यह ख़बर 26 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मेरी सरकार को 'हनीमून पीरियड' के 100 घंटे तक नहीं दिए : पीएम नरेंद्र मोदी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सत्ता में 30 दिन पूरे करने वाली अपनी सरकार के कामकाज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को संतोष प्रकट किया, लेकिन साथ ही माना कि कुछ क्षेत्रों में ''सुधार की गुंजाइश'' है। साथ ही उन्होंने शिकायत की कि पिछली सरकारों की तरह उन्हें ''हनीमून पीरियड'' नहीं मिली और 100 घंटे में ही आलोचनाएं शुरू हो गईं।

उन्होंने कहा कि उनकी पिछली सरकारों को 100 दिन या उससे भी अधिक का ''हनीमून पीरियड'' मिला, लेकिन उनकी सरकार को सत्ता संभाले 100 घंटे भी नहीं हुए थे कि आरोपों के सिलसिले शुरू हो गए और ऐसे ''वाक्ये'' भी हुए, जिनसे सरकार का कुछ लेना-देना नहीं था, फिर भी विवाद बने रहे। उन्होंने हालांकि इन ''आरोपों'' और विवादों का खुलासा नहीं किया।

मोदी ने कुछ क्षेत्रों में सुधार की जरूरत को मानते हुए कहा, ''निश्चित तौर पर मैं महसूस करता हूं कि कई क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनके लिए बड़ी चुनौती चुनिंदा लोगों के एक समूह को यह समझाना है कि देश में सकारात्मक बदलाव लाने के उनके इरादे ईमानदार हैं। और ऐसे लोग ''सरकार की व्यवस्था के भीतर और बाहर'' दोनों जगह हैं।

अपनी सरकार का एक महीना पूरा होने के अवसर पर अपने ब्लॉग में लिखे लेख में उन्होंने इस बात की शिकायत की कि सरकार बनने के फौरन बाद उसकी आलोचनाएं शुरू कर दी गईं। उन्होंने कहा, ''पिछली सरकारों को 100 दिन या उससे भी अधिक समय के 'हनीमून पीरियड' की छूट मिली। यह अप्रत्याशित नहीं है कि मुझे ऐसी छूट नहीं मिली। 100 दिन तो भूल जाइए, आरोपों की बौछार 100 घंटे से भी कम समय में शुरू हो गई।''

उन्होंने कहा, लेकिन जब कोई सिर्फ इस उद्देश्य से काम कर रहा हो कि जी-जान से देश की सेवा करनी है तो ऐसी बातें बेमानी हो जाती हैं। इसीलिए मैं काम में जुटा हूं और यह बहुत संतोषजनक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 जून को उनकी सरकार के 30 दिन पूरे हुए हैं। उन्होंने कहा, ''26 जून की तारीख मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ..आज ही के दिन (1975 में) आपातकाल शुरू हुआ था।'' उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर आपातकाल हमारे इतिहास का सबसे काला समय है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की आजादी पर रोक तथा विपक्ष को खामोश करने की डरावनी याद दिलाता है।

मोदी ने कहा, ''अगर हम भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देते हैं तो हमारा लोकतंत्र जारी नहीं रह पाएगा। आज यह प्रण करने का भी दिन है कि हम अपने मूल्यों को संजोए रखें और साथ ही सुशासन के जरिये ऐसे मजबूत संस्थान बनाएं जिससे हमें फिर कभी वे काले दिन नहीं देखने पड़ें।''

उन्होंने पिछले दिनों उठे कुछ विवादों के संदर्भ में कहा कि ऐसे विवाद हुए जिनका उनकी सरकार से कुछ भी लेना-देना नहीं था। उन्होंने कहा कि किसी पर दोष नहीं लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें सही चीजें सही लोगों तक सही वक्त पर पंहुचे। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि चीजें बदलेंगी।

चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने कहा, एक महीना पहले जब हमने सरकार बनाई थी तो मुझे लगता था कि मैं इस जगह पर नया हूं और कुछ लोगों का मानना था कि केन्द्र सरकार के कार्य की जटिलता को सीखने में मुझे कम से कम एक या दो साल लगेंगे। लेकिन सौभाग्य से एक महीने बाद मेरे मन में अब ऐसे विचार नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि उनका विश्वास काफी बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि उनमें आए इस विश्वास का श्रेय उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के अनुभव और विवेक तथा खुद उनके चार बार मुख्यमंत्री रहने के अनुभवों को जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 67 साल की सरकारों की तुलना में उनकी सरकार का एक महीना कुछ भी नहीं है, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि इस एक महीने में, हमारी पूरी टीम ने अपना हर पल जनता के कल्याण के लिए समर्पित किया। हमारा हर निर्णय केवल राष्ट्रहित को ध्यान में रख कर लिया गया।

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मोदी ने कहा, ''सरकार के एक महीना पूरा होने पर मैं एक बार फिर जबर्दस्त समर्थन और सद्भावना के लिए भारत की जनता को सलाम करता हूं। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि आने वाले दिनों में हम भारत को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''
उन्होंने कहा कि इस एक महीने के दौरान कई राज्यों के मुख्यमंत्री उनसे मिले और उन्होंने शुभकामनाएं देने के साथ अपने प्रदेश से संबंधित मुद्दों को रखा। ''आने वाले दिनों में मैं उनके साथ नजदीकी सहयोग से कार्य करने की राह देख रहा हूं।''