गुड़गांव:
हरियाणा के मानेसर में अपने जन्मदिन के दिन बुधवार को बोरवेल में गिरी चार साल की माही 86 घंटे की कोशिशों के बाद भी लोगों के सामने एक शव के रूप में सामने आई।
रविवार दोपहर को 70 फुट गहरे बोरवेल से निकाली गई माही को मृत घोषित कर दिया गया। चिकित्सकों ने कहा कि माही की मौत बुधवार को या फिर अगले दिन ही हो गई थी क्योंकि उसका शव नष्ट हो गया था। बचावकर्मी बोरवेल के समानांतर खोदी गई सुरंग के रास्ते बच्ची तक पहुंचे थे।
माही के बोरवेल में गिरने के बाद बचाव अभियान शुरू करने में काफी देरी हुई थी और पिछले तीन दिनों से उसके पास भोजन और पानी नहीं पहुंचाया जा सका था। बोरवेल में ऑक्सीजन की सप्लाई भी तकरीबन तीन घंटे के बाद शुरू हुई। डॉक्टरों ने कहा था कि बगैर भोजन-पानी के उस हालात में 72 घंटे से ज्यादा वक्त तक जीवित रहना मुश्किल होता है।
माही के परिजनों ने प्रशासन पर बचाव कार्य देरी से शुरू करने का आरोप लगाया। ईएसआई अस्पताल में बच्ची का शव उसके पिता नीरज उपाध्याय को सौंप दिया गया। नीरज ने कहा, "कौन हमारी बेटी को वापस लाकर देगा।"
सेना के ब्रिगेडियर एसपी सिंह हालांकि स्वीकार किया कि चट्टान आने के कारण राहत कार्यों में बाधा पड़ी। उन्होंने कहा, "हम जिस तेजी से खुदाई करना चाहते थे वह नहीं हो सका। रास्ते में कई चट्टानें थीं।"
गुड़गांव के अधिकारियों ने बताया कि बच्ची को बचाने के प्रयासों में दिन-रात जुटे रहे सेना के जवानों के पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ चुकी थी।
माही बुधवार रात को बोरवेल में गिर गई थी। उसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया था।
चिकित्सकों ने माही का पोस्टमार्टम करने के बाद कहा कि उसका शव नष्ट हो गया था।
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों दीपक माथुर एवं बीबी अग्रवाल ने कहा, "वह उसी दिन या फिर अगले दिन ही मृत हो गई थी।" यद्यपि परीक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है। माही का शव उसके अभिभावकों को सौंप दिया गया।
माही की मौत की पुष्टि सबसे पहले सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण गर्ग ने की।
कुछ देर बाद गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा ने बच्ची की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि माही की मौत बोरवेल से निकाले जाने और मानेसर के ईएसआई अस्पताल ले जाए जाने से पहले ही हो चुकी थी।
इस खबर ने माही की सलामती की दुआएं करते हजारों लोगों को सकते में डाल दिया। हजारों की तादाद में लोग अस्पताल के बाहर और बोरवेल के पास मौजूद थे। बच्ची की मौत की खबर सुनते ही मां के धीरज का बांध टूट गया।
माही की मां ने कहा कि जब तक बचाव अभियान चला तब तक उनके परिवार को घर में नजरबंद रखा गया।
गुड़गांव पुलिस के अनुसार 26 फरवरी 2004 को इसी तरह चार साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था लेकिन उसे बचा लिया गया था।
रविवार दोपहर को 70 फुट गहरे बोरवेल से निकाली गई माही को मृत घोषित कर दिया गया। चिकित्सकों ने कहा कि माही की मौत बुधवार को या फिर अगले दिन ही हो गई थी क्योंकि उसका शव नष्ट हो गया था। बचावकर्मी बोरवेल के समानांतर खोदी गई सुरंग के रास्ते बच्ची तक पहुंचे थे।
माही के बोरवेल में गिरने के बाद बचाव अभियान शुरू करने में काफी देरी हुई थी और पिछले तीन दिनों से उसके पास भोजन और पानी नहीं पहुंचाया जा सका था। बोरवेल में ऑक्सीजन की सप्लाई भी तकरीबन तीन घंटे के बाद शुरू हुई। डॉक्टरों ने कहा था कि बगैर भोजन-पानी के उस हालात में 72 घंटे से ज्यादा वक्त तक जीवित रहना मुश्किल होता है।
माही के परिजनों ने प्रशासन पर बचाव कार्य देरी से शुरू करने का आरोप लगाया। ईएसआई अस्पताल में बच्ची का शव उसके पिता नीरज उपाध्याय को सौंप दिया गया। नीरज ने कहा, "कौन हमारी बेटी को वापस लाकर देगा।"
सेना के ब्रिगेडियर एसपी सिंह हालांकि स्वीकार किया कि चट्टान आने के कारण राहत कार्यों में बाधा पड़ी। उन्होंने कहा, "हम जिस तेजी से खुदाई करना चाहते थे वह नहीं हो सका। रास्ते में कई चट्टानें थीं।"
गुड़गांव के अधिकारियों ने बताया कि बच्ची को बचाने के प्रयासों में दिन-रात जुटे रहे सेना के जवानों के पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ चुकी थी।
माही बुधवार रात को बोरवेल में गिर गई थी। उसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया था।
चिकित्सकों ने माही का पोस्टमार्टम करने के बाद कहा कि उसका शव नष्ट हो गया था।
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों दीपक माथुर एवं बीबी अग्रवाल ने कहा, "वह उसी दिन या फिर अगले दिन ही मृत हो गई थी।" यद्यपि परीक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है। माही का शव उसके अभिभावकों को सौंप दिया गया।
माही की मौत की पुष्टि सबसे पहले सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण गर्ग ने की।
कुछ देर बाद गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा ने बच्ची की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि माही की मौत बोरवेल से निकाले जाने और मानेसर के ईएसआई अस्पताल ले जाए जाने से पहले ही हो चुकी थी।
इस खबर ने माही की सलामती की दुआएं करते हजारों लोगों को सकते में डाल दिया। हजारों की तादाद में लोग अस्पताल के बाहर और बोरवेल के पास मौजूद थे। बच्ची की मौत की खबर सुनते ही मां के धीरज का बांध टूट गया।
माही की मां ने कहा कि जब तक बचाव अभियान चला तब तक उनके परिवार को घर में नजरबंद रखा गया।
गुड़गांव पुलिस के अनुसार 26 फरवरी 2004 को इसी तरह चार साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था लेकिन उसे बचा लिया गया था।
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