रायसीना हिल पर 1931 में ब्रिटिश शिल्पकार हर्बर्ट बेकर ने नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को डिजाइन किया था.
नई दिल्ली:
नटवर सिंह(Natwar Singh)
बात यूपीए-1 सरकार के समय की है, जब मनमोहन सिंह की कैबिनेट में नटवर सिंह विदेश मंत्री थे. इराक में तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में ठेके दिलाने का घोटाला सामने आया. ठेके में कथित तौर पर लाभ देने के मामले में नटवर और उनके बेटे पर आरोप लगे.दरअसल सद्दाम हुसैन के कार्यकाल में इराक में तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में पॉल वोल्कर ने अपनी जांच रिपोर्ट में कांग्रेस नेता नटवर सिंह और उनके बेटे जगत सिंह पर फायदा उठानेकी बात कही थी. इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति आरएस पाठक की अध्यक्षता वाली समिति ने भी जांच में नटवर और उनके बेटे की भूमिका पाई थी, जिसके बाद दिसंबर 2005 में विदेश मंत्री का पद छोड़ना पड़ा.
शशि थरूर(Shashi Tharoor)
राजनयिक से नेता बने शशि थरूर सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाते रहे हैं. 2009 में तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के टिकट पर 53 साल की उम्र में थरूर लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे. पहली ही दफा मंत्री बने. 28 मई 2009 को मनमोहन सरकार में उन्होंने विदेश राज्यमंत्री की शपथ ली. मगर साउथ ब्लॉक का गलियारा शशि थरूर के लिए लकी साबित नहीं हुआ. उस वक्त आईपीएल अपने शबाब पर था, हर तरफ आईपीएल की धूम थी, देश के बड़े रसूखदारों में टीम खरीदने की होड़ मची थी. इस बीच आईपीएल के कमिश्नर ललित मोदी ने आरोप लगाया कि शशि थरूर ने कोच्चि टीम के लिए उन पर दबाव डाला. इस टीम से शशि थरूर की मरहूम पत्नी सुनंदा पुष्कर भी जुड़ीं थीं. आईपीएल फ्रेंचाइजी विवाद के चलते 19 अप्रैल 2010 को उन्हें विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि दो साल बाद ही उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में वापसी की. इससे पहले सितंबर 2009 में थरूर सरकारी घर में रहने की जगह फाइव स्टार होटल में रहने को लेकर विवादों में फंसे. उन्होंने कहा था कि हर दिन 40 हजार रुपये का किराया वह अपनी जेब से भर रहे हैं. विवाद के बाद उन्हें होटल छोड़ना पड़ा था. शशि थरूर को मनमोहन और सोनिया दोनों का करीबी माना जाता है. बानगी के तौर पर जब 2012 में संसद की स्थापना के 60 साल पूरे होने पर विशेष परिचर्चा का आयोजन हुआ था तो सोनिया गांधी, तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के अलावा शशि थरूर को ही लोकसभा संबोधित करने का मौका मिला था.
सलमान खुर्शीद(Salman khurshid)
कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद यूपीए-2 सरकार में जब कानून मंत्री थे, उस वक्त ऑपरेशन धृतराष्ट्र में फंस गए थे. मीडिया स्टिंग में उनकी पत्नी की ओर से चलाया जा रहा एनजीओ दिव्यांग उपकरण घोटाले में फंस गए. विवादों के बाद 28 अक्टूबर 2012 को सलमान खुर्शीद को कानून एवं न्याय की जगह विदेश मंत्री बनाया गया. इससे पहले मनमोहन सरकार में 29 मई 2009 को कारपोरेट अफेयर मिनिस्टर रहे, वहीं 12 जुलाई 2011 को कैबिनेट में फेरबदल होने पर कानून और न्याय मंत्री बने थे. वहीं वर्ष 2009 में सलमान इस्लामिक कल्चरल सेंटर के चुनाव के वक्त भी विवादों में फंसे थे.
सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj)
जून 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भगोड़े ललित मोदी की मदद के मामले में फंसीं. इस चर्चित मामले को उस वक्त 'ललितगेट' नाम मिला. आईपीएल में गबन और धोखाधड़ी के मामले में जांच के जद में आए ललित मोदी लंदन में फरार हो गए. जिसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि सुषमा स्वराज ने नियमों के विपरीत ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए ब्रिटेन के आव्रजन अफसरों पर दबाव डाला था. जिस पर बाद में सुषमा ने सफाई दी कि उन्होंने मानवीय आधार पर यह फैसला किया था. कहा गया था कि ललित मोदी की पत्नी उस वक्त बीमार थीं. सुषमा स्वराज हाल में लखनऊ की एक आवेदक के पासपोर्ट विवाद में फंसीं. जिस पर उन्हें पार्टी समर्थकों की ओर से ही ट्रोल किया गया था.
