सवर्ण आरक्षण बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार के पास सिर्फ एक दिन!

आठ जनवरी को संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन यदि सवर्ण आरक्षण बिल दोनों सदनों में पारित नहीं हुआ तो इसका अटकना तय

सवर्ण आरक्षण बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार के पास सिर्फ एक दिन!

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का संशोधन विधेयक कल पेश करना होगा
  • लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह कल ही बिल पारित कराना होगा
  • बजट सत्र के दौरान आचार संहिता लग जाने से नहीं लाया जा सकेगा बिल
नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी सरकार(Narendra Modi Govt) के पास सवर्णों को आरक्षण देने का विधेयक ( Reservation Quota for Upper Castes)  पारित कराने के लिए सिर्फ एक दिन का समय बचा है. कल यानी आठ जनवरी को ही संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है. सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के कैबिनेट में लिए गए इस फैसले को कानूनी जामा पहनाने के लिए कल का ही वक्त सरकार के पास है. अगर शीतकालीन सत्र में यह बिल पास नहीं हुआ तो फिर मामला लटक सकता है. क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले संसद का सिर्फ बजट सत्र बचा है. मगर बजट सत्र शुरू होने तक आदर्श आचार संहिता लगने की प्रबल संभावना है. ऐसे में उस सत्र मे यह बिल पारित नहीं हो सकता. इस प्रकार जो होना है, सो इसी सत्र में होना है।

ऐसे में मंगलवार को संसद खुलते ही सुबह-सुबह सरकार को लोकसभा में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के लिए संशोधन विधेयक पेश करना होगा.लोकसभा में बहुमत है तो सरकार कुछ ही समय में विधेयक पास करा ले जाएगी. मगर, क्या यह विधेयक राज्यसभा में भी उसी दिन पास हो पाएगा? इस पर संशय है. वजह कि मोदी सरकार के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं है.चुनाव से पहले बीजेपी इस फैसले के जरिए राजनीतिक लाभ न हासिल कर ले, इसके लिए इस प्रस्ताव को विपक्ष एक रणनीति और राजनीति के तहत समीक्षा के लिए कमेटी  को भेजने की मांग उठा सकता है. जिससे इस बिल को पारित करने में देरी लग सकती है.

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हालांकि, सियासी जानकार बताते हैं कि यह चुनावी सीजन है. ऐसे में कांग्रेस सहित, सपा-बसपा जैसे दल भी इस बिल के पारित करने में रोड़े अटकाने से बचेंगे.  क्योंकि अगड़ी जातियों को वे भी नाराज नहीं कर सकते. फिर भी संसद के एक ही कार्यदिवस में इतने बड़े प्रस्ताव के पास होने की उम्मीद कम ही बताई जाती है. बिना बहस के इस ऐतिहासिक प्रस्ताव के पास होने की उम्मीद कम है. इसके लिए या तो कल चर्चा के दौरान संसद को देर शाम तक गतिशील किया जा सकता है या फिर 11 दिसंबर से आठ जनवरी के तय शीतकालीन सत्र को दो से तीन दिन और बढ़ाने का फैसला हो सकता है. ताकि सरकार किसी तरह मान-मनौव्वल के जरिए बिल को पारित कराने में सफल हो. इसके अलावा सरकार के पास कोई चारा नहीं है. वैसे भी यह बिल अब सरकार के लिए नाक का सवाल बन चुका है. क्योंकि सोशल मीडिया पर सवर्णों का एक धडा इसे लॉलीपाप बताने में जुटा है. सरकार बिल पारित कर आलोचकों का जवाब देना चाहेगी. 

मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी

नरेंद्र मोदी सरकार (PM Modi Govt) ने सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को रकारी नौकरी में आरक्षण (Quota for Upper Castes) देने का फैसला किया है. सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा, यह आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अलग होगा. केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंजूरी दे दी. इसके लिए सरकार संविधान संशोधन बिल (Constitutional Amendment Bill) लेकर आएगी. संसद में संविधान संशोधन बिल मंगलवार को आ सकता है. नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस फैसले के जरिए सवर्णों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में है. बता दें, सवर्ण और मध्यम वर्ग का बड़ा धड़ा भाजपा से नाराज चल रहा था. भाजपा ने इस फैसले के जरिए इसी धड़े को लुभाने की कोशिश की है.इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा, 'दस फीसदी आरक्षण मामले पर मोदी जी ये बहुत बड़ा फैसला लिया है. यह पहले से बीजेपी के एजेंडे पर था. इसका चुनाव से कोई लेना देना नहीं है. हमने मध्य प्रदेश और राजस्थान में उनसे अधिक वोट पाए हैं.'

VIDEO : गरीब सवर्णों को आरक्षण, सिर्फ लुभाने की कोशिश

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अब चुनाव से पहले सिर्फ बजट सत्र बचा है, मगर तब तक आचार संहिता की बंदिशें लग जाएंगी. इस प्रकार जो होना है, वह इसी सत्र में होना है.