सड़क हादसों में हर दिन औसतन चार लोगों की जान गई है और 21 लोग घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इन आकंड़ों के मुताबिक, एक जनवरी से लेकर 15 मई तक की अवधि के दौरान 2,973 सड़क हादसे हुए हैं जिनमें 579 लोगों की मौत हो चुकी है। विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) मुक्तेश चंदर ने कहा, 'घातक दुर्घटनाएं केवल तभी रोकी जा सकती हैं जब हम दुर्घटनाओं को कम कर सकें। यह लोगों पर निर्भर करता है। उन्हें यातायात नियमों का ठीक से पालन करना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु के लिए पीड़ित भी समान रूप से जिम्मेदार हैं।' मुक्तेश चंदर के मुताबिक पैदल यात्री सड़क पार करते समय पैदल पार पथ का इस्तेमाल नहीं करते, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं होती हैं।
उन्होंने कहा, 'सड़क पार करने वाले पैदल यात्रियों के कारण भी यातायात का सुचारू रूप से परिचालन प्रभावित होता है।'
उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस ने अनुशासन लागू करने के लिए 15 मई तक 60,000 चालकों के खिलाफ कार्रवाई की। मुक्तेश ने कहा कि यातायात पुलिस की सिफारिशों पर दिल्ली के परिवहन विभाग ने दो अप्रैल तक लगभग 90 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जिन लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उन्हें दो से अधिक बार खतरनाक रूप से वाहन चलाने का दोषी पाया गया था।
उन्होंने कहा, 'आने वाले समय में हम सड़क सुरक्षा और गतिशीलता के हित में दिल्ली में अनुशासन लागू करने की प्रक्रिया जारी रखेंगे।'
पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर के विभिन्न इलाकों में सिग्लन तोड़ने, शराब पीकर वाहन चलाने और तय सीमा से अधिक रफ्तार में वाहन चलाने के हजारों मामले दर्ज किए जा रहे हैं और यही वह कारण हैं, जिनके कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की जान जा रही है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में कुल 8,623 सड़क हादसे हुए थे, जबकि 2013 में सड़क हादसों की संख्या 7,566 थी। वहीं 2012 में 6,973 और 2011 में 7,280 सड़क हादसे प्रकाश में आए थे। सड़क हादसों के कारण 2014 में 1,629 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2013, 2012 और 2011 में हुए सड़क हादसों में क्रमश: 1778, 1822 और 2047 लोगों की जान गई।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर सड़क हादसे फ्लाईओवर, सिग्नल फ्री क्रॉसिंग और उच्चगति वाले रास्तों में हुए हैं।
मीडिया से बातचीत करने के लिए अधिकृत न होने के कारण एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'फ्लाईओवर के पास दुर्घटना बहुल स्थानों की पहचान की गई है, जिनमें 27 फीसदी स्थान रिंग रोड पर हैं, 17 फीसदी स्थान जीटी करनाल रोड पर हैं, 13 फीसदी स्थान आउटर रिंग रोड पर हैं और छह फीसदी स्थान मथुरा रोड पर हैं।'
अधिकारी ने कहा कि कुछ बस अड्डे और मेट्रो स्टेशनों के पास भी सड़क हादसे होते हैं। अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली यातायात विभाग और परिवहन अधिकारी संयुक्त प्रयासों के जरिए सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए प्रयासरत हैं।'
पूरी दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे ज्यादा (135,000 व्यक्ति प्रतिवर्ष) लोगों की जान जाती है। यहां हर चार मिनट में एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत हो जाती है।
इन आकंड़ों के मुताबिक, एक जनवरी से लेकर 15 मई तक की अवधि के दौरान 2,973 सड़क हादसे हुए हैं जिनमें 579 लोगों की मौत हो चुकी है। विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) मुक्तेश चंदर ने कहा, 'घातक दुर्घटनाएं केवल तभी रोकी जा सकती हैं जब हम दुर्घटनाओं को कम कर सकें। यह लोगों पर निर्भर करता है। उन्हें यातायात नियमों का ठीक से पालन करना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु के लिए पीड़ित भी समान रूप से जिम्मेदार हैं।' मुक्तेश चंदर के मुताबिक पैदल यात्री सड़क पार करते समय पैदल पार पथ का इस्तेमाल नहीं करते, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं होती हैं।
उन्होंने कहा, 'सड़क पार करने वाले पैदल यात्रियों के कारण भी यातायात का सुचारू रूप से परिचालन प्रभावित होता है।'
उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस ने अनुशासन लागू करने के लिए 15 मई तक 60,000 चालकों के खिलाफ कार्रवाई की। मुक्तेश ने कहा कि यातायात पुलिस की सिफारिशों पर दिल्ली के परिवहन विभाग ने दो अप्रैल तक लगभग 90 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जिन लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उन्हें दो से अधिक बार खतरनाक रूप से वाहन चलाने का दोषी पाया गया था।
उन्होंने कहा, 'आने वाले समय में हम सड़क सुरक्षा और गतिशीलता के हित में दिल्ली में अनुशासन लागू करने की प्रक्रिया जारी रखेंगे।'
पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर के विभिन्न इलाकों में सिग्लन तोड़ने, शराब पीकर वाहन चलाने और तय सीमा से अधिक रफ्तार में वाहन चलाने के हजारों मामले दर्ज किए जा रहे हैं और यही वह कारण हैं, जिनके कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की जान जा रही है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में कुल 8,623 सड़क हादसे हुए थे, जबकि 2013 में सड़क हादसों की संख्या 7,566 थी। वहीं 2012 में 6,973 और 2011 में 7,280 सड़क हादसे प्रकाश में आए थे। सड़क हादसों के कारण 2014 में 1,629 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2013, 2012 और 2011 में हुए सड़क हादसों में क्रमश: 1778, 1822 और 2047 लोगों की जान गई।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर सड़क हादसे फ्लाईओवर, सिग्नल फ्री क्रॉसिंग और उच्चगति वाले रास्तों में हुए हैं।
मीडिया से बातचीत करने के लिए अधिकृत न होने के कारण एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'फ्लाईओवर के पास दुर्घटना बहुल स्थानों की पहचान की गई है, जिनमें 27 फीसदी स्थान रिंग रोड पर हैं, 17 फीसदी स्थान जीटी करनाल रोड पर हैं, 13 फीसदी स्थान आउटर रिंग रोड पर हैं और छह फीसदी स्थान मथुरा रोड पर हैं।'
अधिकारी ने कहा कि कुछ बस अड्डे और मेट्रो स्टेशनों के पास भी सड़क हादसे होते हैं। अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली यातायात विभाग और परिवहन अधिकारी संयुक्त प्रयासों के जरिए सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए प्रयासरत हैं।'
पूरी दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे ज्यादा (135,000 व्यक्ति प्रतिवर्ष) लोगों की जान जाती है। यहां हर चार मिनट में एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत हो जाती है।
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