जनरल वीके सिंह(General Vijay Kumar Singh)
सेनाध्यक्ष के पद से रिटायर हुई वीके सिंह भी साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं.ये भी विवादों में फंसते रहे हैं. कभी अपने बयानों को लेकर कभी अन्य तरह के आरोपों को लेकर. मई 2014 में विदेश राज्यमंत्री बने.
एमजे अकबर(Mobashar Jawed M.J. Akbar)
अपने जमाने के दिग्गज पत्रकार और संपादक रहे एमजे अकबर कभी कांग्रेस के करीब थे और राजीव गांधी से मित्रती थी. शाहबानो पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटवाने में भी एमजे अकबर का नाम आता है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद एमजे अकबर बीजेपी से जुड़े और पांच जुलाई 2016 को कैबिनेट में शामिल हुए. संयोग देखिए कि एमजे अकबर भी विदेश मंत्रालय में गए और विवादों में फँस गए. इस वक्त कई महिला पत्रकारों ने #MeToo मुहिम के तहत उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जिस पर विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है. कहा जाता है कि विदेश मंत्रालय में मिडिल-ईस्ट ही नहीं बल्कि यूरोप के मामले भी अकबर ही देखते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पर कितना भरोसा करते हैं. विदेश मंत्रालय में यूरोप की डेस्क काफी अहम मानी जाती है. चूंकि मध्य-पूर्व के देशों से सर्वाधिक तेल की खरीद होती है, ऐसे मे मिडिल-ईस्ट देखने की भी जिम्मेदारी से एमजे अकबर की सरकार में अहमियत का पता चलता है.
वीडियो- #MeToo मुहिम में घिरे अकबर कब देंगे इस्तीफ़ा?
1931 में रायसीना हिल पर साउथ ब्लॉक को बसाने वाले ब्रिटिश शिल्पकार हर्बर्ट बेकर ने सोचा भी नहीं होगा कि इस ब्लॉक का एक गलियारा विवादित मंत्रियों का केंद्र बन जाएगा. यह गलियारा है विदेश मंत्रालय वाला. साउथ ब्लॉक में तीन अहम पते हैं. एक प्रधानमंत्री का दफ्तर पीएमओ, दूसरा रक्षा मंत्रालय और तीसरा विदेश मंत्रालय. मगर साउथ ब्लॉक के जिस गलियारे में विदेश मंत्रालय है, इसे अजब संयोग ही कहा जाएगा कि अक्सर जो भी मंत्री बनकर जाता है, वह कहीं न कहीं विवादों में फंस जाता है. कुछ नेता मंत्री बनने के बाद विवादों में फंसते हैं, कुछ उससे पहले ही. यह विषय अब मौजूं इसलिए है कि ताजा मामला एमजे अकबर का है. कभी पत्रकारिता के 'अकबर' कहे जाने वाले एमजे अकबर कई महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न में फंसे हैं. #MeToo मुहिम के तहत आधे दर्जन से अधिक महिला पत्रकारों ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. साउथ गलियारे में पिछले दो दशक के बीच विदेश मंत्री और राज्य मंत्री स्तर के दो नेताओं के इस्तीफे भी हो चुके हैं. जानिए, इस गलियारे में मंत्री की कुर्सी पाए कौन-कौन नेता फंसे विवादों में.
नटवर सिंह(Natwar Singh)
बात यूपीए-1 सरकार के समय की है, जब मनमोहन सिंह की कैबिनेट में नटवर सिंह विदेश मंत्री थे. इराक में तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में ठेके दिलाने का घोटाला सामने आया. ठेके में कथित तौर पर लाभ देने के मामले में नटवर और उनके बेटे पर आरोप लगे.दरअसल सद्दाम हुसैन के कार्यकाल में इराक में तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में पॉल वोल्कर ने अपनी जांच रिपोर्ट में कांग्रेस नेता नटवर सिंह और उनके बेटे जगत सिंह पर फायदा उठानेकी बात कही थी. इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति आरएस पाठक की अध्यक्षता वाली समिति ने भी जांच में नटवर और उनके बेटे की भूमिका पाई थी, जिसके बाद दिसंबर 2005 में विदेश मंत्री का पद छोड़ना पड़ा.
