दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी अधिकारों की लड़ाई में अब नया मोड़ आ गया है। बीती रात उपराज्यपाल ने एक मेमो जारी कर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली सरकार के हाल में दिए गए आदेशों का पालन न करें, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इसमें कहा गया है, भारत सरकार ने दिल्ली में मौजूदा संवैधानिक स्थिति और दानिक्स (दिल्ली अंडमान-निकोबार द्वीप नागरिक सेवा) अफसरों के वेतनमान में बदलाव, कथित जांच आयोग के गठन आदि में संविधान और कानूनों के उल्लंघन पर संज्ञान लिया है। इन फैसलों को केंद्र द्वारा गैर कानूनी घोषित किया गया है।
मेमो में कहा गया है, अगर कोई अफसर ऐसा कुछ करता है तो उनके खिलाफ अवैध आदेशों के पालन के चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यही नहीं, अगर अफसरों के किसी कदम से सरकार को कोई नुकसान होता है, तो उसकी वित्तीय भरपाई भी उनसे ही की जाएगी।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने राजधानी में पिछले पांच सालों में डेंगू के सबसे बड़े कहर के बीच ऐसे आदेश की भर्त्सना की है। केजरीवाल ने कहा, मैं केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह करना चाहता हूं कि ऐसी स्थिति में जब दिल्ली डेंगू के प्रकोप से जूझ रही है, ऐसी चिट्ठी वाजिब नहीं है। अगर वे कुछ करना ही चाहते हैं तो उन्हें दिल्ली सरकार को डेंगू से लड़ने में मदद करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार ने कथित सीएनजी फिटनेस घोटाले में जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि इसमें उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से पूछताछ की जा सकती है, जिसके बाद उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लड़ाई और तेज हो गई थी।
उपराज्यपाल का कहना है कि केजरीवाल की जांच गैर-कानूनी है और इस घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा की जा रही है। केजरीवाल दिल्ली हाईकोर्ट में पहले ही यह कह चुके हैं कि एंटी करप्शन ब्यूरो को उन्हें रिपोर्ट करना चाहिए, न कि नजीब जंग को। केंद्र और उपराज्यपाल का कहना है कि केंद्रशासित क्षेत्र होने के कारण दिल्ली की शासन व्यवस्था के अहम मुद्दे केंद्र सरकार और इसके प्रतिनिधि यानी उपराज्यपाल के जिम्मे है, न कि राज्य सरकार के पास।
इसमें कहा गया है, भारत सरकार ने दिल्ली में मौजूदा संवैधानिक स्थिति और दानिक्स (दिल्ली अंडमान-निकोबार द्वीप नागरिक सेवा) अफसरों के वेतनमान में बदलाव, कथित जांच आयोग के गठन आदि में संविधान और कानूनों के उल्लंघन पर संज्ञान लिया है। इन फैसलों को केंद्र द्वारा गैर कानूनी घोषित किया गया है।
मेमो में कहा गया है, अगर कोई अफसर ऐसा कुछ करता है तो उनके खिलाफ अवैध आदेशों के पालन के चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यही नहीं, अगर अफसरों के किसी कदम से सरकार को कोई नुकसान होता है, तो उसकी वित्तीय भरपाई भी उनसे ही की जाएगी।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने राजधानी में पिछले पांच सालों में डेंगू के सबसे बड़े कहर के बीच ऐसे आदेश की भर्त्सना की है। केजरीवाल ने कहा, मैं केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह करना चाहता हूं कि ऐसी स्थिति में जब दिल्ली डेंगू के प्रकोप से जूझ रही है, ऐसी चिट्ठी वाजिब नहीं है। अगर वे कुछ करना ही चाहते हैं तो उन्हें दिल्ली सरकार को डेंगू से लड़ने में मदद करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार ने कथित सीएनजी फिटनेस घोटाले में जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि इसमें उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से पूछताछ की जा सकती है, जिसके बाद उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लड़ाई और तेज हो गई थी।
उपराज्यपाल का कहना है कि केजरीवाल की जांच गैर-कानूनी है और इस घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा की जा रही है। केजरीवाल दिल्ली हाईकोर्ट में पहले ही यह कह चुके हैं कि एंटी करप्शन ब्यूरो को उन्हें रिपोर्ट करना चाहिए, न कि नजीब जंग को। केंद्र और उपराज्यपाल का कहना है कि केंद्रशासित क्षेत्र होने के कारण दिल्ली की शासन व्यवस्था के अहम मुद्दे केंद्र सरकार और इसके प्रतिनिधि यानी उपराज्यपाल के जिम्मे है, न कि राज्य सरकार के पास।
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