नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी में 23 वर्षीया एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म पर फूटे जनाक्रोश ने छह दिन बाद शनिवार को अति सुरक्षित क्षेत्र रायसीना हिल को भी हिला दिया। आखिकार प्रधानमंत्री को केंद्रीय गृह मंत्री को हिदायत देनी पड़ी कि दिल्ली में इस तरह का माहौल कायम किया जाए कि लोग सुरक्षित महसूस करें। वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने को कहा।
शनिवार का दिन विकराल रूप ले लेगा, यह किसी को अंदाजा नहीं था। रायसीना हिल पर जोरदार प्रदर्शन हुआ और विजय चौक का नजारा 'तहरीर चौक' की याद ताजा कर गया। इंडिया गेट से लेकर रायसीना हिल तक लगभग 2.5 किलोमीटर लंबा राजपथ हजारों की संख्या में आए प्रदर्शनकारियों से भर गया।
प्रदर्शन में अधिक संख्या छात्राओं और महिलाओं की थी। अति सुरक्षित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों की इतनी बड़ी संख्या देख पुलिस अधिकारी सकते में आ गए। आक्रोशित भीड़ जब बैरिकेडों को गिराते हुए राष्ट्रपति भवन के समक्ष जमा होकर नारेबाजी करने लगी तब पुलिस ने आंसूगैस छोड़े, पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया।
कार्रवाई में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हो गए जिन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। प्रदर्शनकारी फिर भी दिनभर डटे रहे और सरकार की तरफ से आश्वासन का इंतजार करते रहे।
प्रदर्शनकारी सुबह से ही जमा होना शुरू हो गए थे और उनका साथ देने के लिए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह भी वहां पहुंच गए।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सबसे पहले पानी की बौछार की लेकिन जब प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए तब उन्होंने आंसूगैस छोड़ी और लाठियां चलाईं। बाद में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया। महिलाएं हाथ से चूड़ियां निकालकर पुलिस की ओर फेंकने लगीं तो कुछ ने चप्पलें भी फेंकीं।
रायसीना हिल से हटने के बाद प्रदर्शनकारी इंडिया गेट पर जमा हो गए और वहां से खदेड़े जाने के बाद फिर रायसीना हिल पर एकत्र हो गए। यही क्रम दिनभर जारी रहा। ताज्जुब की बात यह थी कि इस आंदोलन का कोई नेता नहीं था, लोग बिना बुलाए ही जुटते गए और कारवां बनता गया।
हालात की नजाकत भांपकर शाम को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से कहा कि दिल्ली में इस तरह का माहौल कायम किया जाए कि लोग सुरक्षित महसूस करें और 23 वर्षीय युवती के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटना दोहराई न जाएं।
इससे पहले, शिंदे ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने शिंदे से कहा कि वह राजधानी में सुरक्षा का भाव सुनिश्चित कराएं।
आंदोलन पर सियासत :
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री से इस मसले पर बात की और कहा कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाएं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि लोगों का आक्रोश न्यायसंगत है और सरकार को उनकी चिंताओं पर चिंतन करने की जरूरत है।
वहीं, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने के लिए एक उदाहरणी कानून बनने की खातिर प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया।
इस बीच, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि पुलिस से संयम बरतने को कहा गया है और सरकार लोगों की मांग के मुताबिक काम कर रही है।
मंत्री ने एक समाचार चैनल से कहा कि पुलिस लोगों को बैरिकेड तोड़कर सरकारी इमारतों में घुसने की इजाजत नहीं दे सकती।
शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे हैं वहां पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हुड़दंग भी मचा रहे हैं।
सिंह ने कहा, "मैं आंसू गैस के गोले छोड़ने को सही नहीं बता रहा।" उन्होंने कहा कि लोग बैरिकेड तोड़ कर राष्ट्रपति भवन और अन्य मुख्य सरकारी कार्यालयों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि सरकार लोगों की बात सुन रही है। पुलिस दुष्कर्म के मामले में अधिकतम सजा की मांग करेगी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि चाहे जितनी भी कार्रवाई हो, वे यहीं रुके रहेंगे।
एक कॉलेज छात्रा रितिका ने कहा, "हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने हमें मारना शुरू किया। क्या ये लोकतंत्र है? हम सिर्फ एक कड़े कानून की मांग कर रहे हैं।"
भाजपा ने भी छात्र-छात्राओं पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि प्रधानमंत्री को इस मसले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "वे हमारे बच्चे हैं..उन पर कार्रवाई उचित नहीं है। वे पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं।"
पोस्टरों-बैनरों में झलका आक्रोश :
