नई दिल्ली:
हरियाणा सरकार और डीएलएफ के बीच साठगांठ की बात तो खूब उछली लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया कि गुजरात की मोदी सरकार भी डीएलएफ पर खूब मेहरबान रही है। अब यह बात खुली है तो बीजेपी सफाई दे रही है।
बताया जा रहा है कि उन्होंने 2007 में ही डीएलएफ को गांधीनगर के प्राइम लोकेशन में औने−पौने के भाव ज़मीन दी थी। बीते साल राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटील को गुजरात के कांग्रेसी सांसदों और विधायकों ने एक शिकायत पत्र सौंपा था जिसके मुताबिक गांधीनगर की इन्फोसिटी के पास करीब एक लाख वर्गमीटर जमीन डीएलएफ को दी गई।
तब सरकार ने इसका दाम पांच हजार रुपये वर्गमीटर लगाया जबकि उन दिनों इसका बाजार मूल्य तीस हजार रुपये वगर्मीटर था। रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी के लिए तय सरकारी कीमत भी 19 हजार रुपये वर्गमीटर थी।
अब बीजेपी कह रही है कि इस मामले की जांच करके जस्टिस एमबी शाह राज्य सरकार को क्लीन चिट दे चुके हैं। दिलचस्प ये है कि सेज़ के नाम पर जमीन देने के बाद डीएलएफ के कहने पर राज्य सरकार ने उसे यहां आईटी पार्क बनाने की इजाजत दे डाली। कांग्रेस पूछ रही है क्या केजरीवाल को ये गड़बडी नहीं दिखती?
बताया जा रहा है कि उन्होंने 2007 में ही डीएलएफ को गांधीनगर के प्राइम लोकेशन में औने−पौने के भाव ज़मीन दी थी। बीते साल राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटील को गुजरात के कांग्रेसी सांसदों और विधायकों ने एक शिकायत पत्र सौंपा था जिसके मुताबिक गांधीनगर की इन्फोसिटी के पास करीब एक लाख वर्गमीटर जमीन डीएलएफ को दी गई।
तब सरकार ने इसका दाम पांच हजार रुपये वर्गमीटर लगाया जबकि उन दिनों इसका बाजार मूल्य तीस हजार रुपये वगर्मीटर था। रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी के लिए तय सरकारी कीमत भी 19 हजार रुपये वर्गमीटर थी।
अब बीजेपी कह रही है कि इस मामले की जांच करके जस्टिस एमबी शाह राज्य सरकार को क्लीन चिट दे चुके हैं। दिलचस्प ये है कि सेज़ के नाम पर जमीन देने के बाद डीएलएफ के कहने पर राज्य सरकार ने उसे यहां आईटी पार्क बनाने की इजाजत दे डाली। कांग्रेस पूछ रही है क्या केजरीवाल को ये गड़बडी नहीं दिखती?
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