सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 में नरोदा पाटिया के सांप्रदायिक दंगे के मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाली राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से आज इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने माया कोडनानी को कोई भी राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें समर्पण करना होगा, क्योंकि उनकी अंतरिम जमानत की अवधि आज खत्म हो रही है।
कोर्ट ने माया कोडनानी की अंतरिम जमानत की अवधि दो बार बढ़ाई थी। कोर्ट ने पूर्व मंत्री के बीमारी के आधार पर कोडनानी की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि जेल में उसका इलाज नहीं कराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने पिछले साल 12 नवंबर को कोडनानी को फरवरी तक के लिये अंतरिम जमानत दी थी।
कोर्ट ने कोडनानी को नियमित जमानत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दे दी है।
कोडनानी ने हाईकोर्ट के आठ फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी अंतरिम जमानत की अवधि तीन महीने और बढ़ाने से इनकार कर दिया था। कोडनानी अंतरिम जमानत की अवधि 180 दिन और बढ़ाने का अनुरोध किया था।
नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी और बजरंग दल के बाबू बजरंगी तथा 29 अन्य अभियुक्तोंे को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनायी थी। दंगे की इस घटना में 97 व्यक्ति मारे गए थे।
निचली अदालत ने अपने फैसले में भाजपा की तत्कालीन विधायक और नरेन्द्र मोदी सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को नरोडा क्षेत्र में ‘दंगों की सरगना’ बताते हुए उन्हें 26 साल की कैद की सजा सुनाई थी।
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