एक बैनर पर लिखा था, "महिला मुख्यमंत्री (शीला दीक्षित), महिला लोकसभा अध्यक्ष (मीरा कुमार), महिला संप्रग की अध्यक्ष (सोनिया गांधी) और विपक्ष की नेता (सुषमा स्वराज) भी महिला, फिर भी महिलाएं असुरक्षित।"
एक अन्य बैनर पर लिखा था, "दिल्ली पुलिस, हमारी चूड़ियां ले लो और हमें बंदूकें दे दो। हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगी।"
एक पोस्टर में यह भी लिखा था, "यदि दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाती तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का बहिष्कार करें।"
पीड़िता की हालत में सुधार, खतरा बरकरार :
सफदरजंग अस्पताल में भर्ती युवती की हालत में सुधार हो रहा है और वह अपने भविष्य को लेकर आशावादी है लेकिन उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा बरकरार है।
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक बीडी अथानी ने कहा, "उसके सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन संक्रमण का खतरा बरकरार है।"
चिकित्सकों के दल में शामिल एक अन्य चिकित्सक ने कहा, "उसके रक्त में श्वेत रक्त कणों (डब्ल्यूबीसी) की संख्या में सुधार हुआ है। यह 2,600 है और शुक्रवार से बेहतर है। लेकिन प्लेटलेट काउंट शुक्रवार की अपेक्षा कम है। उसे प्लाज्मा वाला रक्त चढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
चिकित्सकों ने बताया कि उसे सुबह से पानी और सेब का जूस दिया जा रहा है। एक अन्य चिकित्सक ने कहा, "प्लेटलेट काउंट में गिरावट को छोड़ दें तो उसके हर अंग ठीक से काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पीड़िता के टोटल लिम्फोसाइट काउंट (टीएलसी) में कमी आई है जिससे उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा मौजूद है, जो चिंता का विषय है।
शनिवार को पहली बार मनोचिकित्सकों के एक दल ने उसकी स्थिति का आकलन किया। डॉ. अभिलाषा यादव ने कहा, "वह बहादुर लड़की है और सकारात्मक सोचती है तथा अपने भविष्य को लेकर आशावादी है। उसकी जैविक और मानसिक स्थिति सामान्य है। वह बिल्कुल संतुलित और शांत है।"
पीड़िता ने बयान दर्ज कराया :
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पीड़िता ने पूरे घटना के बारे में एसडीएम को जानकारी दी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब उसका बयान न्यायालय में पेश किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि गत रविवार रात चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और क्रूरता के कारण उसकी हालत बिगड़ने से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है। कई बिहार सहित कई राज्यों में शनिवार को भी प्रदर्शन किया गया।
शनिवार का दिन विकराल रूप ले लेगा, यह किसी को अंदाजा नहीं था। रायसीना हिल पर जोरदार प्रदर्शन हुआ और विजय चौक का नजारा 'तहरीर चौक' की याद ताजा कर गया। इंडिया गेट से लेकर रायसीना हिल तक लगभग 2.5 किलोमीटर लंबा राजपथ हजारों की संख्या में आए प्रदर्शनकारियों से भर गया।
प्रदर्शन में अधिक संख्या छात्राओं और महिलाओं की थी। अति सुरक्षित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों की इतनी बड़ी संख्या देख पुलिस अधिकारी सकते में आ गए। आक्रोशित भीड़ जब बैरिकेडों को गिराते हुए राष्ट्रपति भवन के समक्ष जमा होकर नारेबाजी करने लगी तब पुलिस ने आंसूगैस छोड़े, पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया।
कार्रवाई में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हो गए जिन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। प्रदर्शनकारी फिर भी दिनभर डटे रहे और सरकार की तरफ से आश्वासन का इंतजार करते रहे।
प्रदर्शनकारी सुबह से ही जमा होना शुरू हो गए थे और उनका साथ देने के लिए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह भी वहां पहुंच गए।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सबसे पहले पानी की बौछार की लेकिन जब प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए तब उन्होंने आंसूगैस छोड़ी और लाठियां चलाईं। बाद में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया। महिलाएं हाथ से चूड़ियां निकालकर पुलिस की ओर फेंकने लगीं तो कुछ ने चप्पलें भी फेंकीं।
रायसीना हिल से हटने के बाद प्रदर्शनकारी इंडिया गेट पर जमा हो गए और वहां से खदेड़े जाने के बाद फिर रायसीना हिल पर एकत्र हो गए। यही क्रम दिनभर जारी रहा। ताज्जुब की बात यह थी कि इस आंदोलन का कोई नेता नहीं था, लोग बिना बुलाए ही जुटते गए और कारवां बनता गया।
हालात की नजाकत भांपकर शाम को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से कहा कि दिल्ली में इस तरह का माहौल कायम किया जाए कि लोग सुरक्षित महसूस करें और 23 वर्षीय युवती के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटना दोहराई न जाएं।
इससे पहले, शिंदे ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने शिंदे से कहा कि वह राजधानी में सुरक्षा का भाव सुनिश्चित कराएं।
