महाराष्ट्र की सियासत पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं. अगर पूरी प्रक्रिया की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी (BJP) के पास विकल्प सीमित थे. अजित पवार (Ajit Pawar) ने हाथ खड़े कर दिए थे और कहा था कि इतने कम समय में जरूरी विधायकों को साथ लेना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में प्रोटेम स्पीकर की अध्यक्षता में विश्वास मत लेने को कहा गया जो आज तक कभी नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले ने बीजेपी का रास्ता बंद कर दिया था. अजित पवार ने भरोसा दिलाया था कि उनके पास बड़ी संख्या में विधायक हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बीजेपी का सरकार बनाने का फैसला सही था, सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसका दावा बनता था. अजित पवार के समर्थन से जरूरी संख्या जुटाने का भरोसा था.
बीजेपी को भरोसा था कि तीन पार्टियों की यह सरकार लंबी नहीं चलेगी. महाराष्ट्र में विपक्ष का पूरा स्पेस अब बीजेपी का है. बीजेपी के मुताबिक राज्य में जल्दी ही मध्यावधि चुनाव होंगे. इसके बाद बीजेपी को बहुमत से वापसी की उम्मीद है.
बता दें कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन से पहले बीजेपी विधायक कालिदास कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें शपथ दिलाई. शपथ लेने के बाद कालिदास कोलंबर ने कहा कि 27 नवंबर को विधानसभा का सत्र बुलाया गया है. उसी दिन सभी विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी.
इससे पहले दिन में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने का आदेश दिया था.
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