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This Article is From Aug 31, 2013

प्रधानमंत्री का रवैया ‘क्रोध और निराशावाद’ का है : जेटली

प्रधानमंत्री का रवैया ‘क्रोध और निराशावाद’ का है : जेटली
फाइल फोटो
नई दिल्ली: राज्यसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वाक-युद्ध के दूसरे दिन उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने आज कहा कि सिंह का रवैया ‘‘क्रोध और निराशावाद’’ का था और यह दर्शाता है कि उनके पास अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवत करने के विचार नहीं रह गए हैं।

जेटली ने कहा कि सिंह ने शुक्रवार को संसद में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में दिए गए अपने बयान में हमें यह तो नहीं बताया कि अर्थव्यवस्था को सुधारने का उनका खाका क्या है, और इसकी बजाय वह क्रोधित और निराशावादी नजर आए। यह रवैया दर्शाता है कि आपके पास अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के कोई विचार नहीं हैं। आपके पास विचार समाप्त हो गए हैं। उन्होंने यहां भाजपा के कानूनी एवं विधायी प्रकोष्ठ की गोष्ठी में कहा कि उच्च सदन में सिंह के रवैये को देख कर उन्हें तथ्यों में कमजोर पड़ने पर तर्क देने की बजाय डेस्क ठोकने की वकीलों की आदत याद हो आई।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया कि आतंकवाद के मुद्दे पर वह वोट बैंक की राजनीति कर रही है।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वोट बैंक की राजनीति के चलते ही इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी में राज्य सरकार ने कथित सहयोग नहीं किया।

जेटली ने कहा, राज्य सरकारों को भी आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी के बारे में सोचना चाहिए। भारत नहीं रहेगा, तो कौन रहेगा?  सुरक्षा एजेंसियों के बारे में उन्होंने कहा कि रकसौल-नेपाल सीमा पर भटकल की गिरफ्तारी से जुड़े सभी तथ्यों को सामने रखा जाना चाहिए जिससे यह मालूम चल सके कि किसने अपनी ड्यूटी निभाई और किसने नहीं।

भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में 17 साल रही जदयू ने भाजपा में नरेन्द्र मोदी का कद बढ़ने पर इस गठबंधन से नाता तोड़ लिया है। कहा जाता है कि उसे भय है कि राजग में मोदी का वर्चस्व बढ़ने पर उसके इस गठबंधन में बने रहने से अल्पसंख्यकों के वोट उससे दूर हो जाएंगे।

बटला हाउस मुठभेड़ का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा, हम पांच साल से सुनते आए हैं कि यह फर्जी मुठभेड़ है, लेकिन दिल्ली की एक अदालत ने हकीकत सबके सामने रख दी। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के चलते ही कुछ दलों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताने का रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि पोटा को भी इसी नजरिए के चलते समाप्त किया गया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, आतंकवाद के विरुद्ध हमें जाति और धर्म से ऊपर उठ कर लड़ना होगा।

संप्रग को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने दावा किया कि इसके विरुद्ध बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर चल रही है और अगले आम चुनावों में भ्रष्टाचार तथा रसातल में जा रही अर्थव्यवस्था मुख्य चुनावी मुद्दे होंगे।

उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि यह सरकार अर्थव्यवस्था से नियंत्रण खो चुकी है और उसका प्रबंधन करने में पूरी तरह विफल है।

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