कोरोना महामारी से देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. एक तरफ पूरा महाराष्ट्र पाबंदियों से निकलकर रफ़्तार पकड़ रहा है तो दूसरी ओर डेल्टा प्लस के बढ़ते मामले और राज्य में मौजूद इसके तीन रूपों को देखते हुए पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था अलर्ट पर है. महाराष्ट्र में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं. राज्य में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले बढ़कर 76 हो चुके हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि डेल्टा प्लस के लक्षण भी अन्य कोरोना वैरिएंट से अलग हैं.
85% मामले डेल्टा वैरिएंट के
आम कोविड मरीज़ों की तुलना में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मरीजों में अलग लक्षण दिख रहे हैं. पेटदर्द, बदन पर रैशेज़ और पैर की उंगलियों का रंग बदलना. चिंता की बात यह है कि डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन को भी चकमा दे रहा है. महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस के 76 मरीजों में 10 वैक्सीन की दोनो डोज़ ले चुके हैं. इधर, मुंबई में 54% लक्षण वाले मरीज दिख रहे हैं, पहले लक्षण वाले मरीजों की संख्या 15-20% ही होती थी. महाराष्ट्र से अब तक सबसे ज़्यादा 11,968 सैम्पल जीनोम सीक्वेन्सिंग के लिए भेजे चुके हैं. इस साल फ़रवरी से जुलाई तक भेजे गए इन सैम्पल में से 85% मामले डेल्टा वैरिएंट के डिटेक्ट हुए हैं.
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वैक्सीन को भी चकमा दे रहा है डेल्टा प्लस
राज्य में डेल्टा प्लस के मामले बढ़कर 76 हो चुके हैं. इनमें से 10 लोग वैक्सीन की दोनो डोज़ ले चुके हैं. डेल्टा प्लस से मरने वालों की संख्या राज्य में पांच है. कोविड सेवा में तैनात एक्सपर्ट्स, डेल्टा प्लस के मरीज़ों में कोविड के आम लक्षणों से अलग लक्षण भी पा रहे हैं. ऐसे मरीज़ों के सैम्पल जीनोम सीक्वन्सिंग के लिए तुरंत भेजे जा रहे हैं. कोविड हॉस्पिटल के डॉ. द्यानेशवर वाघमारे ने बताया कि डेल्टा प्लस में जो हम अब्ज़र्व कर रहे हैं उसमें, पेट या पेट के नीचले हिस्से में दर्द, बदन पर रैशेज़, पैर की उंगलियों का रंग उतरना, ये दो से तीन लक्षण हमें मरीज़ों में अलग से दिखे हैं. इन्हीं लक्षणों पर हम सस्पेक्ट करते हैं की शायद मरीज़ को डेल्टा प्लस होगा. कोरोना का यह वैरिएंट ज़्यादा संक्रामक है और अगर डेल्टा और बीटा वैरिएंट से तुलना करें तो इस वैरिएंट में मरीज़ ज़्यादा गम्भीर हो सकता है.
बीकेसी जंबो फ़ैसिलिटी के डीन डॉ राजेश डेरे ने कहा, ''डेल्टा के लक्षणों पर हमारे डॉक्टर नज़र बनाए हुए हैं, अगर ऐसे लक्षण वाला मरीज़ दिखता है तो उनके सैम्पल NIV भेजेंगे और अगर स्ट्रेन डिटेक्ट हो जाता है, तो मरीज़ को आइसोलेट करके इलाज करेंगे.''
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मुंबई में 2835 ऐक्टिव कोविड मरीज
इधर मुंबई की आधी आबादी वाली झुग्गियों-बस्तियों में अब एक भी कंटेनमेंट ज़ोन नहीं है. मामले कम हो रहे हैं पर इलाज करवा रहे ऐक्टिव मरीज़ों में सिम्प्टमैटिक मरीज़ों की संख्या पहले की 15-20% से बढ़कर 50% पार चली गयी है. मुंबई शहर में फ़िलहाल 2835 ऐक्टिव कोविड मरीज़ हैं, इनमें 850 बिना लक्षण वाले, एसिम्प्टमैटिक मरीज़ हैं तो 1529 सिम्प्टमैटिक, यानी 54% लक्षण वाले मरीज़ हैं. पहले 70-75% एसिम्प्टमैटिक मरीज़ होते थे. गम्भीर मरीज़ों की संख्या शहर में 455 है.
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