जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिरोध का समाधान जल्दी निकालने की संभावना आज समाप्त हो गई, जब पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस के समर्थन की पेशकश में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और नेशनल कांफ्रेंस ने उसे आड़े हाथ लेते हुए उस पर सत्ता में आने के लिए हर तरह का समझौता करने का आरोप लगाया।
87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी पीडीपी ने आज संकेत दिया कि वह नेशनल कांफ्रेंस के समर्थन के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकती। नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कल राज्यपाल एन एन वोहरा को इस आशय का पत्र लिखा था।
पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, 'लोगों ने चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के खिलाफ वोट दिया और सिर्फ 15 सीटों के साथ वह (नेकां) सरकार गठन के बारे में फैसला नहीं कर सकती।' इसके तत्काल बाद नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने बयान जारी कर कहा कि उसका प्रस्ताव बाहरी समर्थन तक सीमित था। उन्होंने पीडीपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सत्ता में आने के लिए हरसंभव समझौता करने को तैयार है।
सागर ने एक तरह से पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद पर निशाना साधते हुए उन पर ‘अनगिनत नरसंहार के लिए जिम्मेदार और राज्य में दमन का रचनाकार’ होने का आरोप लगाया।
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