अबु दुजाना (फाइल फोटो)
पुलवामा में एक अगस्त को जब लश्कर आतंकी अबु दुजाना को सेना ने घेर लिया तो उसको सरेंडर करने के लिए कहा गया था लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. उसके बाद एनकाउंटर में वह मारा गया. मुठभेड़ से चंद मिनट पहले फौज के एक मेजर ने फोन कॉल के जरिये दुजाना को सरेंडर करने के लिए कहा. फौजी अफसर से बातचीत में दुजाना ने माना कि वह पाकिस्तान का रहने वाला है लेकिन सरेंडर करने से इनकार कर दिया.
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उस फोन कॉल में फौज के मेजर और दुजाना के बीच जो बातचीत हुई उसका पूरा हिस्सा यहां पेश किया जा रहा है:
मेजर- हेलो...
दुजाना- क्या हाल है..हां..क्या हाल है
मेजर- अरे हमारे हाल छोड़ तू, तू सरेंडर क्यों नहीं करता
दुजाना- मैं क्यों करूंगा सरेंडर दोस्त, मैं निकला था शहीद होने के लिए, मुझे आज भी मरना है कल भी मरना है
मेजर- अरे ठीक है, निकले थे तो निकले थे, तेरे को तो पता है ना अभी क्या है, सब ख़राब है, ये गेम है सब
दुजाना- मैं क्या करूं, जिसको गेम खेलना है खेले, मुझे अपना रास्ता बनाने दो
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मेजर- यार सुन मेरी बात तूने शादी की है उससे यार, लड़की से
दुजाना- मैंने कोई शादी-वादी नहीं की है, सब झूठ है, सब प्रोपगैंडा है
मेजर- तेरे को जो करना है कर, तू अपनी सोच यार, तेरे मां-बाप हैं बाहर यार
दुजाना- मां-बाप उसी दिन मर गए जिस दिन उनको छोड़कर आया
मेजर- अरे यार उनके लिए तू थोड़े ही ना मरा है, तू नहीं मरा है उनके लिए, तू तैयार हो, मैं करवाऊंगा,
दुजाना- और सुनाओ क्या हाल है
मेजर- यार अभी ये कौन सा टाइम है हाल का, हमारा ठीक है यार
दुजाना- बहुत दिनों बाद, बहुत सालों बाद आपस में बात हो रही है, हम चोर-सिपाही खेल रहे थे उस दिन
मेजर- ये गेम अब ख़त्म ही कर दें, ये ऐसा कुछ नहीं है
दुजाना- कभी हम आगे, आप पीछे, कभी आप आगे, हम पीछे, आखिर पकड़ ही लिया, मुबारक हो आपको
मेजर- ऐसा कुछ नहीं है, देख तेरा अपना काम था तू अपने फ़र्ज़ पर निकला था, हम अपने फ़र्ज़ पर निकले हैं
दुजाना- मैं आपकी शादी में आऊंगा
मेजर- छोड़ दे, मान ले यार, मान ले
दुजाना- नहीं यार
मेजर- देख ये लोग भी मारे जाएंगे, इनको छोड़ेंगे नहीं
दुजाना- जिसको जो करना है करे
मेजर- देख मान ले बात यार, यहां पर कोई खूनी नहीं है. कोई नहीं चाहता है किसी को मारें किसी को ख़त्म करें
दुजाना- ठीक है, जिसने आपको इंफोर्मेशन दी है वो तो चाहता होगा ना हम मर जाएं
मेजर- हमें कोई ख़बर नहीं, मैं तो हूं ही नहीं, तेरे को पता है, तूने मेरे को देखा है कभी, मेरे को, मेरे को..हेलो..हेलो..हेलो
दुजाना- मैं सुन रहा हूं तुम बोलो
मेजर- मैंने कहा मुझे देखा है कभी
दुजाना- बहुत दफे देखा है
मेजर- कहां पर देखा है मुझे
दुजाना- यार बहुत दफ़ा देखा है
मेजर- कहां पर यार
दुजाना- आपको बहुत दफ़े देखा है, इधर-उधर घूमते हो
मेजर- देख यार ऐसा कुछ नहीं है हमारे लिए तेरे लिए कोई दुश्मनी नहीं है, तू कर सरेंडर
दुजाना- सरेंडर मैं नहीं कर सकता हूं, मेरी बात सुनो आपसे कोई दुश्मनी नहीं है, आप अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं, मैं अपना फ़र्ज़ निभाऊंगा, सर आप ड्यूटी पर हो अपने, जो मेरी किस्मत में लिखा होगा अल्लाह वही करेगा
मेजर- देख अल्लाह तो साथ देगा ही यार, जो भी है, वो थोड़े ही ना बुरा चाहता है किसी का भी वो हमारे लिए भी एक ही है
दुजाना- वाकई वो आपके लिए और हमारे लिए भी एक ही है. बिल्कुल, हालात सुनाओ. बाहर क्या हालात है, बाहर बैठकर क्यों बात करते हो, अंदर आ जाओ ना.
