
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
देश के कुछ हिस्सों में गहराते कृषि संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में औसतन हर रोज 34 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
केंद्र सरकार ने आज लोकसभा को सूचित किया कि वर्ष 2013 में जहां 11, 772 किसानों ने आत्महत्या की थी वहीं वर्ष 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 12, 360 तक पहुंच गया। इससे पहले वर्ष 2012 में ऐसे 13, 754 लोगों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी जिन्होंने ‘‘स्वरोजगार कृषि या कृषि’’ को अपना व्यवसाय बताया था।
कृषि राज्य मंत्री मोहनभाई कुंदरिया ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार किसानों द्वारा आत्महत्या करने के प्रमुख कारणों में दिवालियापन, कर्ज, कृषि संबंधी मुद्दे जैसे कि फसल बर्बाद होना, प्राकृतिक आपदाओं के कारण तनाव और उपज को बेचने में विफलता, गरीबी, पारिवारिक समस्याएं, बीमारी और अन्य कारण शामिल थे ।
ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से कुंदरिया ने बताया, वर्ष 2014 में 5650 किसानों और 6710 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
केंद्र सरकार ने आज लोकसभा को सूचित किया कि वर्ष 2013 में जहां 11, 772 किसानों ने आत्महत्या की थी वहीं वर्ष 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 12, 360 तक पहुंच गया। इससे पहले वर्ष 2012 में ऐसे 13, 754 लोगों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी जिन्होंने ‘‘स्वरोजगार कृषि या कृषि’’ को अपना व्यवसाय बताया था।
कृषि राज्य मंत्री मोहनभाई कुंदरिया ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार किसानों द्वारा आत्महत्या करने के प्रमुख कारणों में दिवालियापन, कर्ज, कृषि संबंधी मुद्दे जैसे कि फसल बर्बाद होना, प्राकृतिक आपदाओं के कारण तनाव और उपज को बेचने में विफलता, गरीबी, पारिवारिक समस्याएं, बीमारी और अन्य कारण शामिल थे ।
ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से कुंदरिया ने बताया, वर्ष 2014 में 5650 किसानों और 6710 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
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