नई दिल्ली:
DND टोल फ्री करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया है. इस पर कोर्ट दिवाली के बाद फैसला लेगा.कोर्ट ने यह भी कहा कि यह तय करेंगे कि क्या CAG या किसी स्वतंत्र एजेंसी से इस मामले की जांच कराई जाए.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि 10 किलोमीटर की सड़क को ऐसे बता रहे हैं, जैसे चांद तक की सड़क बनाई हो.
कोर्ट ने कहा कि लोगों को इसलिए टोल देने को नहीं कह सकते कि वह फंड में जमा हो. कंपनी की दलील थी कि फिलहाल टोल वसूलने दें, यह फैसला आने तक फंड में जमा कर देंगे. फिलहाल जिन लोगों ने DND का पास बनवा लिया था उनका पैसा वापस दिया जा रहा है, लेकिन इक्का-दुक्का लोग ही पैसा वापस लेने आ रहे हैं. RFID कार्ड का चार्ज 1500 प्रीपेड, गोल्ड कार्ड चार हजार रुपए, सिल्वर कार्ड चार सौ पचास रुपए का है. सब प्रीपेड हैं. जो पैसे वापस लेना चाहते हैं उन्हें पैसा बैंक अकाउंट के जरिए वापस दिया जा रहा है.नया कार्ड बनाना डीएनडी ने बंद कर दिया है.
वहीं कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को भी फटकार लगाई है और कहा है कि आप लोगों के साथ हैं या टोल कंपनी के साथ? लगता है कि अथॉरिटी इस मामले में गंभीर नहीं है.
कंपनी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट 1991-92 का है जब कंपनियां देश में आने को तैयार नहीं थीं. 1997 में MOU साइन हुआ. 2001 में यह शुरू हुआ. पिछले छह साल से कंपनी घाटे में चल रही है. शर्त के मुताबिक, 20 फीसदी सालाना इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न यानी IRR मिलना चाहिए या यह कॉन्ट्रेक्ट 30 साल चलेगा. हम इसकी जांच CAG या किसी एजेंसी से कराने को तैयार हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए दिल्ली-नोएडा डीएनडी फ्लाई ओवर को टोल-फ्री करने का आदेश दिया था. टोल वसूली के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर यह फैसला आया. इस मामले में कई संगठनों ने प्रदर्शन किया था और कोर्ट में याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि डीएनडी से हर दिन दो लाख गाड़िया गुजरती हैं. फरवरी 2001 से यह फ्लाईओवर शुरू हुआ था. संगठनों का आरोप था कि 2000 करोड़ से ज्यादा की वसूली हुई है. इस दौरान टोल टैक्स बढ़कर करीब पांच गुना हुआ. अदालत ने लंबी बहस के बाद 8 अगस्त को निर्णय सुरक्षित कर लिया था. फ्लाई-वे बनाने का खर्च 407 करोड़ आया. संविदा की तय शर्तों के अनुसार कंपनी 2001 से टोल वसूली कर रही है और लागत बढ़कर पांच हजार करोड़ हो गई है.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि 10 किलोमीटर की सड़क को ऐसे बता रहे हैं, जैसे चांद तक की सड़क बनाई हो.
कोर्ट ने कहा कि लोगों को इसलिए टोल देने को नहीं कह सकते कि वह फंड में जमा हो. कंपनी की दलील थी कि फिलहाल टोल वसूलने दें, यह फैसला आने तक फंड में जमा कर देंगे. फिलहाल जिन लोगों ने DND का पास बनवा लिया था उनका पैसा वापस दिया जा रहा है, लेकिन इक्का-दुक्का लोग ही पैसा वापस लेने आ रहे हैं. RFID कार्ड का चार्ज 1500 प्रीपेड, गोल्ड कार्ड चार हजार रुपए, सिल्वर कार्ड चार सौ पचास रुपए का है. सब प्रीपेड हैं. जो पैसे वापस लेना चाहते हैं उन्हें पैसा बैंक अकाउंट के जरिए वापस दिया जा रहा है.नया कार्ड बनाना डीएनडी ने बंद कर दिया है.
वहीं कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को भी फटकार लगाई है और कहा है कि आप लोगों के साथ हैं या टोल कंपनी के साथ? लगता है कि अथॉरिटी इस मामले में गंभीर नहीं है.
कंपनी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट 1991-92 का है जब कंपनियां देश में आने को तैयार नहीं थीं. 1997 में MOU साइन हुआ. 2001 में यह शुरू हुआ. पिछले छह साल से कंपनी घाटे में चल रही है. शर्त के मुताबिक, 20 फीसदी सालाना इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न यानी IRR मिलना चाहिए या यह कॉन्ट्रेक्ट 30 साल चलेगा. हम इसकी जांच CAG या किसी एजेंसी से कराने को तैयार हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए दिल्ली-नोएडा डीएनडी फ्लाई ओवर को टोल-फ्री करने का आदेश दिया था. टोल वसूली के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर यह फैसला आया. इस मामले में कई संगठनों ने प्रदर्शन किया था और कोर्ट में याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि डीएनडी से हर दिन दो लाख गाड़िया गुजरती हैं. फरवरी 2001 से यह फ्लाईओवर शुरू हुआ था. संगठनों का आरोप था कि 2000 करोड़ से ज्यादा की वसूली हुई है. इस दौरान टोल टैक्स बढ़कर करीब पांच गुना हुआ. अदालत ने लंबी बहस के बाद 8 अगस्त को निर्णय सुरक्षित कर लिया था. फ्लाई-वे बनाने का खर्च 407 करोड़ आया. संविदा की तय शर्तों के अनुसार कंपनी 2001 से टोल वसूली कर रही है और लागत बढ़कर पांच हजार करोड़ हो गई है.