पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने जम्मू कश्मीर के नए डोमिसाइल नीति को लेकर बुधवार को केंद्र की आलोचना की. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहले से पीड़ित लोगों का अपमान है, क्योंकि वादे के मुताबिक कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है. उमर ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, '...जब हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान 'कोविड-19' के संक्रमण को फैलने से रोकने पर होना चाहिए, तब सरकार जम्मू कश्मीर में नया डोमिसाइल कानून लेकर आई है. जब हम देखते हैं कि ऐसा कोई भी संरक्षण कानून से नहीं मिल रहा है, जिसका वादा किया गया था, तब यह पहले से लगी चोट को और गंभीर कर देता है.'
Talk about suspect timing. At a time when all our efforts & attention should be focused on the #COVID outbreak the government slips in a new domicile law for J&K. Insult is heaped on injury when we see the law offers none of the protections that had been promised.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 1, 2020
उमर ने कहा कि नया कानून इतना खोखला है कि ''दिल्ली के वरदहस्त प्राप्त' नेता भी इसकी आलोचना करने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा, 'नए कानून के खोखलेपन की कल्पना इसी तथ्य से की जा सकती है कि दिल्ली के इशारे पर बनी नयी पार्टी के वे नेता भी इसकी आलोचना करने पर मजबूर हैं, जो इस कानून के लिए दिल्ली में लॉबिंग कर रहे थे.' उमर का इशारा 'जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी' के संस्थापक अल्ताफ बुखारी द्वारा अधिवास कानून की आलोचना किये जाने की ओर था. गौरतलब है कि सरकार ने बुधवार को एक गजट अधिसूचना जारी कर जम्मू कश्मीर के 138 अधिनियमों में कुछ संशोधन करने की घोषणा की. इनमें ग्रुप-4 तक की नौकरियां सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासियों के लिए संरक्षित रखना भी शामिल है.
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उधर, जेकेएपी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने आरोप लगाया है कि केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास कानून पर बुधवार को जारी केंद्र का आदेश पूर्ववर्ती राज्य के लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कवायद के अलावा और कुछ नहीं है. बुखारी ने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा जारी आदेश है इसलिए जम्मू कश्मीर के लिए अधिवास कानून के संबंध में नयी राजपत्रित अधिसूचना को न्यायिक समीक्षा से छूट नहीं है. उन्होंने कहा, 'एक ओर जहां जेकेएपी जम्मू कश्मीर के लोगों को जमीन और नौकरी के अधिकार के लिए मांग करती रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश इस बात का परिचायक है कि यह राज्य के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखे बिना, नौकरशाही के स्तर पर किया गया आकस्मिक फैसला है.'
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