आम चुनाव 2019 करीब आ रहे हैं, और पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को अभूतपूर्व बहुमत दिलाकर देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने वाले नरेंद्र मोदी के लिए कहा जाने लगा था कि अब किसी अन्य पार्टी के लिए 2024 से पहले कोई अवसर नहीं हो सकता... विपक्षी दलों के नेताओं तक ने यह बात कहनी शुरू कर दी ती कि 2019 का आम चुनाव तो BJP के अलावा कोई जीत ही नहीं सकता, लेकिन वक्त बीतते-बीतते 2018 आया, और इस एक साल के दौरान प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का आलम यह है कि अब यहां तक कयास लगाए जाने लगे हैं कि BJP हार जाएगी, और विपक्षी महागठबंधन (अगर बन पाया तो) जीत जाएगा...
अब महागठबंधन के दल अपनी आपसी कड़वाहटों और महत्वाकांक्षाओं को भुलाकर एक साथ आ सकते हैं या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन जाते हुए साल ने इतना स्पष्ट कर दिया है कि यदि वे एक साथ आ गए, तो BJP, और उसके साथ-साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, यानी NDA की मुसीबतें बढ़ सकती हैं... दरअसल, बीत रहे साल में कुल 13 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से नौ सीटें 2014 में BJP के कब्ज़े में थीं, और सात पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा... दो सीटों पर BJP अपना कब्ज़ा बरकरार रख पाई, और एक सीट (नागालैंड) में उसके द्वारा समर्थित NDPP प्रत्याशी की जीत हुई, लेकिन शेष सभी स्थानों पर विपक्ष ने BJP को पटखनी दे दी, या कब्ज़ा बरकरार रखा...
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जनवरी, 2018 में राजस्थान की दो - अलवर तथा अजमेर - सीटों व पश्चिम बंगाल की उलुबेरिया सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिनमें कांग्रेस ने राजस्थान की दोनों सीटें BJP के कब्ज़े से निकाल लीं... अलवर में BJP सांसद महंत चांदनाथ की मृत्यु के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के करण सिंह यादव ने BJP के जसवंत यादव को पराजित कर कांग्रेस की लोकसभा सीटों की संख्या को बढ़ाया, और अजमेर में BJP सांसद सांवर लाल जाट की मृत्यु की वजह से हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा ने BJP के रामस्वरूप लाम्बा को हराकर कांग्रेस को जीत दिलाई... उधर, पश्चिम बंगाल की उलुबेरिया सीट से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सुल्तान अहमद के निधन के बाद कराए गए उपचुनाव में TMC प्रत्याशी सज़दा अहमद ने BJP उम्मीदवार अनुपम मलिक को 4,74,000 से भी ज़्यादा वोटों से हराया...
मार्च, 2018 में हुए उपचुनाव को BJP के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा सकता है, क्योंकि इसमें BJP ने वे सीटें गंवाईं, जिन्हें उसका गढ़ माना जाता रहा था... यही उपचुनाव विपक्ष के लिए भी बहुत बड़ा सबक बनकर सामने आए, क्योंकि इसमें दो धुर-विरोधी दलों ने एक साथ आकर BJP को वहां पटखनी दी, जहां उन्हें हराना लगभग नामुमकिन माना जाता रहा था... इस उपचुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (SP) के बीच असंभव-सा गठबंधन हुआ... उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट से योगी आदित्यनाथ को लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ा था, और इस पर हुए उपचुनाव में BJP के उपेंद्र दत्त शुक्ला को हराकर समाजवादी पार्टी (SP) के टिकट पर लड़े प्रवीण कुमार निषाद ने जीत हासिल की... इसके साथ ही UP के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर लोकसभा सीट पर भी इसी विपक्षी गठबंधन के चलते BJP के कौशलेंद्र सिंह पटेल को SP के नागेंद्र प्रताप सिंह ने 59,000 से ज़्यादा वोटों से पराजित कर दिया... मार्च, 2018 में बिहार की अररिया सीट पर भी उपचुनाव हुआ था, क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मोहम्मद तसलीमुद्दीन का देहांत हो गया था, लेकिन इस सीट पर RJD का कब्ज़ा बरकरार रहा, और सरफराज़ आलम ने BJP के प्रदीप कुमार सिंह को हरा दिया...
