नई दिल्ली:
भारत में एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने की आवाज तेज होने लगी है। इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए एक ऑनलाइन याचिका पर करीब 50,000 मुस्लिम महिलाओं ने हस्ताक्षर किए हैं।
महिला आयोग ने मदद की गुजारिश
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग का सहयोग मांगा है। बीएमएमए ने महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम को लिखे पत्र में कहा कि उसने अपने अभियान के पक्ष में 50,000 से अधिक हस्ताक्षर लिए हैं और सहयोग के लिए अलग-अलग प्रांतों के महिला आयोगों को भी लिख रहा हैं।
संगठन ने पत्र में कहा, 'हमने यह पाया है कि महिलाएं मौखिक-एकतरफा तलाक की व्यवस्था पर पाबंदी चाहती हैं। 'सीकिंग जस्टिस विदिन फैमिली' नामक हमारे अध्ययन में पाया गया कि 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं तलाक की इस व्यवस्था पर पाबंदी चाहती हैं।'
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट में शायरा बानो के मुकदमे का समर्थन करेगा। देहरादून की रहने वाली शायरा ने 'तीन बार तलाक' के चलन को खत्म करने की सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है।
कुमारमंगलम ने कहा, 'राष्ट्रीय महिला आयोग पहले से ही इस मुकदमे का हिस्सा है। हम इस महीने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेंगे। हम इस मांग का 200 फीसदी समर्थन करते हैं। जो भी बन पड़ेगा, हम करेंगे।' वह बीएमएमए की मांग पर प्रतिक्रिया जाहिर कर रही थीं। बीएमएमए का कहना है कि 'तीन बार तलाक' की यह प्रथा 'गैर-कुरानी' है।
सुप्रीम कोर्ट हाल ही में 35 साल की सायरा की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ है, जिसमें मुस्लिम पर्सनल कानून में मौखिक तौर पर और एकतरफा तरीके से तलाक की प्रथा खत्म करने की मांग की गई है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
महिला आयोग ने मदद की गुजारिश
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग का सहयोग मांगा है। बीएमएमए ने महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम को लिखे पत्र में कहा कि उसने अपने अभियान के पक्ष में 50,000 से अधिक हस्ताक्षर लिए हैं और सहयोग के लिए अलग-अलग प्रांतों के महिला आयोगों को भी लिख रहा हैं।
संगठन ने पत्र में कहा, 'हमने यह पाया है कि महिलाएं मौखिक-एकतरफा तलाक की व्यवस्था पर पाबंदी चाहती हैं। 'सीकिंग जस्टिस विदिन फैमिली' नामक हमारे अध्ययन में पाया गया कि 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं तलाक की इस व्यवस्था पर पाबंदी चाहती हैं।'
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट में शायरा बानो के मुकदमे का समर्थन करेगा। देहरादून की रहने वाली शायरा ने 'तीन बार तलाक' के चलन को खत्म करने की सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है।
कुमारमंगलम ने कहा, 'राष्ट्रीय महिला आयोग पहले से ही इस मुकदमे का हिस्सा है। हम इस महीने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेंगे। हम इस मांग का 200 फीसदी समर्थन करते हैं। जो भी बन पड़ेगा, हम करेंगे।' वह बीएमएमए की मांग पर प्रतिक्रिया जाहिर कर रही थीं। बीएमएमए का कहना है कि 'तीन बार तलाक' की यह प्रथा 'गैर-कुरानी' है।
सुप्रीम कोर्ट हाल ही में 35 साल की सायरा की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ है, जिसमें मुस्लिम पर्सनल कानून में मौखिक तौर पर और एकतरफा तरीके से तलाक की प्रथा खत्म करने की मांग की गई है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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