सुलगता मंदसौर धीरे-धीरे अब पटरी पर लौट रहा है, रतलाम से भी धारा 144 हटाई गई

किसान आंदोलन के चलते कर्फ्यू और पाबंदी झेलने वाले मंदसौर की तरफ जहां स्थिति धीरे-धीरे अब पटरी पर लौट रही है. अब रतलाम में भी धारा 144 हटा ली गई है. इससे पहले मंदसौर से धारा 144 हटा ली गई थी.

खास बातें

  • किसानों की मौत के दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा : शिवराज
  • अब तक 7 किसानों ने की खुदकुशी
  • पूरे घटनाक्रम के पीछे बताई साजिश
भोपाल:

किसान आंदोलन के चलते कर्फ्यू और पाबंदी झेलने वाले मंदसौर की तरफ जहां स्थिति धीरे-धीरे अब पटरी पर लौट रही है. अब रतलाम में भी धारा 144 हटा ली गई है. इससे पहले मंदसौर से धारा 144 हटा ली गई थी. पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत से उपजे हालात के बाद एहतियातन कई जगहों पर धारा 144 लगाई गई थी. इस बीच बुधवार को मंदसौर में पीड़ित परिवारों से शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की मौत के दोषियों को किसी कीमत पर बख़्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री ने इस पूरे घटनाक्रम को विपक्ष और कुछ असामाजिक तत्वों की साज़िश बताया. साथ ही मुआवजे की रकम का भुगतान चेक से करने की बजाय कैश और RTGS से देने का वादा किया. 

उधप, मध्यप्रदेश में किसानों के खुदकुशी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. पिछले 24 घंटों में कर्ज के मारे परेशान दो और किसानों ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली है, जिसके बाद मध्यप्रदेश में पिछले एक सप्ताह में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है. एक किसान ने गुरुवार को बालाघाट जिले में खुदकुशी की, जबकि दूसरे ने बडवानी जिले में आत्महत्या की है. खेत किसान कांग्रेस अध्यक्ष सुकदेव मुनि कुतराहे ने बताया कि जिले के बालाघाट थाना अंतर्गत बल्लारपुर निवासी किसान रमेश बसेने (40) ने कर्ज से परेशान होकर आज सुबह जहर खा लिया, जिसकी बाद में जिला अस्पताल में मौत हो गई. बालाघाट कलेक्टर भरत यादव कलेक्टर ने कहा कि घटना की जानकारी मिली है. तहसीलदार को किसान रमेश के बारे में जानकारी लेने भेजा गया है. जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.

वहीं, सेंधवा ग्रामीण पुलिस थाना के उपनिरीक्षक आर मुजालदे ने बताया कि बडवानी जिले के सेंधवा कस्बे से 10 किलोमीटर दूर ग्राम पिस्नावल के कास्तिया फलिया के किसान शोमला (60) ने कल कर्ज से परेशान होकर कीटनाशक पीकर खुदकुशी की ली है.

मंदसौर जिले में 6 मई को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच किसानों के मारे जाने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में कई घोषणाएं करने के बावजूद भी इन सात किसानों ने खुदकुशी की.

मृतक के परिजनों के अनुसार किसान रमेश बिसेन पर सोसायटी का लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये का कर्ज था, हालांकि किसान रमेश पर यह कर्ज पुराना था, जो उसने खाद और अन्य कृषि जरूरतों के लिए लिया था. उन्होंने कहा कि आज सुबह किसान रमेश अपने चाचा तुलसीराम के घर गया था, जहां उसने चर्चा में चाचा को कर्ज से परेशानी वाली बात बताई थी.

उन्होंने बताया कि किसान पर खेती के लिए कर्ज नहीं पटाने से उसे बैंक के माध्यम से नोटिस दिया जा रहा था. आज खेत से सुबह लगभग नौ बजे जब वह घर लौटा तो घर में उसकी हालत बिगडने से परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर आये थे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

चाचा तुलसीराम और पत्नी जानकीबाई ने बताया है कि रमेश कर्ज के कारण मानसिक रूप से परेशान था जिसके चलते वह शराब भी पीने लगा था, हालांकि अब तक कर्ज से किसान की मौत की पुष्टि प्रशासन ने नहीं की है, किन्तु खेत किसान कांग्रेस अध्यक्ष सुकदेव मुनि कुतराहे ने कहा कि किसान रमेश की मौत की वजह उसका कर्ज था, जिसके लिए उसे नोटिस आ रहे थे, जिससे परेशान किसान रमेश ने आज खेत में जहर खा लिया. इसी बीच बडवानी में खुदकुशी करने वाले किसान की पत्नी झमकी बाई ने सेंधवा ग्रामीण पुलिस को बयान दिया है कि उसके पति शोमला ने एक साहूकार से दो लाख रुपये में अपना खेत गिरवी रखा था. इसके अलावा, एक लाख का कर्जा भी था. इसके लिए परिवार में विवाद हुआ करता था और कल खेत में कुएं के पास उसने कीटनाशक पीकर खुदकुशी कर ली. इससे पहले आठ जून से लेकर अब तक पांच अन्य किसानों ने भी मध्यप्रदेश के विभिन्न भागों में कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या की है.

जिन पांचों ने आत्यहत्या की थी, उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के रेहटी पुलिस थाना क्षेत्र के जानना गांव का किसान दुलचंद कीर (55), होशंगाबाद जिले के भैरोपुर गांव का रहने वाला किसान कृपाराम (68), विदिशा जिले का किसान हरीसिंह जाटव (40), रायसेन जिले के सागोनिया गांव के किसान किशनलाल मीणा (45) एवं सीहोर जिले के जोगड़खेड़ी गांव के बीएएमएस (आयुर्वेद डाक्टर) डिग्री धारी किसान बिशन सिंह राजपूत (42) शामिल हैं. (इनपुट्स भाषा से भी)


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