यह ख़बर 24 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

क्या फर्क पड़ता है कि राजेश खन्ना जिंदा हैं या नहीं : काटजू

खास बातें

  • भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कन्डेय काटजू ने टीवी चैनलों पर अर्थव्यवस्था, गरीबी, बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्या जैसे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए फिल्मी सितारों, क्रिकेट, ज्योतिष का ‘अत्यधिक’ कवरेज किए जान
बेंगलुरू:

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कन्डेय काटजू ने टीवी चैनलों पर अर्थव्यवस्था, गरीबी, बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्या जैसे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए फिल्मी सितारों, क्रिकेट, ज्योतिष का ‘अत्यधिक’ कवरेज किए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की।

अखिल भारतीय छोटे एवं मध्यम समाचारपत्र संघ (ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन) द्वारा आयोजित सम्मेलन ‘मीडिया एंड इट्स रिस्पॉन्सिबिलिटीज’ में काटजू ने अफसोस जाहिर किया कि समाचार चैनल जिन विषयों पर जोर देते हैं वह क्रिकेट, ज्योतिष या फिल्म से जुड़े होते हैं और ऐसे होते हैं जैसे कौन सी अभिनेत्री गर्भवती है और किसने बच्चे को जन्म दिया आदि। उन्होंने कहा कि जब क्रिकेट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने खेल से सन्यास लेने की घोषणा की और जब अभिनेता राजेश खन्ना का निधन हुआ तब कुछ चैनलों ने इन खबरों को किस हद तक ‘‘हाइपर मीडिया’’ कवरेज दिया।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

काटजू ने कहा ‘क्या फर्क पड़ता है कि राजेश खन्ना जिंदा हैं या नहीं रहे।’ उन्होंने निराशा जाहिर की कि गरीबी, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को समाचारों में अपेक्षित महत्व नहीं मिलता।