जयपुर:
मां की आवाज मौत के मुहाने पर आ खड़े एक मासूम के लिए वरदान साबित हुई है। ढाई साल के एक बच्चे को निमोनिया ने ऐसा जकड़ा कि कोमा में ले जाकर छोड़ा और शरीर में हलचल खत्म हो गयी और बच्चा मौन हो गया। जयपुर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक नया प्रयोग किया। उसे म्यूजिक थेरेपी के साथ मां की लोरी सुनाई गयी और मासूम कोमा से बाहर आ गया।
यह उस मां की आवाज़ का कमाल है जिसने कोमा में पड़े बच्चे कपिल के कानों में लोरी का काम किया। ढाई साल का यह बच्चा करीब डेढ़ महीने कोमा में रहने के बाद फिर से होश में आ गया। माता-पिता के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
पिता बलबीर ने कई अस्पतालों के चक्कर काटे और इसके इलाज पर करीब 11 लाख रुपये खर्च कर दिए। पैसा ख़त्म हो जाने के बाद वे कपिल को जयपुर के सरकारी अस्पताल जे.के. लोन में लेकर आए। यहां डॉक्टरों ने म्यूजिक थेरेपी के साथ मां की आवाज़ का इस्तेमाल किया और कपिल होश में आ गया।
बच्चे के पिता बलबीर चौधरी ने बताया, 'इन्होंने मेरी और बच्चे के मां की आवाज में रिकॉर्डिंग करवाई। जब हमने यह आवाज़ इसके कान में सुनाई तो इम्प्रूवमेंट करने लगा, हाथ हिलाने लगा, पैर हिलाने लगा, आंखें भी घुमा रहा है। काफी इम्प्रूवमेंट आया है, हम लोग जो बोलते हैं वो सुन भी रहा है। अब आशा जगी है भगवान से।
करीब डेढ़ महीने पहले कपिल को तेज़ बुखार आने के बाद निमोनिया हो गया था। हालत और बिगड़ी तो वह कोमा में चला गया। जे.के. लोन अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार इतने छोटे बच्चे को म्यूजिक थेरेपी के साथ माता-पिता की आवाज़ सुनाने का यह प्रयोग राजस्थान में पहली बार किया गया है। इलाज़ कर रहे डॉक्टरों के लिए यह केस पेचीदा था और जिसमें दवाइयां काम नहीं कर रही थीं, इसलिए यह प्रयोग किया गया जो काम कर गया।
जे.के. लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया, 'क्योंकि यह बहुत पुराना केस हो चुका था, हमने सोचा बहुत ज़्यादा दवाइयां इफेक्टिव ना हों। मैंने कहीं पढ़ा था कि इस तरह की म्यूजिक थेरेपी बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट में काफी काम आती है या बच्चों के कॉग्नेटिव विकास में सुधार कर सकता है और ये भी नोन फैक्ट है कि म्यूजिक थेरेपी बच्चों की इम्युनिटी को भी बढ़ती है।
आम तौर पर म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग इस तरह के मामलों में बड़ा वरदान साबित होती है लेकिन बच्चों को ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान मां है और मां की लोरी से हुए इस कमाल ने चिकत्सा जगत को उम्मीद की नई किरण दिखाई है।
यह उस मां की आवाज़ का कमाल है जिसने कोमा में पड़े बच्चे कपिल के कानों में लोरी का काम किया। ढाई साल का यह बच्चा करीब डेढ़ महीने कोमा में रहने के बाद फिर से होश में आ गया। माता-पिता के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
पिता बलबीर ने कई अस्पतालों के चक्कर काटे और इसके इलाज पर करीब 11 लाख रुपये खर्च कर दिए। पैसा ख़त्म हो जाने के बाद वे कपिल को जयपुर के सरकारी अस्पताल जे.के. लोन में लेकर आए। यहां डॉक्टरों ने म्यूजिक थेरेपी के साथ मां की आवाज़ का इस्तेमाल किया और कपिल होश में आ गया।
बच्चे के पिता बलबीर चौधरी ने बताया, 'इन्होंने मेरी और बच्चे के मां की आवाज में रिकॉर्डिंग करवाई। जब हमने यह आवाज़ इसके कान में सुनाई तो इम्प्रूवमेंट करने लगा, हाथ हिलाने लगा, पैर हिलाने लगा, आंखें भी घुमा रहा है। काफी इम्प्रूवमेंट आया है, हम लोग जो बोलते हैं वो सुन भी रहा है। अब आशा जगी है भगवान से।
करीब डेढ़ महीने पहले कपिल को तेज़ बुखार आने के बाद निमोनिया हो गया था। हालत और बिगड़ी तो वह कोमा में चला गया। जे.के. लोन अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार इतने छोटे बच्चे को म्यूजिक थेरेपी के साथ माता-पिता की आवाज़ सुनाने का यह प्रयोग राजस्थान में पहली बार किया गया है। इलाज़ कर रहे डॉक्टरों के लिए यह केस पेचीदा था और जिसमें दवाइयां काम नहीं कर रही थीं, इसलिए यह प्रयोग किया गया जो काम कर गया।
जे.के. लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया, 'क्योंकि यह बहुत पुराना केस हो चुका था, हमने सोचा बहुत ज़्यादा दवाइयां इफेक्टिव ना हों। मैंने कहीं पढ़ा था कि इस तरह की म्यूजिक थेरेपी बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट में काफी काम आती है या बच्चों के कॉग्नेटिव विकास में सुधार कर सकता है और ये भी नोन फैक्ट है कि म्यूजिक थेरेपी बच्चों की इम्युनिटी को भी बढ़ती है।
आम तौर पर म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग इस तरह के मामलों में बड़ा वरदान साबित होती है लेकिन बच्चों को ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान मां है और मां की लोरी से हुए इस कमाल ने चिकत्सा जगत को उम्मीद की नई किरण दिखाई है।
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