मेजर- मैं बाहर नहीं हूं यार, मैं बाहर नहीं हूं, मैं बाहर नहीं हूं, मैं नहीं हूं बाहर, अगर मैं बाहर होता तो तुझे मेरे आवाज़ से ही पता चल जाता, मैं यहां नहीं हूं.
दुजाना- आप कहां पर हो सर
मेजर- मैं हूं ही नहीं यहां पर यार, मैं दूर हूं यहां से. मैं अवंतीपोरा में कहीं बैठा हूं.
दुजाना- अच्छा ठीक है
मेजर- मैं नहीं हूं यहां पर, मेरा एरिया था मैं वहां बहुत घूमा हूं यार, मैंने चप्पे-चप्पे देखे हैं वहां पर, बहुत भागा तेरे पीछे भी पर कोई बात नहीं.
दुजाना- आज पकड़ लो कोई बात नहीं
मेजर- देख नफ़रत से हम भई कभी भागे नहीं पीछे, हमारा फ़र्ज़ था हमने किया काम
दुजाना- आप ड्यूटी निभाना नहीं चाहते
मेजर- तेरे को सब पता है यहां पर क्या गेम है, सब जान चुका है
दुजाना- मुझे सब पता है, ए टू ज़ेड पता है, कौन क्या गेम है, क्या है, सिस्टम क्या है सब कुछ मुझे पता है
मेजर- तो तुझे भी तो पता है ये जिहाद नहीं है, तुम लोग निकले जिहाद के लिए, लेकिन ये जिहाद नहीं ना है यार
दुजाना- सुनो यार, क्या करेंगे
मेजर- तुम निकलो यार, तुम्हीं तो लोगों को समझाओगे तभी तो खून-खराबा कम होगा, तुम लोग नहीं बताओगे तो कौन मानेगा यहां पर
दुजाना- मैं नहीं कह सकता गेम ही है या क्या है, जो लोग जानते हैं उनको पता ही है
मेजर- मुझे मालूम है यार, मुझे मालूम है, मुझे अच्छे से पता है, पर जब तू खड़ा होगा...तू बताएगा यार तू मेन कमांडर है, बाहर बताएगा यार तो चीज़ें सामने होंगी लोगों के, यहां कश्मीरी मरते रहेंगे यार.
दुजाना- अच्छा ठीक है
मेजर- देख यार देख तू कुछ कर, बोल, बना अपना माइंड.
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इसके साथ ही अफसर ने दुजाना को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियां नौजवानों का इस्तेमाल करके कश्मीर का माहौल खराब करना चाहती हैं. इस पर दुजाना ने कहा, ''हम निकले थे शहीद होने. मैं क्या करूं. जिसको गेम खेलना है खेलो. कभी हम आगे, कभी आप, आज आपने पकड़ लिया, मुबारक हो आपको. जिसको जो करना है कर लो.''
