यह ख़बर 19 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बंधक जिलाधिकारी और इंजीनियर हैं सुरक्षित

खास बातें

  • नक्सलियों द्वारा दो दिन पहले अगवा किए गए मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा और जूनियर इंजीनियर पवित्र मोहन माझी सुरक्षित हैं।
भुवनेश्वर:

नक्सलियों द्वारा दो दिन पहले अगवा किए गए मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा और जूनियर इंजीनियर पवित्र मोहन माझी सुरक्षित हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है। उड़ीसा सरकार ने उनकी रिहाई के प्रयास तेज कर दिए हैं। राज्य के मुख्य सचिव ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुख्य सचिव बीके पटनायक ने कहा, "हमें अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अगवा किए गए दोनों अधिकारी सुरक्षित हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने कृष्णा और माझी को रिहा करने के लिए जो शर्तें रखीं हैं। उनमें से एक शर्त को मानते हुए उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को गुरुवार से बंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि उनकी अन्य मांगों पर सरकार विचार कर रही है। ज्ञात हो कि जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा और जूनियर इंजीनियर पवित्र मोहन माझी को नक्सलियों ने बुधवार शाम को अगवा कर लिया था। राज्य में पहली बार नक्सलियों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी को अगवा किया है। नक्सलियों की अन्य मांगों में सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ समझौतों को रद्द करना और पुलिस हिरासत में मारे गए नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल है। नक्सलियों ने कृष्णा और माझी की रिहाई के लिए सरकार को पहले 48 घंटे का समय दिया था। उनकी यह समय सीमा शुक्रवार शाम समाप्त हो गई। एक नक्सली नेता भास्कर जिसने अपने को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के 'आंध्र-उड़ीसा बार्डर स्टेट जोनल कमेटी' का सचिव बताया है, ने शुक्रवार देर रात मीडिया के एक धड़े को बताया कि नक्सलियों ने अपनी मांगों को मानने के लिए सरकार को और 48 घंटे का समय दिया है। राज्य सरकार ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों आरएस राव और हरगोपाल से नक्सलियों से वार्ता करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विधानसभा में अपने एक बयान में कहा कि राव और हरगोपाल के शनिवार को भुवनेश्वर पहुंचने की उम्मीद है। हरगोपाल ने कहा कि वे उड़िया भाषा और प्रदेश के हालात के बारे में नहीं जानते। हालांकि उन्होंने कहा कि नक्सली नेता घांती प्रसादम को रिहा कर दिए जाने से अपहर्ताओं से वार्ता में मदद मिलेगी। दिल्ली से एक स्थानीय टेलीविजन चैनल से बातचीत में हरगोपाल ने कहा , "मैंने उड़ीसा सरकार से प्रसादम को रिहा करने की अपील की है।" उन्होंने कहा कि प्रसादम को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है वह बहुत गंभीर मामला नहीं है। उन्होंने कहा, "उस पर ज्यादातर मामले आंध्र प्रदेश में दर्ज हैं और उच्च न्यायालय ने पहले ही उसे जमानत दे रखी है।" उन्होंने कहा, "उसके रिहा होने पर मैं और आर. एस. राव स्थितियों में हस्तक्षेप की कोशिश करेंगे। प्रसादम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओर से बात कर सकता है। सम्भवत: हम कोई समाधान खोज सकेंगे।" गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार हरगोपाल के अनुरोध पर विचार कर रही है और शीघ्र ही वह उचित निर्णय लेगी। सरकार इस प्रस्ताव से सहमत हो सकती है। इस बीच, कृष्णा और माझी की रिहाई की मांग को लेकर लोगों ने राज्य के कई हिस्सों में शनिवार को रैलियां निकालीं। विधानसभा में भी बंधक बनाए गए अधिकारियों की सुरक्षित रिहाई की अपील की गई। राज्य के इस्पात एवं खनन मंत्री रघुनाथ मोहंती ने विधानसभा में में प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। प्रस्ताव में कहा गया, "अगवा किए जाने के मसले पर सदन अपनी गहरी चिंता व्यक्त करता है। सदन सर्वसम्मति से मीडिया के माध्यम से दोनों व्यक्तियों की रिहाई की अपील करता है। सदन पीड़ित परिवारों के दुख और पीड़ा पर अपनी सहानुभूति जताता है।"


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