महाराष्ट्र में शिवसेना किसानों के पक्ष में, सीएम फडणवीस ने गठित की मंत्रियों की समिति

शिवसेना ने कहा- मध्यावधि चुनाव से बचना है तो किसानों का पूरा कर्ज माफ करे फडणवीस सरकार

महाराष्ट्र में शिवसेना किसानों के पक्ष में, सीएम फडणवीस ने गठित की मंत्रियों की समिति

महाराष्ट्र में किसानों ने राज्य सरकार को सोमवार से आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

खास बातें

  • किसानों के मुद्दों पर विचार करने के लिए मंत्रियों की समिति गठित
  • शिवसेना ने कहा, मध्यावधि चुनाव के लिए बीजेपी से बेहतर तैयारी
  • किसानों ने सोमवार से आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल शिवसेना खुद ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के पक्ष में खड़ी हो गई है. शिवसेना ने बीजेपी से कहा है कि यदि वह राज्य में मध्यावधि चुनाव से बचना चाहती है तो किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ करे. दूसरी तरफ किसानों के हड़ताल पर जाने के नौ दिन बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को किसानों की कर्जमाफी सहित अन्य मांगों पर विचार करने के लिए मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है. इस समिति के अध्यक्ष राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील बनाए गए हैं.   

किसानों के पक्ष में शिवसेना ने अपना नजरिया ऐसे समय में जाहिर किया है जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार किसानों के प्रदर्शन के चलते विपक्ष के निशाने पर है. इस बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि भाजपा समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने पर भी विचार कर रही है. महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार अक्तूबर 2014 में बनी थी.

सीएम फडणवीस ने किसानों के प्रदर्शन के बीच छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी, लेकिन शिवसेना किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ करने की मांग कर रही है.

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक मराठी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि यदि पार्टी सत्ता छोड़ देती है तो उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राउत ने कहा, ‘‘हम कुछ नहीं गंवाएंगे और यदि हम सत्ता छोड़ भी दें तो हम पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. मध्यावधि चुनाव की सूरत में हम भाजपा से बेहतर तरीके से तैयार हैं. यदि सरकार इससे बचना चाहती है तो उसे किसानों का कर्ज तत्काल पूरी तरह माफ कर देना चाहिए.’’

शिवसेना राज्य सरकार में होकर भी हमेशा अपनी खिचड़ी अलग पकाती रही है. उसके मौजूदा रुख से यही संकेत मिल रहे हैं कि वह राज्य में मध्यावधि चुनाव के हालात बनने पर सरकार से पृथक अपना राजनीतिक वजूद बनाए रखना चाहती है. वह किसानों के आंदोलन का भी राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में है.           

उधर महाराष्ट्र सरकार किसानों का आंदोलन शांत करने की कोशिश में जुटी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों के कर्ज की माफी सहित अन्य मुद्दों और मांगों पर विचार करने के लिए मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है. समिति की अध्यक्षता राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील करेंगे. समिति किसानों को कर्ज जारी करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के क्रियान्वयन और वरिष्ठ किसानों को पेंशन आदि मांगों पर विस्तार से विचार करेगी.

मंत्रियों की यह समिति किसान नेताओं को उनकी मांगों पर विचार के लिए आमंत्रित करेगी और सुझाव मांगेगी. इसके बाद सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी. इस समिति में पाटील के अलावा कृषि मंत्री पांडुरंग फुन्डकर, वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख, जल आपूर्ति मंत्री गिरीश महाजन और शिवसेना से परिवहन मंत्री दिवाकर रावते शामिल हैं.

मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि, "किसी भी समस्या का समाधान सिर्फ बातचीत से हो सकता है. हम किसानों से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं, जिसके लिए हमने यह समिति बनाई है. मैं सभी किसान नेताओं से अपील करता हूं कि सिर्फ बातचीत से ही समस्या का हल निकल सकता है."

राज्य सरकार को किसानों ने मांगें स्वीकार करने के लिए दो दिन का वक्त दिया था. इसके बाद समिति गठित करने का कदम उठाया गया है. किसानों ने मांगें स्वीकार न करने पर सोमवार को कलेक्टरों और राजस्व कार्यालयों का घेराव करने और इसके बाद मंगलवार को राज्य भर में रेल व सड़क यातायात जाम करने की चेतावनी दी है.

महाराष्ट्र में सीएम फडणवीस के छोटे किसानों को राहत के त्वरित फैसले और किसान संगठनों में आपसी फूट से आंदोलन मध्यप्रदेश की तरह उग्र रूप तो धारण नहीं कर पाया लेकिन फिलहाल हालात सामान्य नहीं हुए हैं. विपक्ष जहां किसानों के आंदोलन का लाभ लेकर सरकार को निशाना बना रहा है वहीं सरकार में शामिल शिवसेना भी बीजेपी को निशाना बना रही है. सीएम देवेंद्र फडणवीस    के सामने इन हालात से निपटने की कड़ी चुनौती है.    
(इनपुट एजेंसियों से)


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