मनीष कुमार की कलम से : क्या होगा जीतन राम मांझी का

फाइल फोटो

पटना:

बिहार में बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भविष्यवाणी की है कि जीतन राम मांझी 15 फरवरी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। इस बयान का आधार क्या है, मोदी बता नहीं रहे हैं, लेकिन उनका दावा है कि उनकी खबर पुख्ता है। इस बीच जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष, शरद यादव , मंगलवार शाम पटना पहुंचे हैं, हालांकि शरद यादव का पटना आगमन इन दिनों पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों की बैठक से संबंधित है, जहां अब शरद यादव भी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को बीजेपी से दो-दो हाथ करने की गुर सिखाएंगे।

सवाल है कि क्या मांझी जाएंगे। अगर नीतीश कुमार के समर्थक विधायकों और मंत्रियों से आप पूछेंगे तो उनका कहना है कि जितने दिन मांझी कुर्सी पर रहेंगे पार्टी का बंटाधार ही होगा। इन विधायकों और मंत्रियों का मानना है कि मांझी दलित समुदाय के भी नहीं हैं। हाल के दिनों में दलित अधिकारियों के तबादले कर जब भी अच्छी जगह भेजा जाता है, फिर या तो कोई न कोई पैसे के खेल में या कोई दबाव में उस फैसले को रद्द कर दिया जाता है। कई मंत्रियों के साथ अपने मतभेद को अब मांझी भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं।

दिक्कत है कि मांझी को हटाया कैसे जाये। क्योंकि इस बात में कोई शक नहीं कि मांझी दलित समुदाय के बिहार के नए नेता बन कर उभरे हैं और अपने आप को स्थापित भी कर लिया है और उन्हें भी मालूम है कि उनकी कुर्सी ज्यादा दिन नहीं रहने वाली। इसलिए बीजेपी के हर नेता से वो बहुत सहजता से मिलते हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, जब पटना दौरे पर आए तो उन्हें राजकीय अतिथि घोषित कर दिया, केंद्रीय मंत्री वह चाहे रामकृपाल यादव हों या उमा भारती उनसे घंटों मिलने में उन्हें परहेज नहीं। लेकिन बीजेपी की दिक्कत है कि मांझी को बहुत ज्यादा आगे कर वह राज्य की राजनीति नहीं कर सकती, क्योंकि बिहार में वह ख़राब शासन के प्रतीक भी हैं।

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मांझी के कार्यकाल में न केवल कानून व्यवस्था बल्कि विकास का काम भी उस रफ़्तार से नहीं चल रहा हैं जैसा नीतीश के दिनों में देखा जाता था। दूसरा मांझी जनता दल युनाइटेड के हर बागी नेता से न केवल सम्पर्क में रहते हैं बल्कि उनकी यात्रा या मुकदमा सबकी खुद मॉनिटरिंग भी करते हैं। मांझी की उम्मीद होगी की बीजेपी और जनता दल युनाइटेड के बागी विधायक राज्यपाल से जुगाड़ कर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाये रखें। इसलिए आने वाले दिनो में बिहार की राजनीति में खासा उठापटक का दौर रहने वाला हैं।