
करीब आठ महीनों की हिरासत के बाद रिहा हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने लॉकडाउन में चिंता दूर करने के कुछ "टिप्स" दिए हैं. उनकी यह सलाह ट्वीट के रूप में आ रही है. इसे लेकर वह 24 मार्च से ट्वीट कर रहे हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- "यदि कोई क्वारंटाइन या लॉकडाउन में जिंदगी जीने के लिए टिप्स चाहता है तो मेरे पास कई महीनों का अनुभव है. शायद इस पर एक ब्लॉग लिखा जा सके."
कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च से देशभर में लॉकडाउन का आह्वान किया है. इसी सिलसिले में उमर अबदुल्ला ने अपने एक ट्वीट में कहा, "ताजी हवा वास्तव में इसमें मदद करती है- एक खुली खिड़की से गहरी सांस लीजिए."
जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने से कुछ समय पहले 4 और 5 अगस्त की दरमियानी रात में उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था. उन्हें 24 मार्च को रिहा कर दिया गया. इससे पहले उनके पिता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की रिहाई हुई थी.
On a lighter note if anyone wants tips on surviving quarantine or a lock down I have months of experience at my disposal, perhaps a blog is in order.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 24, 2020
उन्होंने लोगों को एक रूटीन बनाने और उस पर कायम रहने की कोशिश करने की सलाह दी है. अब्दुल्ला ने कहा, "हिरासत के दौरान, मैं HNSJ (हरि निवास उप जेल) में था. इस दौरान, मैं रूटीन पर कायम रहा. इस रूटीन ने मुझे कुछ करने का उद्देश्य दिया और मैंने लक्ष्यहीन होना महसूस करना बंद कर दिया."
उन्होंने कहा, "एक्सरसाइज, एक्सरसाइज, एक्सरसाइज. मैं इस पर ज्यादा जोर नहीं देता हूं..." उन्होंने आगे कहा कि कई सारे मोबाइल एप चिंता या डर से निपटने में मदद करते हैं. वरना सिर्फ कुछ सॉफ्ट म्यूजिक सुनना और गहरी सांसे लेने से भी काफी मदद मिल सकती है."
Day 5 by now anxiety is a major problem. I never thought I'd feel claustrophobic or trapped in an open room but there were times I felt the same way as I remember feeling while being inserted in to a MRI machine. Fresh air really helped - deep breaths near an open window. 7/n
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 29, 2020
रविवार को किए अपने ट्वीट अब्दुल्ला ने कहा, "पांचवा दिन, अब चिंता एक बड़ी समस्या है. मैंने कभी एक बंद जगह में भय महसूस नहीं किया और ना ही ये फील किया कि एक खुले कमरे में फंसा हुआ हूं, लेकिन कई बार मैंने इस तरह महसूस किया जैसे मुझे एमआरआई मशीन में डाला गया हो. एक खुली खिड़की के पास गहरी सांसें लेने में ताजी हवा ने वास्तव में मदद की."