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मई, 2018 में हुए उपचुनाव में भी BJP को नुकसान हुआ, क्योंकि इस बार चार सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें BJP ने अपने कब्ज़े की दो सीटें गंवा दीं... उत्तर प्रदेश में कैराना और महाराष्ट्र की भंडारा-गोंडिया सीटों पर BJP प्रत्याशी हार गए, हालांकि वह पालघर लोकसभा सीट पर कब्ज़ा बरकरार रखने में कामयाब रही... BJP सांसद हुकुम सिंह के निधन से रिक्त हुई कैराना सीट पर SP, BSP, राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और कांग्रेस के महागठबंधन ने जीत हासिल की, और RLD प्रत्याशी बेगम तबस्सुम हसन ने BJP उम्मीदवार मृगांका सिंह को 50,000 से भी ज़्यादा वोटों से हराया... महाराष्ट्र की भंडारा-गोंडिया सीट पर BJP सांसद नाना पटोले के कांग्रेस में शामिल हो जाने की वजह से उपचुनाव करवाना पड़ा था, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मधुकर कुकड़े ने BJP के हेमंत पाटले को हराकर जीत हासिल की... महाराष्ट्र की ही पालघर सीट BJP सांसद चिंतामन वांगा के निधन से खाली हुई थी, और इस पर BJP के ही राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास चिंतामन वांगा को पराजित किया... उधर, पूर्वोत्तर भारत में भी नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट से सांसद नीफियू रियो के मुख्यमंत्री बन जाने से यहा उपचुनाव करवाया गया, और NDPP के तोखेहो येपथॉमी ने जीत हासिल की, जिन्हें BJP का समर्थन हासिल था...
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साल के अंत की ओर आते-आते BJP को एक और झटका लगा, जब नवंबर में कर्नाटक की तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, और अपने कब्ज़े की एक सीट BJP गंवा बैठी... बेल्लारी सीट पर BJP से सांसद रहे श्रीरामुलू ने राज्य विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था, सो, यहां उपचुनाव करवाए गए, लेकिन राज्य में सत्तासीन JDS-कांग्रेस गठबंधन को बरकरार रखते हुए JDS ने यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी, और वीएस उगरप्पा ने BJP की जे. शांता को पराजित किया... इसके अलावा राज्य की दोनों लोकसभा सीटों पर जिन पार्टियों को कब्ज़ा था, वह बरकरार रहा... मांड्या से JDS सांसद सीएस पुत्ताराजू के राज्य सरकार में मंत्री बन जाने से खाली हुई सीट पर JDS के ही एलआर शिवरामेगौड़ा ने BJP के आर. सिद्धारमैया को तीन लाख से भी ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया, जबकि शिमोगा सीट पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के विधानसभा में पहुंच जाने की वजह से रिक्त हुई, और उपचुनाव में उनके पुत्र बीवाई राघवेंद्र ने कांग्रेस के एचएस शांतावीरप्पा को हराकर पार्टी का कब्ज़ा बनाए रखा...
सो, कुल मिलाकर BJP ने बीतते जा रहे इस साल में आधी से भी ज़्यादा सीटें गंवा दीं, और 'मोदी लहर' का दावा फीका पड़ता दिखाई दिया... इसके अलावा केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन NDA के लिए मुसीबत और बढ़ जाएगी, अगर लोकसभा चुनाव 2019 में भी विपक्ष ने इन उपचुनाव-सरीखा कोई महागठबंधन तैयार कर लिया...
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