कश्मीर में यूरोपियन सांसदों के दौरे को लेकर हुए विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- यह हमारा अधिकार है

जम्मू-कश्मीर में यूरोपियन सांसदों के दौरे को लेकर हुए विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि यह उसका अधिकार है कि वह सिविल सोसायटी के लोगों को वो आमंत्रित करे.

कश्मीर में यूरोपियन सांसदों के दौरे को लेकर हुए विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- यह हमारा अधिकार है

EU सांसदों का एक दल कश्मीर के दौरे पर आया था.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में यूरोपियन सांसदों के दौरे को लेकर हुए विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह उसका अधिकार है कि वह सिविल सोसायटी के लोगों को वो आमंत्रित करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि कई बार लोग अपने निजी यात्रा पर आते हैं तब भी कई बार राष्ट्रीय हित में हम उनसे आधिकारिक तौर पर मिलते हैं भले ही वो निजी यात्रा पर हों. यूरोपीयन सांसदों ने  भारत को जानने और समझने की  इच्छा जताई थी. जब उन्होंने अलग अलग माध्यमों से संपर्क किया, उनमें विभिन्न विचारधारा के लोग थे. उन्हें कश्मीर जाने में सपोर्ट किया गया था.

वहीं करतारपुर कॉरिडोर को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि  पहले जत्थे की सूची पाकिस्तान को दे दी गयी है. उन्होंने कहा,  'अगर करतारपुर भी जा रहे हैं तो आप दूसरे देश में जा रहे हैं.  लोगों को (नवजोत सिंह सिद्धू) पता है कि उन्हें अनुमति लेना है या नहीं. ननकाना साहिब की भी क्षमता 3000 श्रद्धालुओं से बढ़ाकर 10000 करने की मांग की गई है लेकिन इस पर पाकिस्तान से जवाब नहीं आया है. वहीं कश्मीर को लेकर चीन के बयान पर भी विदेश मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने अनाधिकृत तरीके से कश्मीर में भारतीय क्षेत्र को कब्ज़ा कर रखा है. इतना ही नहीं बल्कि तथाकथित CPEC को लेकर भी भारत अपनी चिन्ता को जाहिर करता रहा है. 

आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन के 27 सांसद कश्मीर दौरे पर आए थे. जिनमें सेस 23 को दिन के लिए कश्मीर ले जाया गया था. उनका यह दौरा विवादों में घिर गया है. एक ओर तो आरोप लग रहा है कि मादी शर्मा की नाम की एक महिला ने इस सांसदों के इस दौरे का पूरा इंतजाम किया था और इस पूरी कवायद में उनकी क्या भूमिका थी. वहीं कांग्रेस का कहना है कि भारतीय सांसदों को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है जबकि दूसरे देशों को कश्मीर घुमाया जा रहा है यह भारतीय संसद का अपमान है. वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी इस पर सवाल उठाया है.

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