देश की सियासत में राजनेताओं और अपराध का 'चोली-दामन' का साथ रहा है. देश में ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टियां नहीं, जो पूरी तरह से अपराध मुक्त छवि की हो. यानी उनके किसी भी एक नेता पर अपराध के मामले दर्ज नहीं हों. यही वजह है कि राजनीति में अपराधीकरण के मामले पर अपने फैसले में भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों, विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया, मगर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब संसद के भीतर कानून बनाना इसकी जरूरत है. दरअसल, राजनीति में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया. इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोप तय होने से किसी को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है और बिना सज़ा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे उनके जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनकी जानकारी वेबसाइटों और इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट, दोनों मीडिया में सार्वजनिक करने के निर्देश दिए.
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दरअसल, ADR ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक राज्य सभा और लोकसभा के सासंदों की संख्या को पूरा मिला कर देखें तो, तकरीबन 30 फीसदी सांसद दागी हैं. इनमें से 17 फीसदी सासंदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. देश के चुनावों और उससे संबंधित आंकड़े इकट्ठा करने वाली एडीआर की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें सासंदों और पार्टीवार नेताओं के क्रिमिनल रिकॉर्ड का ब्योरा दिया गया है.
लोकसभा में 542 सासंदों में से 179 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 33 फीसदी है. वहीं, 114 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. ठीक उसी तरह राज्यसभा के 228 सासंदों में से 51 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह से दोनों सदन के सासंदों को मिला कर देखें तो 770 सासंदों में से 230 दागी हैं, जो पूरी संख्या का 30 फीसदी है.
ADR की रिपोर्ट
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अब सवाल उठता है कि आखिर जब संसद में इतने दागी सांसद हैं, देश का लोकतंत्र कैसे सही होगा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर किस पार्टी में कितने ऐसे सांसद हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी की तुलना की जाए तो दागी सांसदों के मामले में बीजेपी कांग्रेस से काफी आगे है. यानी कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी में दागी सांसदों की संख्या ज्यादा है. बीजेपी में करीब 32 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, तो वहीं कांग्रेस के सासंदों के खिलाफ 15 फीसदी आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी बीजेपी, कांग्रेस से इस मामले में दोगुनी आगे है.
सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले:
बीजेपी के 339 सांसदों में से 107 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें से 64 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 97 सांसदों में से 15 के खिलाफ आपराधिक मामले और 8 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस और बीजेपी के सासंदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की तुलना करें तो बीजेपी के जहां 32 फीसदी सांसद दागी हैं, वहीं कांग्रेस के 15 फीसदी. शिवसेना के 21 सासंदों में से 18 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. हत्या, बलात्कार जैसे संगीन मामले 10 के खिलाफ हैं. अगर फीसदी में बात की जाए तो शिवसेना के 86 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, एआईएडीएमके के 50 सांसदों में से 10 के खिलाफ आपराधिक मामले तो वहीं 3 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. राजद के 9 सांसदों में से 7 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं, 6 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. टीडीपी के 22 सासंदों में से 7 के खिलाफ आपराधिक और 1 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. एनसीपी के 11 सांसदों में से 6 दागी हैं. हालांकि, 5 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसदों में से 4 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 3 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के 21 सासंदों में से तीन के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं एक के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. आम आदमी पार्टी भी दागी नेताओं से परे नहीं है. आम आदमी पार्टी के 7 सांसदों में से 2 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से एक के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 8 सांसदों में से 2 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 1 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले भी हैं. मायावती की पार्टी बसपा भी अछूती नहीं है. बसपा के 4 सांसदों में से 1 के खिलाफ आपराधिक और 1 खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.
विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले:
अगर राजनीतिक पार्टियों के विधायकों के खिलाफ भी अगर आपराधिक मामलों की पड़ताल करते हैं तो पाएंगे कि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से अव्वल है. बीजेपी के 1451 विधायकों में 31 फीसदी विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 फीसदी विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो 773 विधायकों में 26 फीसदी विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 17 फीसदी कांग्रेस विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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महिलाओं के खिलाफ अपराध:
महिलाओं के खिलाफ अपराध में राज्यवार सासंदों और विधायकों की बात करें तो इसमें महाराष्ट्र का नाम सबसे ऊपर आता है. महाराष्ट्र के 12 सासंदों/ विधायकों के ऊपर महिलाओं से संबंधित अपराध के मामले दर्ज हैं. वहीं, बिहार से महज 2 सासंदों/ विधायकों के ऊपर मामले दर्ज हैं. अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले पार्टीवाइज देखें तो इसमें भी बीजेपी आगे है. बीजेपी के करीब 12 सासंदों/ विधायकों के खिलाफ महिलाओं से संबंधित मामले में आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं कांग्रेस के 4 सासंदों/ विधायकों का नाम इसमें शामिल है.
हेट स्पीच को लेकर मामले:
हेट स्पीच यानी भड़काऊ भाषण के आंकडों पर भी गौर करें तो इसमें बीजेपी शीर्ष पर काबिज है. बीजेपी के 27 सांसदों/विधायकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण को लेकर मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 2 सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज है. भड़काऊ भाषण अधिकतर मामले उत्तर प्रदेश से हैं. यूपी के 15 सांसद/विधायकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण का केस चल रहा है. इस मामले में तेलंगाना दूसरे स्थान पर है. यहां 13 नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण का मामला दर्ज है.
अपहरण के मामले:
इस मामले में भी बीजेपी के सांसदों/ विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले ही आगे हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी के सांसद-विधायकों पर अपहरण से संबंधित मामले दर्ज हैं, वहीं कांग्रेस के 6 सासंदों-विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं. अगर राज्यवार तरीके से देखें तो इस मामले में बिहार अव्वल है. बिहार के 12 सांसदों व विधायकों पर अपहरण के मामले दर्ज हैं. उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दूसरे नंबर है.
मर्डर के मामले दर्ज:
बीजेपी के 19 सासंदों/विधायकों के खिलाफ मर्डर के मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 6 सांसदों/ विधायकों के खिलाफ मर्डर के मामले दर्ज हैं. मर्डर के मामलों में उत्तर प्रदेश टॉप पर है. उत्तर प्रदेश में 15 मामले दर्ज हैं.
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