भारत माता की जय का नारा मुसलमानों के लिए जायज नहीं : मौलाना उमरी

भारत माता की जय का नारा मुसलमानों के लिए जायज नहीं : मौलाना उमरी

मौलाना उमरी और जमाअत इस्लामी हिन्द के पदाधिकारी।

नई दिल्ली:

जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने कहा कि राष्ट्रवाद का मुद्दा समाज के ध्रुवीकरण और देश में लोगों की एकता को नुकसान पहुंचाने के लिए सांप्रदायिक एवं फासीवादी शक्तियों द्वारा सोच विचार कर उठाया जा रहा है। उनकी साजिश है कि जो उनकी विचारधारा या दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं करेंगे उन्हें देशद्रोही घोषित कर दिया जाए। इस दिखावटी राष्ट्रवाद के पीछे की मूल मंशा अल्पसंख्यकों और उनकी विचारधारा के विरोधियों को निशाना बनाकर राजनीतिक शाक्ति हासिल करना और सत्ता में बने रहना है।

एक संवाददाता सम्मेलन में मौलाना उमरी ने कहा कि इसका दूसरा कारण आगामी विधानसभा चुनाव हो सकता है। विकास के नारे के बावजूद बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पिछले दो वर्षों में उपलब्धि नगण्य रही है। मतदाताओं का सामना करने से वे भयभीत हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे फूट डालो और राज करो की नीति अपना रहे हैं। हिंसा और भय के द्वारा लोगों से बलात राष्ट्रभक्त और देशभक्त सिद्ध करवाना फासीवादियों की अपने आप में अनोखी चाल है।

एक सवाल के जवाब में मौलाना उमरी ने कहा कि वंदे मातरम भारत माता की जय जैसे नारों का इस्तेमाल मुसलमानों के लिए जायज नहीं है और संविधान भी हमें ऐसे नारों का पाबंद नहीं बनाता। उन्होंने दारुलउलूम देवबंद के फतवे का समर्थन भी किया। मौलाना उमरी ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द का हमेशा से यह दृष्टिकोण रहा है कि अगर कोई आतंकी घटना करता है तभी उसे आरोपित किया जाए, गिरफ्तार किया जाए और सजा दी जाए। न्याय का मौलिक सिद्धांत यही है कि एक व्यक्ति को उस समय तक निर्दोष समझा जाए जब तक कि उसका अपराध सिद्ध नहीं हो जाता है। उन्होंने कहा कि जमाअत मांग करती है कि ऐसे मामलों के लिए एक मुद्दत तय की जानी चाहिए और तय समय के अंदर ही मुल्जिमों के आरोपों को सिद्ध किया जाना चाहिए। अपराध सिद्ध न होने की स्थिति में उन्हें बरी किया जाए।

संवाददाता सम्मेलन के आरंभ में जमाअत इस्लामी हिन्द के महासचिव ने कहा कि लातेहार में गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों की नृशंस हत्या और खास नारे कहलवाने के लिए बल प्रयोग जैसी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में देश की छवि बिगाड़ी है। हमारे देश के इतिहास में यह चरण अत्यंत संकटपूर्ण है। जमाअत उन लोगों से जो लोकतंत्र और सांप्रदायिक एकता की सुरक्षा चाहते हैं अपील करती है कि एकजुट हों और फासीवादी शक्तियों से संघर्ष करें। घृणा और हिंसा का मुकाबला शांति और सौहार्द्र के संदेशों से किया जाए ताकि देश को जंगल राज में तब्दील होने से रोका जा सके।

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पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के संबंध में जमाअत के सचिव मोहम्मद अहमद ने कहा कि जमाअत ने असम में कुल 126 सीटों में से 114 पर उम्मीदवारों को समर्थन देने का फैसला किया है। इनमें से 99 उम्मीदवारों का संबंध कांग्रेस से और 15 का यूडीएफ से है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के सिलसिले में घोषणा जल्द की जाएगी।