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This Article is From Jul 30, 2015

व्यापमं : आदिवासी के फर्जी गोदनामे से बन गया डॉक्टर!

व्यापमं : आदिवासी के फर्जी गोदनामे से बन गया डॉक्टर!
ग्वालियर: मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े में एक रोचक और अनोखा मामला सामने आया है। पुलिस के अनुसार, ग्वालियर में एक व्यक्ति ने अपने बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए आदिवासी का फर्जी गोदनामा तैयार कर लिया। इस फर्जीवाड़े से सुनील शर्मा का न केवल पीएमटी में चयन हुआ, बल्कि अब वह शिवपुरी के सरकारी अस्पताल में लोगों का इलाज भी कर रहा है।

पुलिस के अनुसार, थाटीपुर इलाके में रहने सेवानिवृत्त सरनाम सिंह शर्मा ने 14 जून 1995 को अपने बेटे सुनील को पीएमटी के जरिए चिकित्सा महाविद्यालय में दाखिला दिलाने के लिए भिंड के गोहद निवासी बाबूलाल आदिवासी का फर्जी गोदनामा तैयार कर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया। इस प्रमाण पत्र के आधार पर सुनील का पीएमटी में अनुसूचित जनजाति वर्ग में चयन हो गया।

पुलिस ने बताया कि बाबूलाल आदिवासी मजदूर है। पिछले दिनों उसे पता चला कि उसका दत्तक पुत्र शिवपुरी में चिकित्सक है। यह सुनकर वह चकित रह गया, क्योंकि उसने किसी को गोद लिया ही नहीं था। बाबूलाल ने पुलिस को बताया कि सरनाम सिंह शर्मा उसके गांव में पटवारी था और उसका उनके घर आना-जाना था मगर उन्होंने कोई गोदनामा नहीं दिया है।

ग्वालियर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन ने बताया कि बाबूलाल की शिकायत पर थाटीपुर थाने की पुलिस ने शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि राज्य में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश से लेकर नौकरी में भर्ती की परीक्षाएं (पीएससी के पदों को छोड़कर) व्यापमं आयोजित करता है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए पद आरक्षित हैं। उसी का लाभ पाने के लिए सरनाम ने बेटे का फर्जी गोदनामा तैयार कर लिया और सफल भी रहा।

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