मुनव्वर राणा (फाइल फोटो)
बरेली:
मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की पाकिस्तान यात्रा की सराहना करते हुए कहा है कि दोनों मुल्क आपस में भाइयों की तरह हैं। मोदी बड़े भाई की भूमिका निभा चुके हैं और अब पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ की बारी है।
मांओं की मौजूदगी में विवाद सुझाएं दोनों प्रधानमंत्री
राणा ने बुधवार को रात में यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में शिरकत से इतर संवाददाताओं से बातचीत में सुझाव देते हुए कहा, ‘हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो भाइयों की तरह हैं। इनमें जो झगड़े चल रहे हैं, उन्हें उनकी मांओं को निपटाना चाहिए। दोनों मुल्कों के प्रधानमंत्री अपनी मांओं की मौजूदगी में विवादों पर बात करें। मां सामने होगी तो रास्ता भी निकल आएगा।’ उन्होंने कहा ‘मोदी बड़े भाई का फर्ज निभा चुके हैं। वह पाकिस्तान जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मां के पैर छू चुके हैं। अब अगला कदम उठाने की बारी शरीफ की है।’
जहरीले बयान देने वालों को सरकार बाहर फेंके
देश में असहिष्णुता के सवाल पर वरिष्ठ शायर ने कहा कि इसके लिए मुल्क की हुकूमत जिम्मेदार है। सरकार में बैठे ऐसे लोगों को, जो जहरीले बयान दे रहे हैं, बाहर निकाल फेंकना चाहिए और उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि साहित्यकारों के अवार्ड लौटाने से दुख तो हुआ लेकिन इस पहल से देश में माहौल काफी हद तक बेहतर हुआ है।
मांओं की मौजूदगी में विवाद सुझाएं दोनों प्रधानमंत्री
राणा ने बुधवार को रात में यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में शिरकत से इतर संवाददाताओं से बातचीत में सुझाव देते हुए कहा, ‘हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो भाइयों की तरह हैं। इनमें जो झगड़े चल रहे हैं, उन्हें उनकी मांओं को निपटाना चाहिए। दोनों मुल्कों के प्रधानमंत्री अपनी मांओं की मौजूदगी में विवादों पर बात करें। मां सामने होगी तो रास्ता भी निकल आएगा।’ उन्होंने कहा ‘मोदी बड़े भाई का फर्ज निभा चुके हैं। वह पाकिस्तान जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मां के पैर छू चुके हैं। अब अगला कदम उठाने की बारी शरीफ की है।’
जहरीले बयान देने वालों को सरकार बाहर फेंके
देश में असहिष्णुता के सवाल पर वरिष्ठ शायर ने कहा कि इसके लिए मुल्क की हुकूमत जिम्मेदार है। सरकार में बैठे ऐसे लोगों को, जो जहरीले बयान दे रहे हैं, बाहर निकाल फेंकना चाहिए और उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि साहित्यकारों के अवार्ड लौटाने से दुख तो हुआ लेकिन इस पहल से देश में माहौल काफी हद तक बेहतर हुआ है।
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