कई नामचीन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी भारत में भी कोरोना वैक्सीन (COVID-19 vaccine) की बूस्टर डोज (Booster Dose) देने की सिफारिश की है, जिन्हें दो खुराक दी जा चुकी हैं. खासतौर पर उन लोगों को, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी हो या हेल्थ केयर वर्कर (healthcare workers). लेकिन सरकार के सूत्रों ने फिलहाल ऐसी किसी कवायद से इनकार किया है. सरकार फिलहाल सभी वयस्कों का टीकाकरण पूरा करने के लिए हर घर दस्तक (Har Ghar Dastak) अभियान पर जोर दे रही है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा है कि फिलहाल भारत में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज दिए जाने की आवश्यकता को लेकर कोई वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. एएनआई से बातचीत में डॉ. पांडा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को जरूरी सलाह दी जाती है और एनटीएजीआई भी इस पर परामर्श देता है. लेकिन इसको लेकर अब तक कोई नीतिगत फैसला नहीं हुआ है और न ही कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध कराया गया है.
पांडा ने कहा कि उनकी राय में पहले देश की 80 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का लक्ष्य पूरा किया जाना चाहिए. 80 प्रतिशत का लक्ष्य ही स्वास्थ्य क्षेत्र की प्राथमिकता होनी चाहिए. ऐसे में बूस्टर डोज की जगह टीकाकरण (vaccination)अभियान पर ही जोर दिया जाना बेहतर है.पांडा का कहना है कि वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट दूर करने पर काम करना जरूरी है. अगर हम बीच में ही बूस्टर डोज शुरू कर देते हैं तो टीकाकरण के मूल अभियान पर असर पड़ सकता है.
एशियन सोसायटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डा. तामोरिस कोले ने कहा कि जब हम कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक की बात करते हैं तो हमें कम इम्यूनिटी स्तर वाले लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसमें कैंसर मरीजों, अंग प्रत्यारोपण कराने वाले और ऐसे ही अन्य गंभीर रोगियों पर फोकस करना चाहिए.
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