केरल में एक जून को दस्तक देगा मानसून : भारतीय मौसम विभाग

केरल में एक जून को दस्तक देगा मानसून : भारतीय मौसम विभाग

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भारतीय कृषि की जीवनरेखा मानूसन केरल में एक जून को समय पर आएगा, लेकिन सामान्य से कम बारिश के अनुमान ने सरकार के लिए चिंता पैदा कर दी है। इसके मद्देनजर सरकार आपात योजना की तैयारी कर रही है और किसान बीमा का लाभ और किसानों को देने पर विचार कर रही है। इस आपात योजना में 580 जिलों को शामिल किया जाएगा।

भारतीय मौसम विभाग ने हाल ही में 2015 में सामान्य से कम बारिश का अनुमान जाहिर किया है। कृषि मंत्रालय किसानों के बीच फसल बीमा योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए कदम उठाने पर विचार कर रहा है।

मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मानसून का आगमन सामान्य दिख रहा है। इसमें दो से तीन दिन की देरी हो सकती है। अब तक बारिश के आगमन में कोई देरी नहीं हुई है। अल नीनो के कारण मानसून सामान्य से कम के स्तर पर रहने की आशंका है।’

भारतीय कृषि का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान सिर्फ 15 प्रतिशत है लेकिन इससे 60 प्रतिशत आबादी इससे जुड़ी है और मानसून पर इसकी निर्भरता काफी अधिक है क्योंकि सिर्फ 40 प्रतिशत खेती योग्य जमीन ही सिंचित है।

मौसम विभाग मानसून के आगमन की संभावित तारीख और इसकी प्रगति की घोषणा 15 मई को करने वाला है। स्कायमेट भी मानसून की प्रगति के संबंध में अपनी रिपोर्ट उसी वक्त के आसपास जारी करेगा।

मौसम विभाग के अधिकारी ने कहा कि बारिश का समय से आना खरीफ की बुवाई के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में 70 प्रतिशत कुल सालाना बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून सत्र (जून-सितंबर) के दौरान होती है।

मौसम विभाग एक जून को दक्षिणी तट पर मानसून के आगमन की सामान्य तारीख मानता है। निजी मौसम भविष्यवाणी कंपनी स्काइमेट के मुख्य कार्यकारी जतिन सिंह ने कहा, ‘हम सामान्य मानसून की भविष्यवाणी कर रहे हैं जो एक जून को आएगा जिसमें दो से दिन तीन की देरी की संभावना हो सकती है।’

इस बीच चिंतित कृषि मंत्रालय कमजोर मानसून के खरीफ उत्पादन विशेष तौर पर धान उत्पादन और खाद्य मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले असर को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।

कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा, ‘राज्य सरकारों से कहा गया कि वे 580 जिलों में आपात योजना के कार्यान्वयन की पूरी तैयारी करें। कुछ जिलों में हम स्थानीय जरूरतों के मुताबिक आपात योजनाओं को अपग्रेड कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि किसानों के बीच फसल बीमा योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए बड़ी पहल की जा रही है। पिछले साल देश में 12 प्रतिशत कम बारिश हुई थी जिससे अनाज, कपास और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हुआ था।

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भारत का अनाज उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में तीन प्रतिशत घटकर 25.70 करोड़ टन रह गया। 2014 में खराब मानसून और इस साल मार्च-अप्रैल के दौरान बेमौसम बारिश के कारण किसानों पर मार पड़ी और कुछ किसानों की आत्महत्या से भी जुड़े मामले सामने आए।