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This Article is From May 25, 2019

मोदी लहर के बावजूद ओडिशा में बीजेपी को कैसे मात दे दी नवीन पटनायक ने..

ओडिशा के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब कोई राजनेता पांचवी बार मुख्यमंत्री बन रहा, पहली बार कोई पार्टी पांचवी बार सरकार बना रही

मोदी लहर के बावजूद ओडिशा में बीजेपी को कैसे मात दे दी नवीन पटनायक ने..
नवीन पटनायक लगातार पांचवी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.
नई दिल्ली:

Odisha Assembly Elections 2019 : सन 1997 में नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) जब राजनीति में आए थे तब उनके पास कोई अनुभव नहीं था. कई लोगों को लग रहा था कि नवीन राजनीति में सफल नहीं होंगे और पिता की विरासत को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे, लेकिन नवीन पटनायक ने सबको झूठा साबित किया.  2014 में ,पूरी देश में जब मोदी लहर चल रही थी तब नवीन पटनायक अपने राज्य में बीजेपी को रोकने में कामयाब रहे थे. इस बार ओडिशा में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नवीन की बीजू जनता दल ने शानदार जीत हासिल की है. ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक इतिहास बनाने जा रहे हैं. नवीन ओडिशा के पहले ऐसे राजनेता हैं जो पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ओडिशा के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब कोई राजनेता पांचवी बार मुख्यमंत्री बन रहा है. यह पहली बार भी हो रहा है जब किसी पार्टी ने लगातार पांचवी बार जीत हासिल की है.

नवीन पटनायक की सोशल स्कीम
राज्य हुए विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल को इस बार 112 सीट मिली हैं. सरकार बनाने के लिए नवीन को सिर्फ 74 सीटों की जरूरत थी. इस बार नवीन पटनायक के लिए जीतना इतना आसान नहीं था..  एक तरफ नवीन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही थी तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी नवीन के लिए रास्ते का रोड़ा बनती जा रही थी. साल 2017 में हुए पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने काफी शानदार प्रदर्शन भी किया था. चुनाव से पहले अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए नवीन कई सोशल स्कीम लेकर आए. किसानों के लिए कालिआ स्कीम लाए तो महिलाओं के लिए बीजू स्वास्थ्य योजना. इन स्कीमों के साथ-साथ नवीन पटनायक गरीब परिवारों को एक रुपये में 15 किलो चावल भी देते हैं. गरीबों के लिए इन स्कीमों ने नवीन को लोकप्रियता बढ़ाने में मदद की.

नवीन पटनायक का राजनैतिक सफर
नवीन पटनायक का राजनैतिक सफर काफी दिलचस्प रहा. राजनीति से प्यार न करने वाले नवीन इतने बड़े राजनेता बन जाएंगे किसी को उम्मीद नहीं थी. सन 1997 में जब बीजू पटनायक की मौत हुई तब नवीन पटनायक का राजनीति में कोई अनुभव नहीं था. नवीन राजनीति में आना भी नहीं चाहते थे लेकिन काफी समझाने के बाद नवीन बीजू पटनायक की विरासत को बढ़ाने के लिए तैयार हो गए. सन 1997 में नवीन पटनायक आस्का लोकसभा क्षेत्र से उप चनाव लड़े और जीत हासिल की. जीत के बाद नवीन पटनायक को अटल बिहारी सरकार में केंद्र में मंत्री पद भी दिया गया. दिसंबर 1997 में नवीन पटनायक ने बीजू जनता दल का गठन किया.

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बीजू जनता दल का गठन
साल 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार ओडिशा में बीजद और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ. 147 सीटों में से बीजद ने 68 सीटें जीतीं और नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ओडिशा के मुख्यमंत्री बने. 2004 में भी बीजद और बीजेपी के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन हुआ. एक बार फिर गठबंधन को बहुमत मिला और नवीन (Naveen Patnaik) मुख्यमंत्री बने.  इस चुनाव में बीजद को 61 विधानसभा सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी के खाते में 32 सीटें गईं. लोकसभा सीटों की बात करें तो 21 में से 11 सीटों पर बीजद ने कब्जा जमाया, जबकि सात सीटें बीजेपी को मिलीं.

जब बीजेपी से गठबंधन टूटा
हालांकि 2009 में बीजद और बीजेपी के बीच गठबंधन नहीं बन पाया. दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस चुनाव में बीजद ने शानदार प्रदर्शन किया. 147 विधानसभा सीटों में से 103 पर जीत हासिल की. जबकि बीजेपी सिर्फ 6 विधानसभा सीटों पर सिमट गई. वहीं लोकसभा में बीजद को 14 सीटें मिलीं,  जबकि बीजेपी को कोई भी सीट नहीं मिल पाई. कांग्रेस ने जरूर छह सीटों पर जीत हासिल की. 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी बीजद ने शानदार प्रदर्शन किया. विधानसभा की 147 सीटों में से बीजद को 117 सीटें मिली थीं, यानी 2009 से 14 सीट ज्यादा. तो वहीं लोकसभा सीटों की बात करें तो 2014 में बीजद ने 21 में से 20 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली थी. यानी चुनाव-दर-चुनाव बीजद और नवीन पटनायक मजबूत होते गए.

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बीजद के वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी
सन 2009 के बाद बीजद के वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2009 से बीजद का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2004 में बीजद को 27.5 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 17.11 प्रतिशत वोट मिले थे. अगर सिर्फ चुनाव लड़ने वाले क्षेत्र की बात की जाए तो बीजद को 47.44 फीसदी वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 40.43 प्रतिशत वोट मिले थे. सन 2009 में बीजद और बीजेपी अलग होकर चुनाव लड़े थे और यह आंकड़े बदल गए. 2009 में बीजद का वोट प्रतिशत 27.5 से बढ़कर 38.86 हो गया. साल 2014 में बीजद का वोट प्रतिशत 38.86 से बढ़कर 43.35 हो गया. बीजेपी को 18 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे.

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इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजद को 44.7 प्रतिशत वोट मिले हैं जो कि 2014 के वोट प्रतिशत में 1.35 प्रतिशत ज्यादा हैं. 2019 में बीजेपी को 32.5 प्रतिशत वोट मिले हैं. यह आंकड़ा साफ करता है कि बीजू जनता दल का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है. 2019 में नवीन पटनायक की यह शानदार जीत साबित करती है कि चाहे कुछ भी हो जाए नवीन के सामने विपक्ष की रणनीति फेल है. अगर ऐसा नहीं होता तो आज ओडिशा में कांग्रेस का इतना बुरा हाल नहीं होता, बीजेपी विपक्ष में नहीं बल्कि सत्ता में होती.

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