तीन सप्ताह से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं जयललिता. (फाइल फोटो)
चेन्नई:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता तीन सप्ताह से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन पिछले सात दिनों में अस्पताल और उनकी पार्टी की तरफ से उनके स्वास्थ्य के संबंध में कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई है. इस बीच पुलिस के साइबर सेल ने आम लोगों के सोशल मीडिया अपडेट पर कड़ी नज़र रखी है ताकि किसी भी तरह की अफवाह और गलत जानकारी प्रसारित न की जा सके.
जयललिता के स्वास्थ्य के संबंध में अफवाह फैलाने के 50 मामले पुलिस ने अब तक दर्ज किए हैं और आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार लोगों में से दो लोग कोयंबटूर के एक बैंक में काम करते हैं. उन्होंने बैंक में आए एक ग्राहक (जो जयललिता की पार्टी के कार्यकर्ता हैं) से उनकी स्थिति के बारे में पूछा. इसके बाद मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के संबंध में कथित तौर पर बढ़ा-चढ़ा कर बात की.
पुलिस ने लोगों को अफवाह नहीं फैलाने की सख्त हिदायत दी है, पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने कहा, "सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के संबंध में झूठी और दुर्भावनापूर्ण जानकारी प्रसारित न करें. ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी." पुलिस का कहना है कि इस मामले में अधिकतम सात साल की जेल हो सकती है.
जयललिता को बुखार और निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) की शिकायत के बाद 22 सितंबर को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में डॉक्टरों ने कंफर्म किया कि लंग इंफेक्शन की वजह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उनके इलाज के लिए यूके के एक विशेषज्ञ तीन बार चेन्नई आ चुके हैं. दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल के तीन डॉक्टरों की एक टीम भी चेन्नई जाकर जयललिता के स्वास्थ्य का जायज़ा ले चुकी है.
बताया जा रहा है कि राज्यपाल विद्यासागर राव ने सुझाव दिया था कि अफवाहों से बचने के लिए समय-समय पर मुख्यमंत्री की हेल्थ रिपोर्ट जारी की जाए. तमिलनाडु में जयललिता के लाखों समर्थक हैं जो उन्हें 'अम्मा' कहकर बुलाते हैं. उनके संबंध में गलत जानकारी फैलने पर लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं और गुस्से में समर्थक आक्रामक भी हो सकते हैं.
पिछले सप्ताह, जयललिता के विभागों का प्रभार उनके भरोसेमंद ओ पनीरसेल्वम को दे दिया गया. राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने पर ऐसा किया गया है, हालांकि विपक्षी पार्टियों ने राज्यपाल के इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि जयललिता इस स्थिति में नहीं हैं कि किसी भी तरह का फैसला ले सकें.
सत्तासीन एआईएडीएमके पार्टी का कहना है कि जयललिता ठीक हैं और अस्पताल से ही कावेरी जल विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर नज़र रख रही हैं. पार्टी का कहना है कि जयललिता की स्थिति गंभीर नहीं है, हालांकि एक सप्ताह पहले डॉक्टरों ने कहा था कि ठीक होने के लिए जयललिता को लंबे समय तक अस्पताल में रखने की जरूरत है.
जयललिता के स्वास्थ्य के संबंध में अफवाह फैलाने के 50 मामले पुलिस ने अब तक दर्ज किए हैं और आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार लोगों में से दो लोग कोयंबटूर के एक बैंक में काम करते हैं. उन्होंने बैंक में आए एक ग्राहक (जो जयललिता की पार्टी के कार्यकर्ता हैं) से उनकी स्थिति के बारे में पूछा. इसके बाद मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के संबंध में कथित तौर पर बढ़ा-चढ़ा कर बात की.
पुलिस ने लोगों को अफवाह नहीं फैलाने की सख्त हिदायत दी है, पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने कहा, "सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के संबंध में झूठी और दुर्भावनापूर्ण जानकारी प्रसारित न करें. ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी." पुलिस का कहना है कि इस मामले में अधिकतम सात साल की जेल हो सकती है.
जयललिता को बुखार और निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) की शिकायत के बाद 22 सितंबर को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में डॉक्टरों ने कंफर्म किया कि लंग इंफेक्शन की वजह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उनके इलाज के लिए यूके के एक विशेषज्ञ तीन बार चेन्नई आ चुके हैं. दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल के तीन डॉक्टरों की एक टीम भी चेन्नई जाकर जयललिता के स्वास्थ्य का जायज़ा ले चुकी है.
बताया जा रहा है कि राज्यपाल विद्यासागर राव ने सुझाव दिया था कि अफवाहों से बचने के लिए समय-समय पर मुख्यमंत्री की हेल्थ रिपोर्ट जारी की जाए. तमिलनाडु में जयललिता के लाखों समर्थक हैं जो उन्हें 'अम्मा' कहकर बुलाते हैं. उनके संबंध में गलत जानकारी फैलने पर लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं और गुस्से में समर्थक आक्रामक भी हो सकते हैं.
पिछले सप्ताह, जयललिता के विभागों का प्रभार उनके भरोसेमंद ओ पनीरसेल्वम को दे दिया गया. राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने पर ऐसा किया गया है, हालांकि विपक्षी पार्टियों ने राज्यपाल के इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि जयललिता इस स्थिति में नहीं हैं कि किसी भी तरह का फैसला ले सकें.
सत्तासीन एआईएडीएमके पार्टी का कहना है कि जयललिता ठीक हैं और अस्पताल से ही कावेरी जल विवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर नज़र रख रही हैं. पार्टी का कहना है कि जयललिता की स्थिति गंभीर नहीं है, हालांकि एक सप्ताह पहले डॉक्टरों ने कहा था कि ठीक होने के लिए जयललिता को लंबे समय तक अस्पताल में रखने की जरूरत है.
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