आंदोलन पर सियासत :
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री से इस मसले पर बात की और कहा कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाएं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि लोगों का आक्रोश न्यायसंगत है और सरकार को उनकी चिंताओं पर चिंतन करने की जरूरत है।
वहीं, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने के लिए एक उदाहरणी कानून बनने की खातिर प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया।
इस बीच, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि पुलिस से संयम बरतने को कहा गया है और सरकार लोगों की मांग के मुताबिक काम कर रही है।
मंत्री ने एक समाचार चैनल से कहा कि पुलिस लोगों को बैरिकेड तोड़कर सरकारी इमारतों में घुसने की इजाजत नहीं दे सकती।
शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे हैं वहां पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हुड़दंग भी मचा रहे हैं।
सिंह ने कहा, "मैं आंसू गैस के गोले छोड़ने को सही नहीं बता रहा।" उन्होंने कहा कि लोग बैरिकेड तोड़ कर राष्ट्रपति भवन और अन्य मुख्य सरकारी कार्यालयों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि सरकार लोगों की बात सुन रही है। पुलिस दुष्कर्म के मामले में अधिकतम सजा की मांग करेगी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि चाहे जितनी भी कार्रवाई हो, वे यहीं रुके रहेंगे।
एक कॉलेज छात्रा रितिका ने कहा, "हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने हमें मारना शुरू किया। क्या ये लोकतंत्र है? हम सिर्फ एक कड़े कानून की मांग कर रहे हैं।"
भाजपा ने भी छात्र-छात्राओं पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि प्रधानमंत्री को इस मसले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "वे हमारे बच्चे हैं..उन पर कार्रवाई उचित नहीं है। वे पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं।"
पोस्टरों-बैनरों में झलका आक्रोश :
एक बैनर पर लिखा था, "महिला मुख्यमंत्री (शीला दीक्षित), महिला लोकसभा अध्यक्ष (मीरा कुमार), महिला संप्रग की अध्यक्ष (सोनिया गांधी) और विपक्ष की नेता (सुषमा स्वराज) भी महिला, फिर भी महिलाएं असुरक्षित।"
एक अन्य बैनर पर लिखा था, "दिल्ली पुलिस, हमारी चूड़ियां ले लो और हमें बंदूकें दे दो। हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगी।"
एक पोस्टर में यह भी लिखा था, "यदि दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाती तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का बहिष्कार करें।"
पीड़िता की हालत में सुधार, खतरा बरकरार :
सफदरजंग अस्पताल में भर्ती युवती की हालत में सुधार हो रहा है और वह अपने भविष्य को लेकर आशावादी है लेकिन उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा बरकरार है।
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक बीडी अथानी ने कहा, "उसके सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन संक्रमण का खतरा बरकरार है।"
चिकित्सकों के दल में शामिल एक अन्य चिकित्सक ने कहा, "उसके रक्त में श्वेत रक्त कणों (डब्ल्यूबीसी) की संख्या में सुधार हुआ है। यह 2,600 है और शुक्रवार से बेहतर है। लेकिन प्लेटलेट काउंट शुक्रवार की अपेक्षा कम है। उसे प्लाज्मा वाला रक्त चढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
चिकित्सकों ने बताया कि उसे सुबह से पानी और सेब का जूस दिया जा रहा है। एक अन्य चिकित्सक ने कहा, "प्लेटलेट काउंट में गिरावट को छोड़ दें तो उसके हर अंग ठीक से काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पीड़िता के टोटल लिम्फोसाइट काउंट (टीएलसी) में कमी आई है जिससे उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा मौजूद है, जो चिंता का विषय है।
शनिवार को पहली बार मनोचिकित्सकों के एक दल ने उसकी स्थिति का आकलन किया। डॉ. अभिलाषा यादव ने कहा, "वह बहादुर लड़की है और सकारात्मक सोचती है तथा अपने भविष्य को लेकर आशावादी है। उसकी जैविक और मानसिक स्थिति सामान्य है। वह बिल्कुल संतुलित और शांत है।"
पीड़िता ने बयान दर्ज कराया :
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पीड़िता ने पूरे घटना के बारे में एसडीएम को जानकारी दी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब उसका बयान न्यायालय में पेश किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि गत रविवार रात चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और क्रूरता के कारण उसकी हालत बिगड़ने से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है। कई बिहार सहित कई राज्यों में शनिवार को भी प्रदर्शन किया गया।
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