मुंबई:
मुंबई के वडाला इलाके में एक हाउसिंग सोसायटी में किराये पर रह रही एक महिला को कथित तौर पर फ्लैट से निकाल दिया गया।
लड़की का आरोप है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह मुस्लिम है। जबकि बिल्डिंग वालों ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बिल्डिंग में मुसलमान भी रहते हैं और यह विवाद फ्लैट दिलवाने वाले एजेंट और लड़की के बीच झगड़े का नतीजा है।
25 साल की मिस्बाह कादरी गुजरात की हैं और 5 साल से मुंबई में रह रही हैं। उन्होंने डेढ़ महीने पहले वडाला ईस्ट के सांघवी हाइट्स सोसायटी में किराये पर मकान लिया था, लेकिन डेढ़ हफ्ते पहले उन्हें फ्लैट छोड़ना पड़ा। मिस्बाह का कहना है, "मुझे ब्रोकर का फोन आया और उसने कहा मैं तुम्हारा सामान सड़क पर फेंक दूंगा, अगर तुमने फ्लैट ख़ाली नहीं किया तो तुम्हारे ख़िलाफ पुलिस में शिकायत करूंगा।"
मिस्बाह का यह भी कहना है कि जिस ब्रोकर के जरिये उन्होंने मकान किराये पर लिया, उसने एक एनओसी पर साइन भी करवाया था, जिसके मुताबिक अगर धर्म की वजह से पड़ोसी उनके साथ भेदभाव करेंगे तो फ्लैट मालिक, बिल्डर या ब्रोकर कानूनी तौर पर जिम्मेदार नहीं होगा। लेकिन मिस्बाह मांगने पर ऐसा कोई दस्तावेज़ दिखा नहीं पाईं।
उधर बिल्डर का कहना है कि वह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते। सांघवी हाइट्स के सुपरवाइज़र राजेश नाथुलकर ने कहा, "7वें और 8वें माले पर मुस्लिम परिवार किराये पर रहते हैं, हम घर बेचने में भेदभाव नहीं करते। मैंने ब्रोकर से पूछा था, उसने मुझे बताया कि मिस्बाह ने पुलिस एनओसी और कोई भी ज़रूरी दस्तावेज़ जमा नहीं कराए हैं। ये ब्रोकर और मिस्बाह का झगड़ा है, सोसायटी की इसमें कोई भूमिका नहीं है।"
मिस्बाह के साथ रहने वाली दो हिंदू लड़कियों को भी फ्लैट छोड़ना पड़ा। मिस्बाह ने इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है, वहीं आरोपी ब्रोकर ने भी मिस्बाह के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
लड़की का आरोप है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह मुस्लिम है। जबकि बिल्डिंग वालों ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बिल्डिंग में मुसलमान भी रहते हैं और यह विवाद फ्लैट दिलवाने वाले एजेंट और लड़की के बीच झगड़े का नतीजा है।
25 साल की मिस्बाह कादरी गुजरात की हैं और 5 साल से मुंबई में रह रही हैं। उन्होंने डेढ़ महीने पहले वडाला ईस्ट के सांघवी हाइट्स सोसायटी में किराये पर मकान लिया था, लेकिन डेढ़ हफ्ते पहले उन्हें फ्लैट छोड़ना पड़ा। मिस्बाह का कहना है, "मुझे ब्रोकर का फोन आया और उसने कहा मैं तुम्हारा सामान सड़क पर फेंक दूंगा, अगर तुमने फ्लैट ख़ाली नहीं किया तो तुम्हारे ख़िलाफ पुलिस में शिकायत करूंगा।"
मिस्बाह का यह भी कहना है कि जिस ब्रोकर के जरिये उन्होंने मकान किराये पर लिया, उसने एक एनओसी पर साइन भी करवाया था, जिसके मुताबिक अगर धर्म की वजह से पड़ोसी उनके साथ भेदभाव करेंगे तो फ्लैट मालिक, बिल्डर या ब्रोकर कानूनी तौर पर जिम्मेदार नहीं होगा। लेकिन मिस्बाह मांगने पर ऐसा कोई दस्तावेज़ दिखा नहीं पाईं।
उधर बिल्डर का कहना है कि वह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते। सांघवी हाइट्स के सुपरवाइज़र राजेश नाथुलकर ने कहा, "7वें और 8वें माले पर मुस्लिम परिवार किराये पर रहते हैं, हम घर बेचने में भेदभाव नहीं करते। मैंने ब्रोकर से पूछा था, उसने मुझे बताया कि मिस्बाह ने पुलिस एनओसी और कोई भी ज़रूरी दस्तावेज़ जमा नहीं कराए हैं। ये ब्रोकर और मिस्बाह का झगड़ा है, सोसायटी की इसमें कोई भूमिका नहीं है।"
मिस्बाह के साथ रहने वाली दो हिंदू लड़कियों को भी फ्लैट छोड़ना पड़ा। मिस्बाह ने इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है, वहीं आरोपी ब्रोकर ने भी मिस्बाह के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
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