महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
महबूबा मुफ्ती की सोमवार की दिल्ली यात्रा को जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन की नई उम्मीदें के रूप में देखा जा रहा है। उकी इस यात्रा से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बीजेपी के बीच सरकार गठन पर चर्चा के फिर शुरू होने की अटकलें तेज हो गई है।
इससे पहले महबूबा की बीजेपी प्रमुख अमित शाह के साथ बातचीत नाकाम नही थी और पीडीपी प्रमुख वापस जम्मू-कश्मीर लौट गई थीं। वैसे उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना था कि दोनों पार्टियों के बीच की दूरी को पाटने और गठजोड़ को नए सिरे से करने की उम्मीद की हल्की किरण अभी भी बाकी है।
महबूबा ने दिल्ली दौरे का निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दिए गए इए बयान के बाद लिया है कि जिसमें जेटली ने कहा था कि बीजेपी पिछले साल जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए पीडीपी के साथ किए गए गठबंधन के एजेंडे को लेकर पूरी तरह से संकल्पित है।
दोनों पार्टियों के बीच इस गठबंधन की भूमिका महबूबा के पिता और जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मो. सईद ने बनाई थी जिनका निधन इस वर्ष जनवरी में हो गया है। पिता के निधन के बाद महबूबा ने तब तक सीएम के तौर पर शपथ लेने से इनकार कर दिया है जब तक कि उसकी प्रमुख मांगों का केंद्र सरकार की ओर से पूरा नहीं किया जाता। गौरतलब है कि केंद्र में बीजेपी सत्ता में हैं। पीडीपी इस बारे में लिखित आश्वासन चाहती है। पार्टी का तर्क है कि वह केवल गठबंधन के एजेंडे के क्रियान्वयन की मांग कर रही है। महबूबा और अमित शाह की बैठक के एक दिन बाद पिछले शुक्रवार को बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा था, 'राज्य सरकार की मांगों पर विचार करने को केंद्र हमेशा तैयार है कि सरकार के गठन के लिए किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया जा सकता।' उन्होंने माना था कि इस दिशा में गतिरोध अभी कायम है।
इससे पहले महबूबा की बीजेपी प्रमुख अमित शाह के साथ बातचीत नाकाम नही थी और पीडीपी प्रमुख वापस जम्मू-कश्मीर लौट गई थीं। वैसे उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना था कि दोनों पार्टियों के बीच की दूरी को पाटने और गठजोड़ को नए सिरे से करने की उम्मीद की हल्की किरण अभी भी बाकी है।
महबूबा ने दिल्ली दौरे का निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दिए गए इए बयान के बाद लिया है कि जिसमें जेटली ने कहा था कि बीजेपी पिछले साल जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए पीडीपी के साथ किए गए गठबंधन के एजेंडे को लेकर पूरी तरह से संकल्पित है।
दोनों पार्टियों के बीच इस गठबंधन की भूमिका महबूबा के पिता और जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मो. सईद ने बनाई थी जिनका निधन इस वर्ष जनवरी में हो गया है। पिता के निधन के बाद महबूबा ने तब तक सीएम के तौर पर शपथ लेने से इनकार कर दिया है जब तक कि उसकी प्रमुख मांगों का केंद्र सरकार की ओर से पूरा नहीं किया जाता। गौरतलब है कि केंद्र में बीजेपी सत्ता में हैं। पीडीपी इस बारे में लिखित आश्वासन चाहती है। पार्टी का तर्क है कि वह केवल गठबंधन के एजेंडे के क्रियान्वयन की मांग कर रही है। महबूबा और अमित शाह की बैठक के एक दिन बाद पिछले शुक्रवार को बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा था, 'राज्य सरकार की मांगों पर विचार करने को केंद्र हमेशा तैयार है कि सरकार के गठन के लिए किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया जा सकता।' उन्होंने माना था कि इस दिशा में गतिरोध अभी कायम है।
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