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This Article is From Feb 10, 2013

शहीदों के परिजन पदक वापस लेने को तैयार

शहीदों के परिजन पदक वापस लेने को तैयार
नई दिल्ली/जयपुर: संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने में हुई देरी के कारण पदक लौटाने वाले शहीद जवानों के परिजनों ने कहा कि न्याय होने के बाद वे पदक लेने को तैयार हैं।

शहीदों के परिजनों ने भावुक होते हुए कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर उन्हें अफजल की दया याचिका खारिज करने के लिए धन्यवाद देंगे जिसके चलते शनिवार सुबह उसे फांसी दी गई और 11 साल का इंतजार खत्म हुआ।

13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में ड्यूटी पर तैनात मातबर सिंह नेगी के पुत्र गौतम ने अफजल को फांसी दिए जाने पर कहा, ‘देर आए दुरुस्त आए।’ गौतम नेगी ने कहा, ‘सरकार का यह अच्छा फैसला है और यह कदम उन आतंकवादी संगठनों को कड़ा संदेश भेजेगा जो भारत में समस्या पैदा करने की सोच रहे हैं।’

परिजनों ने कहा कि वे सरकार द्वारा शहीद जवानों के सम्मान में दिए गए बहादुरी पदकों को स्वीकार कर लेंगे जो उन्होंने 2006 में न्याय में देरी के विरोध स्वरूप लौटा दिए थे।

13 दिसंबर, 2001 को आतंकवादियों के साथ गोलीबारी में शहादत देने वाले राज्यसभा के सहायक सुरक्षा अधिकारी जेपी यादव की पत्नी प्रेम और मां सिमली देवी ने कहा कि टीवी से संसद पर हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी देने की खबर से मन को तसल्ली पहुंची और खुशी हुई।

प्रेम ने कहा, ‘आज का दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए खुशियां लेकर आया है क्योंकि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को देर से ही सही लेकिन फांसी दे दी गई।’

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