
लखनऊ:
नोएडा में आवंटित की गई करीब डेढ सौ फार्म हाउस की जमीन के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है। अब यूपी सरकार ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं। इस जांच की रिपोर्ट को एक हप्ते में सौंपा जाएगा।
बात नोएडा के मंगरौली गांव की है। तीन साल पहले तक इस गांव खेतों में किसान चमनलाल की जमीनें थी और फसल लहराती थी। लेकिन 2009 में सरकार ने बिना नोटिस दिये इन खेतों को अपने अधिकार में ले लिया।
बाद में यह ज़मीन फार्म हाउस बनाने के लिए कौड़ियों के दाम दे दी गई। ज़मीन का मुआवज़ा चमनलाल को आज तक नहीं मिला। अब चमनलाल खुश हैं कि अब इस मामले की जांच होगी।
जाने−माने वकील शांति भूषण और उनके बेटे जयंत भूषण को इसी गांव की ज़मीन पर फार्म हाउस बनाने के लिये 10हजार वगर्मीटर के दो प्लॉट दिये गये। शांति भूषण ने एनडीटीवी से कहा कि गलती सरकार की है अगर एलॉटमेंट कैंसिल होते हैं तो वो इसके लिए तैयार हैं। लेकिन किसान कहते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।
मायावती की सरकार ने 2009 में यमुना के आसपास करीब 12 गांवों की ज़मीन इमरजेंसी क्लॉज़ लगाकर अधिग्रहीत की और फिर उसे 150 फार्म हाउस के लिए एलॉट कर दिया। ये ज़मीन 29 लोगों और 120 कंपनियों को एग्रीकल्चर फार्म हाउस बनाने के लिये दी गई। जानकारी के मुताबिक किसानों को ज़मीन के बदले में 1100 रुपये प्रति वगर्मीटर देने का वादा किया गया। लेकिन फार्म हाउस के लिये यह ज़मीन 3100 रुपये वगर्मीटर के हिसाब से बेची गई। जबकि उस समय आसपास की कारोबारी ज़मीन 40000 रुपये वगर्मीटर थी।
शुरुआती जांच में पता चला कि इससे सरकारी खज़ाने को तकरीबन 150 करोड़ का चूना लगा।
इन फार्म हाउसों में से कुछ में कंसट्रक्शन चल रहा है और कुछ फिलहाल खाली पड़े हैं। कायदे से फार्म हाउसों में सिर्फ 10 फीसदी कंसट्रक्शन किया जा सकता था बाकी खेती के लिये खाली रहनी चाहिए। लेकिन फार्म हाउस देखकर साफ पता चलता है कि इनका खेती से दूर−दूर तक कोई लेना देना नहीं है।
बात नोएडा के मंगरौली गांव की है। तीन साल पहले तक इस गांव खेतों में किसान चमनलाल की जमीनें थी और फसल लहराती थी। लेकिन 2009 में सरकार ने बिना नोटिस दिये इन खेतों को अपने अधिकार में ले लिया।
बाद में यह ज़मीन फार्म हाउस बनाने के लिए कौड़ियों के दाम दे दी गई। ज़मीन का मुआवज़ा चमनलाल को आज तक नहीं मिला। अब चमनलाल खुश हैं कि अब इस मामले की जांच होगी।
जाने−माने वकील शांति भूषण और उनके बेटे जयंत भूषण को इसी गांव की ज़मीन पर फार्म हाउस बनाने के लिये 10हजार वगर्मीटर के दो प्लॉट दिये गये। शांति भूषण ने एनडीटीवी से कहा कि गलती सरकार की है अगर एलॉटमेंट कैंसिल होते हैं तो वो इसके लिए तैयार हैं। लेकिन किसान कहते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।
मायावती की सरकार ने 2009 में यमुना के आसपास करीब 12 गांवों की ज़मीन इमरजेंसी क्लॉज़ लगाकर अधिग्रहीत की और फिर उसे 150 फार्म हाउस के लिए एलॉट कर दिया। ये ज़मीन 29 लोगों और 120 कंपनियों को एग्रीकल्चर फार्म हाउस बनाने के लिये दी गई। जानकारी के मुताबिक किसानों को ज़मीन के बदले में 1100 रुपये प्रति वगर्मीटर देने का वादा किया गया। लेकिन फार्म हाउस के लिये यह ज़मीन 3100 रुपये वगर्मीटर के हिसाब से बेची गई। जबकि उस समय आसपास की कारोबारी ज़मीन 40000 रुपये वगर्मीटर थी।
शुरुआती जांच में पता चला कि इससे सरकारी खज़ाने को तकरीबन 150 करोड़ का चूना लगा।
इन फार्म हाउसों में से कुछ में कंसट्रक्शन चल रहा है और कुछ फिलहाल खाली पड़े हैं। कायदे से फार्म हाउसों में सिर्फ 10 फीसदी कंसट्रक्शन किया जा सकता था बाकी खेती के लिये खाली रहनी चाहिए। लेकिन फार्म हाउस देखकर साफ पता चलता है कि इनका खेती से दूर−दूर तक कोई लेना देना नहीं है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Mayawati Govenment Scam, Farm House Scam, Noida Farm House Scam, मायावती सरकार का घोटाला, फार्म हाउस घोटाला, नोएडा का फार्म हाउस घोटाला