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This Article is From Jan 06, 2017

साधारण नैन नक्श वाले ओमपुरी को कॉमेडी करने के लिए कभी जोकर नहीं बनना पड़ा, एक नजर उनकी चर्चित फिल्मों पर

साधारण नैन नक्श वाले ओमपुरी को कॉमेडी करने के लिए कभी जोकर नहीं बनना पड़ा, एक नजर उनकी चर्चित फिल्मों पर
ओम पुरी....
Quick Take
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अपने हाव-भाव और आवाज के जरिए करते थे कॉमेडी
स्टार नहीं बड़े अभिनेता थे ओमपुरी
ओमपुरी के निधन से शोक की लहर
नई दिल्ली: साधारण से दिखने वाले वाले ओमपुरी ने अपने अभिनय के बल पर बॉलीवुड में जगह बनाई.  उन्होंने ब्रिटिश और अमेरिकी सिनेमा में योगदान दिया था. मुंबई में आज दिल का दौरा पड़ने से ओमपुरी का निधन हो गया.

सलमान स्टारर ट्यूबलाइट में आने वाले थे नजर
ओमपुरी जल्द ही सलमान खान स्टारर 'ट्यूबलाइट' में भी नजर आने वाले थे. कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान नाटक में हिस्सा लेने के चलते उनकी मुलाकात पंजाबी थियेटर से जुड़े हरपाल तिवाना से हुई और इसके बाद तो जैसे उन्हें उनकी मंजिल ही मिल गई

1980 में रिलीज 'आक्रोश' ने बनाई पहचान
ओमपुरी का जन्म अंबाला में 18 अक्टूबर 1950 में हुई थी. उनका पूरा नाम ओम राजेश पुरी है. वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं. शुरुआती शिक्षा उन्होंने पंजाब के पटियाला से ली थी. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी. इसके बाद उन्होंने निजी थिएटर ग्रुप माजमा की स्थापना की थी. ओम पुरी ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से की थी. 1980 में रिलीज 'आक्रोश' उनकी पहली हिट फिल्म थी.

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चेहरे से बड़े रुखे लगते थे
फिल्म समीक्षक दीपक दुआ ने बताया कि वह चहरे से बड़े रुखे लगते थे, लेकिन हंसोड़ किस्म के इंसान थे. जैसे ही बातचीत शुरू होती थी तो हंसी-मजाक करते थे. उन्होंने बुलंदशहर का एक किस्सा याद करते हुए बताया कि वह उनसे आखिरी बार 'मिस तनकपुर हाजिर हो' के सेट पर मिले थे. उन्हें देरी हो रही थी. उन्होंने फिल्म डायरेक्टर से कहा कि मैं तुम्हें डांटना चाहता हूं या जल्दी से मेरा शूट ले लो.

कॉमेडी करने के लिए जोकर बनने की जरूरत नहीं पड़ी
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्हें कॉमेडी करने के लिए जोकर बनने की जरूरत नहीं पड़ी जैसा कि अन्य अभिनेताओं को पड़ती है. वे अपनी भाव-भंगिमाओं से, अपनी आवाज से ही कॉमेडी कर लेते थे.' जाने भी दो यारों', 'चुपके-चुपके', 'मालामाल विकली', 'चाची 420', 'आवारा पागल दीवाना', 'सिंग इज किंग', 'दुल्हन हम ले जाएंगे', 'बिल्लू चोर मचाए शोर' और 'हेरा-फेरी' सरीखी में साफ देखा जा सकता है.

कई पीढ़ियों को सिखाया अभिनय
वहीं 'आक्रोश', 'माचिस', 'अर्द्धसत्य', 'आरोहण' मंडी, मिर्च-मसाला, और 'गांधी' सरीखी फिल्मों ने उन्हें गंभीर अभिनेता के तौर पर पहचान दिलाई. कहना गलत न होगा कि वह एक स्टार नहीं, एक बड़े अभिनेता थे, जिन्होंने बॉलीवुड में कई पीढ़ियों को अभिनय  करना सिखाया.

ओमपुरी की चर्चित फिल्मों पर एक नजर
ओम पुरी ने अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यूं आता है (1980), आक्रोश (1980), गांधी (1982), विजेता (1982), आरोहण (1982), अर्धसत्य (1983), नासूर (1985), घायल (1990), नरसिम्हा (1991), सिटी ऑफ जॉय (1992), द घोस्ट एंड द डार्कनेस (1996), माचिस (1996), चाची 420 (1997), गुप्त: द हिडन ट्रुथ (1997), मृत्युदंड (1997), प्यार तो होना ही था (1998), विनाशक – डिस्ट्रॉयर (1998), हे राम (2000), कुंवारा (2000), हेरा फेरी (2000), दुल्हन हम ले जाएंगे (2000), फर्ज (2001), गदर: एक प्रेम कथा (2001), आवारा पागल दीवाना (2002), चोर मचाये शोर (2002), मकबूल (2003), आन: मेन एट वर्क (2004), लक्ष्य (2004), युवा (2004), देव (2004), दीवाने हुए पागल (2005), रंग दे बसंती (2006), मालामाल वीकली (2006), चुप चुप के (2006), डॉन: द चेस बैगिन्स अगेन (2006), फूल एंड फाइनल (2007), मेरे बाप पहले आप (2008), किस्मत कनेक्शन (2008), सिंग इज किंग (2008), बिल्लू (2009), लंदन ड्रीम्स (2009), कुर्बान (2009), दिल्ली-6 (2009), दबंग (2010), डॉन 2: द किंग इज बैक (2011), अग्निपथ (2012), ओएमजी: ओह माय गॉड! (2012), कमाल धमाल मालामाल (2012), बजरंगी भाईजान (2015), मिस तनकपुर हाजिर हो (2015), घायल वन्स अगेन (2016), द जंगल बुक (2016) और एक्टर इन लॉ (2016).

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