VIDEO: पाकिस्तानी नागरिक था दुजाना
उसके बाद अफसर ने अंतिम रूप से जब उसको सरेंडर करने को कहा तो दुजाना ने कहा, ''सरेंडर नहीं कर सकता. जो मेरी किस्मत में लिखा होगा, अल्लाह वही करेगा, ठीक है?'' हालांकि बातचीत की कड़ी में अबु दुजाना ने ये माना कि उसके माता-पिता गिलगिट-बाल्टीस्तान में रहते हैं जो पाकिस्तान के खैबरपख्तूनख्वा प्रांत में स्थित है.
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उस फोन कॉल में फौज के मेजर और दुजाना के बीच जो बातचीत हुई उसका पूरा हिस्सा यहां पेश किया जा रहा है:
मेजर- हेलो...
दुजाना- क्या हाल है..हां..क्या हाल है
मेजर- अरे हमारे हाल छोड़ तू, तू सरेंडर क्यों नहीं करता
दुजाना- मैं क्यों करूंगा सरेंडर दोस्त, मैं निकला था शहीद होने के लिए, मुझे आज भी मरना है कल भी मरना है
मेजर- अरे ठीक है, निकले थे तो निकले थे, तेरे को तो पता है ना अभी क्या है, सब ख़राब है, ये गेम है सब
दुजाना- मैं क्या करूं, जिसको गेम खेलना है खेले, मुझे अपना रास्ता बनाने दो
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मेजर- यार सुन मेरी बात तूने शादी की है उससे यार, लड़की से
दुजाना- मैंने कोई शादी-वादी नहीं की है, सब झूठ है, सब प्रोपगैंडा है
मेजर- तेरे को जो करना है कर, तू अपनी सोच यार, तेरे मां-बाप हैं बाहर यार
दुजाना- मां-बाप उसी दिन मर गए जिस दिन उनको छोड़कर आया
मेजर- अरे यार उनके लिए तू थोड़े ही ना मरा है, तू नहीं मरा है उनके लिए, तू तैयार हो, मैं करवाऊंगा,
दुजाना- और सुनाओ क्या हाल है
मेजर- यार अभी ये कौन सा टाइम है हाल का, हमारा ठीक है यार
दुजाना- बहुत दिनों बाद, बहुत सालों बाद आपस में बात हो रही है, हम चोर-सिपाही खेल रहे थे उस दिन
मेजर- ये गेम अब ख़त्म ही कर दें, ये ऐसा कुछ नहीं है
दुजाना- कभी हम आगे, आप पीछे, कभी आप आगे, हम पीछे, आखिर पकड़ ही लिया, मुबारक हो आपको
मेजर- ऐसा कुछ नहीं है, देख तेरा अपना काम था तू अपने फ़र्ज़ पर निकला था, हम अपने फ़र्ज़ पर निकले हैं
दुजाना- मैं आपकी शादी में आऊंगा
मेजर- छोड़ दे, मान ले यार, मान ले
दुजाना- नहीं यार
मेजर- देख ये लोग भी मारे जाएंगे, इनको छोड़ेंगे नहीं
दुजाना- जिसको जो करना है करे
मेजर- देख मान ले बात यार, यहां पर कोई खूनी नहीं है. कोई नहीं चाहता है किसी को मारें किसी को ख़त्म करें
दुजाना- ठीक है, जिसने आपको इंफोर्मेशन दी है वो तो चाहता होगा ना हम मर जाएं
मेजर- हमें कोई ख़बर नहीं, मैं तो हूं ही नहीं, तेरे को पता है, तूने मेरे को देखा है कभी, मेरे को, मेरे को..हेलो..हेलो..हेलो
दुजाना- मैं सुन रहा हूं तुम बोलो
मेजर- मैंने कहा मुझे देखा है कभी
दुजाना- बहुत दफे देखा है
मेजर- कहां पर देखा है मुझे
दुजाना- यार बहुत दफ़ा देखा है
मेजर- कहां पर यार
दुजाना- आपको बहुत दफ़े देखा है, इधर-उधर घूमते हो
मेजर- देख यार ऐसा कुछ नहीं है हमारे लिए तेरे लिए कोई दुश्मनी नहीं है, तू कर सरेंडर
दुजाना- सरेंडर मैं नहीं कर सकता हूं, मेरी बात सुनो आपसे कोई दुश्मनी नहीं है, आप अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं, मैं अपना फ़र्ज़ निभाऊंगा, सर आप ड्यूटी पर हो अपने, जो मेरी किस्मत में लिखा होगा अल्लाह वही करेगा
मेजर- देख अल्लाह तो साथ देगा ही यार, जो भी है, वो थोड़े ही ना बुरा चाहता है किसी का भी वो हमारे लिए भी एक ही है
दुजाना- वाकई वो आपके लिए और हमारे लिए भी एक ही है. बिल्कुल, हालात सुनाओ. बाहर क्या हालात है, बाहर बैठकर क्यों बात करते हो, अंदर आ जाओ ना.
