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This Article is From Nov 22, 2012

तृणमूल कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस खारिज

तृणमूल कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस खारिज
नई दिल्ली: यूपीए के पूर्व घटक दल तृणमूल कांग्रेस की ओर से मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास विफल हो गया। पार्टी ऐसा प्रस्ताव लाने के लिए अपेक्षित संख्या नहीं जुटा पाई।

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन ममता बनर्जी की पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इसकी अनुमति नहीं दी, क्योंकि तृणमूल प्रस्ताव के लिए आवश्यक 50 सदस्य संख्या नहीं जुटा पाई। तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने नोटिस का मजमून पढ़ा और तृणमूल सदस्यों के अलावा बीजू जनता दल के तीन सदस्यों ने इसका समर्थन किया। लेकिन प्रस्ताव के लिए आवश्यक 50 सदस्य संख्या नहीं जुटा पाने के कारण अध्यक्ष ने इसे पेश करने की अनुमति नहीं दी।

बंदोपाध्याय की बात पर अध्यक्ष ने सदन से पूछा कि जो उनके समर्थन में हैं, खड़े हो जाएं। कांग्रेस सदस्यों की ओर से 'शर्म करो, शर्म करो' के नारे के बीच तृणमूल सदस्य अपनी जगहों पर खड़े हो गए। इस दौरान कांग्रेस और तृणमूल सदस्यों के बीच नोकझोक भी हुई। पर्याप्त समर्थन नहीं हो पाने के कारण मीरा कुमार ने कहा कि प्रस्ताव को सदन में नहीं पेश किया जा सकता।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि एफडीआई मुद्दे पर सपा के शैलेन्द्र कुमार और रेवती रमण सिंह तथा उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर बसपा के दारा सिंह चौहान की ओर से पेश कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस की जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने नेता विपक्ष सुषमा स्वराज को एफडीआई पर उनकी बात जारी रखने की अनुमति दी। सुषमा ने अपनी बात रखना शुरू ही किया था कि बसपा सदस्य फिर से नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गए और उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की कथित बिगड़ती स्थिति पर अपनी मांग दोहराने लगे।

इस बीच, तृणमूल सदस्य आसन के सामने आकर 'एफडीआई वापस लो' के नारे लगाने लगे। वाम दलों के सदस्य भी एफडीआई के विरोध में अपने स्थानों पर खड़े नजर आए। शोर-शराबे के बीच सुषमा ने दोपहर 12 बजे रखी गई अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सरकार ने एफडीआई मुद्दे पर सर्वसम्मति तो दूर आम सहमति भी बनाने का प्रयास नहीं किया। हम इस विषय पर मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम-184 के तहत अपनी बात रखने और सदन में चर्चा कराने की मांग करते हैं। हंगामा थमते न देख अध्यक्ष ने सदन की बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई का जबर्दस्त विरोध करते हुए ममता अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अड़ी हुई थीं, हालांकि इस मुद्दे पर वह विपक्षी दलों में अलग-थलग पड़ गई थीं। ममता ने कहा था कि अगर इस मुद्दे पर वामदल अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, तब इस प्रस्ताव का समर्थन करने में उन्हें कोई हिचक नहीं होगी।

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