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This Article is From Sep 13, 2018

पवन हंस के लिए बोली की समय-सीमा बढ़ी, प्राइवेट हाथों में जाएगी सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी

नरेंद्र मोदी सरकार ने सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस की बोली लगाने की समय-सीमा बढ़ा दी है.

पवन हंस के लिए बोली की समय-सीमा बढ़ी, प्राइवेट हाथों में जाएगी सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी
पवन हंस लिमिटेड सरकारी क्षेत्र की हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी है.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने ,सरकारी क्षेत्र की हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए शुरुआती बोली सौंपने की समयसीमा 19 सितंबर तक बढ़ा दी है. पुरानी समय सीमा बुधवार(12 सितंबर) को समाप्त हो गयी.नागर विमानन मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘पवनहंस के रणनीतिक विनिवेश के लिए दिलचस्पी-पत्र पेश करने की अंतिम तिथि को 19 सितंबर 2018 तक के लिए बढ़ाया जाता है.’’उसने कहा कि अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए समयसीमा भी इसी तरह से बढ़ा दी गयी है.सरकार ने अगस्त में कहा था कि पवनहंस में उसकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने वालों को कंपनी में ओएनजीसी की शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का भी विकल्प होगा. 

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 सरकार ने हेलीकाप्टर सेवा कंपनी पवन हंस लि. में पूरी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रबंधन नियंत्रण बेचने को लेकर विदेशी कंपनियों समेत निजी कंपनियों को आमंत्रित किया. मिनीरत्न सार्वजनिक उपक्रम पर नागर विमानन मंत्रालय का प्रशासनिक नियंत्रण है और शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी के पास है. बता दें कि इससे पूर्व सरकार ने रुचि पत्र के लिये वैश्विक निमंत्रण में निजी कंपनियों से 8 दिसंबर तक बोली जमा करने को कहा था. इसमें बोली आमंत्रित करते हुए कहा गया था, ‘‘सरकार ने पवन हंस लि. में रणनीतिक विनिवेश के जरिये अपनी पूरी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश का प्रस्ताव किया है. इसके तहत प्रबंधन नियंत्रण भी स्थानातंरित किया जाएगा.’’ 

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दरअसल, निवेश और र्सावजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) विभाग कई सार्वजनिक उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश करने की तैयारी में है. बोलीदाताओं से चार सार्वजनिक उपक्रमों के लिये रूचि पत्र कल मांगे गये वहीं पवन हंस के मामले में यह आज जारी किया गया. सरकार की हास्पिटल सर्विस कंसल्टेंसी कारपोरेशन (एचएससीसी), इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स् (इंडिया) लि. (ईपीआई) और नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनपीसीसी) में हिस्सेदारी इसी तरह के केंद्रीय लोक उपक्रम को बेचने की योजना है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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