पटना:
बिहार में पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के मकसद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को रक्षा बंधन के मौके पर राजधानी वाटिका में आयोजित वृक्ष सुरक्षा दिवस के कार्यक्रम में एक पेड़ को रक्षा सूत्र में बांधा. इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मंत्री 27 वर्षीय तेजप्रताप यादव ने किया था, लेकिन वे इसमें नदारद दिखे.
आरजेडी प्रमुख के बेटे तेजप्रताप अपने घर के पास टहलते देखे गए, हालांकि उनसे जुड़े करीबी सूत्रों का कहना था कि तबियत ठीक ना होने की वजह से वह इस समारोह में शरीक नहीं हो सके.
वैसे भी अहम सरकारी कार्यक्रमों में तेजप्रताप के शामिल होने के रिकॉर्ड को अच्छा तो नहीं ही कहा सकता. मार्च महीने में राजधानी पटना के एक अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नए विभाग के उद्घाटन समारोह में भी वह शामिल नहीं हुए थे, जो कि उनके ही स्वास्थ्य मंत्रालय का एक बड़ा कार्यक्रम था. उनकी गैरमौजूदगी को देखते हुए वह भव्य कार्यक्रम रद्द कर दिया था और बिना आधिकारिक उद्घाटन के ही तब से यहां 9 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है.
इसी साल अप्रैल में बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी जब स्वास्थ्य नीति से जुड़े सवाल उठाए गए, तब भी वह कई बार जवाब देने के लिए सदन में मौजूद नहीं पाए गए.
नीतीश सरकार में तेजप्रताप को यह अहम मंत्रालय उनके पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत ही मिला है, जो कि चारा घोटाले में दोषी ठहराने जाने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते थे. हालांकि लालू की पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भारी जीत मिली, जिसके बाद जेडीयू के साथ गठबंधन सरकार में वह अपने बेटे तेजस्वी के लिए उपमुख्यमंत्री पद और तेजप्रताप के लिए स्वास्थ्य जैसे अहम मंत्रालय हासिल करने में कामयाब रहे.
हालांकि तेजप्रताप की अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही को लेकर विपक्ष भी निशाना साधता रहा है. वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी कहते हैं, 'यह सरकार और विशेषकर लालू के लिए बेहद शर्मिंदगी का विषय है.' वहीं आरजेडी के भी कई बड़े नेता बंद लफ्ज़ों में कहते हैं कि अनुभवी एवं समर्पित नेताओं की अनदेखी कर अपने बेटों को बड़े मंत्रालयों में बिठाने का लालू का कदम था.
आरजेडी प्रमुख के बेटे तेजप्रताप अपने घर के पास टहलते देखे गए, हालांकि उनसे जुड़े करीबी सूत्रों का कहना था कि तबियत ठीक ना होने की वजह से वह इस समारोह में शरीक नहीं हो सके.
वैसे भी अहम सरकारी कार्यक्रमों में तेजप्रताप के शामिल होने के रिकॉर्ड को अच्छा तो नहीं ही कहा सकता. मार्च महीने में राजधानी पटना के एक अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नए विभाग के उद्घाटन समारोह में भी वह शामिल नहीं हुए थे, जो कि उनके ही स्वास्थ्य मंत्रालय का एक बड़ा कार्यक्रम था. उनकी गैरमौजूदगी को देखते हुए वह भव्य कार्यक्रम रद्द कर दिया था और बिना आधिकारिक उद्घाटन के ही तब से यहां 9 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है.
इसी साल अप्रैल में बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी जब स्वास्थ्य नीति से जुड़े सवाल उठाए गए, तब भी वह कई बार जवाब देने के लिए सदन में मौजूद नहीं पाए गए.
नीतीश सरकार में तेजप्रताप को यह अहम मंत्रालय उनके पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत ही मिला है, जो कि चारा घोटाले में दोषी ठहराने जाने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते थे. हालांकि लालू की पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भारी जीत मिली, जिसके बाद जेडीयू के साथ गठबंधन सरकार में वह अपने बेटे तेजस्वी के लिए उपमुख्यमंत्री पद और तेजप्रताप के लिए स्वास्थ्य जैसे अहम मंत्रालय हासिल करने में कामयाब रहे.
हालांकि तेजप्रताप की अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही को लेकर विपक्ष भी निशाना साधता रहा है. वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी कहते हैं, 'यह सरकार और विशेषकर लालू के लिए बेहद शर्मिंदगी का विषय है.' वहीं आरजेडी के भी कई बड़े नेता बंद लफ्ज़ों में कहते हैं कि अनुभवी एवं समर्पित नेताओं की अनदेखी कर अपने बेटों को बड़े मंत्रालयों में बिठाने का लालू का कदम था.
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