फाइल फोटो
नई दिल्ली:
आज देश के हर भूमिहीन को कम से कम 10 डेसीमल ज़मीन का कानूनी हक़ दिलाने के लिए दिल्ली में 5000 भूमिहीन लोग जमा हुए हैं।
"आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन की मांग को लेकर सोमवार और मंगलवार को ये भूमिहीन लोग जंतर मंतर पर 1.00 बजे पब्लिक मीटिंग करेंगे। भारत की जनगणना (2011) के अनुसार भूमिहीनों की संख्या लगभग 10.69 करोड़ परिवार हैं जिनका अधिकार, पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं है।
कई पार्टियों के सांसद और नेता इस मीटिंग को सम्बोधित करेंगे। रविवार को इन लोगों की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से भी मुलाकात हुई थी। वर्ष 2012 में एकता परिषद और 2000 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आंदोलन "जन सत्याग्रह" के पश्चात् भारत सरकार के साथ एक समझौता हुआ था।
इस समझौते के प्रमुख मुद्दे के अनुसार "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून" के माध्यम से करोड़ों आवासहीन परिवारों को आवासीय भूमि के अधिकार सुनिश्चित करने का लिखित वादा किया गया था। इस कानून के माध्यम से भारत के अधिकतर बेघरों को भूमि अधिकार मिलना था।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जुलाई 2013 में "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार बिल 2013" स्वीकृत किया गया किन्तु संसद में प्रस्तुत नहीं किया गया। फ़रवरी 2015 में वर्तमान सरकार के समक्ष 8000 से अधिक बेघरों नें संसद मार्ग पर धरना दिया तब भारत सरकार द्वारा पुनः "आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन का वादा किया गया था।
"आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन की मांग को लेकर सोमवार और मंगलवार को ये भूमिहीन लोग जंतर मंतर पर 1.00 बजे पब्लिक मीटिंग करेंगे। भारत की जनगणना (2011) के अनुसार भूमिहीनों की संख्या लगभग 10.69 करोड़ परिवार हैं जिनका अधिकार, पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं है।
कई पार्टियों के सांसद और नेता इस मीटिंग को सम्बोधित करेंगे। रविवार को इन लोगों की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से भी मुलाकात हुई थी। वर्ष 2012 में एकता परिषद और 2000 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आंदोलन "जन सत्याग्रह" के पश्चात् भारत सरकार के साथ एक समझौता हुआ था।
इस समझौते के प्रमुख मुद्दे के अनुसार "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून" के माध्यम से करोड़ों आवासहीन परिवारों को आवासीय भूमि के अधिकार सुनिश्चित करने का लिखित वादा किया गया था। इस कानून के माध्यम से भारत के अधिकतर बेघरों को भूमि अधिकार मिलना था।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जुलाई 2013 में "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार बिल 2013" स्वीकृत किया गया किन्तु संसद में प्रस्तुत नहीं किया गया। फ़रवरी 2015 में वर्तमान सरकार के समक्ष 8000 से अधिक बेघरों नें संसद मार्ग पर धरना दिया तब भारत सरकार द्वारा पुनः "आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन का वादा किया गया था।
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