मेजर- मैं बाहर नहीं हूं यार, मैं बाहर नहीं हूं, मैं बाहर नहीं हूं, मैं नहीं हूं बाहर, अगर मैं बाहर होता तो तुझे मेरे आवाज़ से ही पता चल जाता, मैं यहां नहीं हूं.
दुजाना- आप कहां पर हो सर
मेजर- मैं हूं ही नहीं यहां पर यार, मैं दूर हूं यहां से. मैं अवंतीपोरा में कहीं बैठा हूं.
दुजाना- अच्छा ठीक है
मेजर- मैं नहीं हूं यहां पर, मेरा एरिया था मैं वहां बहुत घूमा हूं यार, मैंने चप्पे-चप्पे देखे हैं वहां पर, बहुत भागा तेरे पीछे भी पर कोई बात नहीं.
दुजाना- आज पकड़ लो कोई बात नहीं
मेजर- देख नफ़रत से हम भई कभी भागे नहीं पीछे, हमारा फ़र्ज़ था हमने किया काम
दुजाना- आप ड्यूटी निभाना नहीं चाहते
मेजर- तेरे को सब पता है यहां पर क्या गेम है, सब जान चुका है
दुजाना- मुझे सब पता है, ए टू ज़ेड पता है, कौन क्या गेम है, क्या है, सिस्टम क्या है सब कुछ मुझे पता है
मेजर- तो तुझे भी तो पता है ये जिहाद नहीं है, तुम लोग निकले जिहाद के लिए, लेकिन ये जिहाद नहीं ना है यार
दुजाना- सुनो यार, क्या करेंगे
मेजर- तुम निकलो यार, तुम्हीं तो लोगों को समझाओगे तभी तो खून-खराबा कम होगा, तुम लोग नहीं बताओगे तो कौन मानेगा यहां पर
दुजाना- मैं नहीं कह सकता गेम ही है या क्या है, जो लोग जानते हैं उनको पता ही है
मेजर- मुझे मालूम है यार, मुझे मालूम है, मुझे अच्छे से पता है, पर जब तू खड़ा होगा...तू बताएगा यार तू मेन कमांडर है, बाहर बताएगा यार तो चीज़ें सामने होंगी लोगों के, यहां कश्मीरी मरते रहेंगे यार.
दुजाना- अच्छा ठीक है
मेजर- देख यार देख तू कुछ कर, बोल, बना अपना माइंड.
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इसके साथ ही अफसर ने दुजाना को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियां नौजवानों का इस्तेमाल करके कश्मीर का माहौल खराब करना चाहती हैं. इस पर दुजाना ने कहा, ''हम निकले थे शहीद होने. मैं क्या करूं. जिसको गेम खेलना है खेलो. कभी हम आगे, कभी आप, आज आपने पकड़ लिया, मुबारक हो आपको. जिसको जो करना है कर लो.''
VIDEO: पाकिस्तानी नागरिक था दुजाना
उसके बाद अफसर ने अंतिम रूप से जब उसको सरेंडर करने को कहा तो दुजाना ने कहा, ''सरेंडर नहीं कर सकता. जो मेरी किस्मत में लिखा होगा, अल्लाह वही करेगा, ठीक है?'' हालांकि बातचीत की कड़ी में अबु दुजाना ने ये माना कि उसके माता-पिता गिलगिट-बाल्टीस्तान में रहते हैं जो पाकिस्तान के खैबरपख्तूनख्वा प्रांत में स्थित है.
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