नासिक:
नासिक कुंभ मेले में आस्था के अलग-अलग रंग हैं। वहां लोगों की श्रद्धा के भी अलग-अलग केन्द्र हैं। कोई शैव है तो कोई वैष्णव, कोई भभूत लपेटे बैठा है तो कोई धूनी रमाए। इनमें से कुछ साधु ऐसे भी हैं जो अपने अनूठे रंग की वजह से लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं।
चंदू बाबा महाराष्ट्र के बुलढाणा से आए हैं। नासिक में लोग इन्हें घोड़े वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं। वैसे बाबा को घोड़े के अलावा और भी कई जानवरों से प्रेम है। चंदू बाबा ने हमें बताया कि उनके पास भालू, कुत्ते, हिरण और घोड़े भी हैं।
चंदू बाबा महाराष्ट्र के बुलढाणा से आए हैं। नासिक में लोग इन्हें घोड़े वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं। वैसे बाबा को घोड़े के अलावा और भी कई जानवरों से प्रेम है। चंदू बाबा ने हमें बताया कि उनके पास भालू, कुत्ते, हिरण और घोड़े भी हैं।
महंत श्री रघुवीर दास इंदौर से हैं। लोग इन्हें फलहारीजी महाराज कहते हैं। बाबा का दावा है कि उन्होंने 17 सालों से आग पर पका अन्न नहीं खाया। सिर्फ फलाहार पर जीवित हैं। कुंभ मेले के दौरान वह मचान पर तप करेंगे। बाबा का कहना है कि उनकी साधना जन कल्याण के लिए है। कुंभ में आस्था के और भी कई रंग हैं। कोई भभूत लपेटे बैठा है कोई भोलेशंकर के भेस में तो कोई एक पैर पर तप कर रहा है।
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