शशि थरूर(Shashi Tharoor)
राजनयिक से नेता बने शशि थरूर सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाते रहे हैं. 2009 में तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के टिकट पर 53 साल की उम्र में थरूर लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे. पहली ही दफा मंत्री बने. 28 मई 2009 को मनमोहन सरकार में उन्होंने विदेश राज्यमंत्री की शपथ ली. मगर साउथ ब्लॉक का गलियारा शशि थरूर के लिए लकी साबित नहीं हुआ. उस वक्त आईपीएल अपने शबाब पर था, हर तरफ आईपीएल की धूम थी, देश के बड़े रसूखदारों में टीम खरीदने की होड़ मची थी. इस बीच आईपीएल के कमिश्नर ललित मोदी ने आरोप लगाया कि शशि थरूर ने कोच्चि टीम के लिए उन पर दबाव डाला. इस टीम से शशि थरूर की मरहूम पत्नी सुनंदा पुष्कर भी जुड़ीं थीं. आईपीएल फ्रेंचाइजी विवाद के चलते 19 अप्रैल 2010 को उन्हें विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि दो साल बाद ही उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में वापसी की. इससे पहले सितंबर 2009 में थरूर सरकारी घर में रहने की जगह फाइव स्टार होटल में रहने को लेकर विवादों में फंसे. उन्होंने कहा था कि हर दिन 40 हजार रुपये का किराया वह अपनी जेब से भर रहे हैं. विवाद के बाद उन्हें होटल छोड़ना पड़ा था. शशि थरूर को मनमोहन और सोनिया दोनों का करीबी माना जाता है. बानगी के तौर पर जब 2012 में संसद की स्थापना के 60 साल पूरे होने पर विशेष परिचर्चा का आयोजन हुआ था तो सोनिया गांधी, तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के अलावा शशि थरूर को ही लोकसभा संबोधित करने का मौका मिला था.
सलमान खुर्शीद(Salman khurshid)
कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद यूपीए-2 सरकार में जब कानून मंत्री थे, उस वक्त ऑपरेशन धृतराष्ट्र में फंस गए थे. मीडिया स्टिंग में उनकी पत्नी की ओर से चलाया जा रहा एनजीओ दिव्यांग उपकरण घोटाले में फंस गए. विवादों के बाद 28 अक्टूबर 2012 को सलमान खुर्शीद को कानून एवं न्याय की जगह विदेश मंत्री बनाया गया. इससे पहले मनमोहन सरकार में 29 मई 2009 को कारपोरेट अफेयर मिनिस्टर रहे, वहीं 12 जुलाई 2011 को कैबिनेट में फेरबदल होने पर कानून और न्याय मंत्री बने थे. वहीं वर्ष 2009 में सलमान इस्लामिक कल्चरल सेंटर के चुनाव के वक्त भी विवादों में फंसे थे.
सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj)
जून 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भगोड़े ललित मोदी की मदद के मामले में फंसीं. इस चर्चित मामले को उस वक्त 'ललितगेट' नाम मिला. आईपीएल में गबन और धोखाधड़ी के मामले में जांच के जद में आए ललित मोदी लंदन में फरार हो गए. जिसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि सुषमा स्वराज ने नियमों के विपरीत ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए ब्रिटेन के आव्रजन अफसरों पर दबाव डाला था. जिस पर बाद में सुषमा ने सफाई दी कि उन्होंने मानवीय आधार पर यह फैसला किया था. कहा गया था कि ललित मोदी की पत्नी उस वक्त बीमार थीं. सुषमा स्वराज हाल में लखनऊ की एक आवेदक के पासपोर्ट विवाद में फंसीं. जिस पर उन्हें पार्टी समर्थकों की ओर से ही ट्रोल किया गया था.
जनरल वीके सिंह(General Vijay Kumar Singh)
सेनाध्यक्ष के पद से रिटायर हुई वीके सिंह भी साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं.ये भी विवादों में फंसते रहे हैं. कभी अपने बयानों को लेकर कभी अन्य तरह के आरोपों को लेकर. मई 2014 में विदेश राज्यमंत्री बने.
एमजे अकबर(Mobashar Jawed M.J. Akbar)
अपने जमाने के दिग्गज पत्रकार और संपादक रहे एमजे अकबर कभी कांग्रेस के करीब थे और राजीव गांधी से मित्रती थी. शाहबानो पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटवाने में भी एमजे अकबर का नाम आता है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद एमजे अकबर बीजेपी से जुड़े और पांच जुलाई 2016 को कैबिनेट में शामिल हुए. संयोग देखिए कि एमजे अकबर भी विदेश मंत्रालय में गए और विवादों में फँस गए. इस वक्त कई महिला पत्रकारों ने #MeToo मुहिम के तहत उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जिस पर विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है. कहा जाता है कि विदेश मंत्रालय में मिडिल-ईस्ट ही नहीं बल्कि यूरोप के मामले भी अकबर ही देखते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पर कितना भरोसा करते हैं. विदेश मंत्रालय में यूरोप की डेस्क काफी अहम मानी जाती है. चूंकि मध्य-पूर्व के देशों से सर्वाधिक तेल की खरीद होती है, ऐसे मे मिडिल-ईस्ट देखने की भी जिम्मेदारी से एमजे अकबर की सरकार में अहमियत का पता चलता है.
वीडियो- #MeToo मुहिम में घिरे अकबर कब देंगे इस्तीफ़ा?
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