नई दिल्ली:
भारत सरकार द्वारा वांछित लोगों की सूची में शामिल यासीन भटकल को साल 2008 में कोलकाता के स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया था। तब उसकी वास्तविक पहचान नहीं हो पाई थी और कुछ महीने बाद उसे रिहा कर दिया गया था।
उसने अपने भाई रियाज भटकल के साथ मिलकर इंडियन मुजाहिदीन बनाया। इसमें लश्कर-ए-तैयबा ने उसकी मदद की। बाद के सालों में हुई विस्फोटों की कई घटनाओं में इस संगठन की भूमिका रही है।
साल 2008 में उसे नकली नोटों के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था तब उसने अपनी पहचान के लिए वोटर कार्ड पेश किया था जिसमें उसे बिहार का निवासी बताया गया था। कोलकाता पुलिस ने इसकी पुष्टि बिहार प्रशासन से की तो इसे सही पाया गया। माना जा रहा है कि उसने किसी और को वोटर कार्ड इस्तेमाल कर अपनी रिहाई करा ली।
इधर सूत्रों के जरिए आ रही जानकारी के मुताबिक, गत वर्ष हुए पुणे विस्फोट में शामिल रहने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए कथित इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादियों में से दो ने हैदराबाद के दिलसुखनगर की ‘रेकी’ की थी जहां बृहस्पतिवार को बम विस्फोट हुए थे।
दिलसुखनगर नगर में हुए दो बम विस्फोटों में कम से कम 16 व्यक्ति मारे गए थे और 117 अन्य घायल हो गए थे।
महाराष्ट्र के नांदेड जिला निवासियों सैयद मकबूल और इमरान खान ने गत वर्ष अक्टूबर में अपनी गिरफ्तारियों के बाद पूछताछ में पुलिस को बताया कि उन्होंने जुलाई 2012 में आंध्र प्रदेश के दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल पर रेकी की थी।
मकबूल को वास्तव में हैदराबाद से 23 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था जहां वह गिरफ्तारी से बचने के लिए छुपा हुआ था।
दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि वह उन अन्य आरोपियों के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा हुआ था जिन्हें कथित रूप से म्यामां में मुस्लिमों पर की गई कथित ज्यादतियों का बदला लेने के लिए बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्मस्थलों पर फिदायीन हमले की कथित योजना बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों ने कहा, ‘वर्ष 2012 में रमजान के एक महीने पहले मकबूल ने इमरान की हैदरबाद स्थित दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल से रेकी करने में मदद की थी। ऐसा रियाज भटकल के निर्देश पर किया गया था।’
उसने अपने भाई रियाज भटकल के साथ मिलकर इंडियन मुजाहिदीन बनाया। इसमें लश्कर-ए-तैयबा ने उसकी मदद की। बाद के सालों में हुई विस्फोटों की कई घटनाओं में इस संगठन की भूमिका रही है।
साल 2008 में उसे नकली नोटों के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था तब उसने अपनी पहचान के लिए वोटर कार्ड पेश किया था जिसमें उसे बिहार का निवासी बताया गया था। कोलकाता पुलिस ने इसकी पुष्टि बिहार प्रशासन से की तो इसे सही पाया गया। माना जा रहा है कि उसने किसी और को वोटर कार्ड इस्तेमाल कर अपनी रिहाई करा ली।
इधर सूत्रों के जरिए आ रही जानकारी के मुताबिक, गत वर्ष हुए पुणे विस्फोट में शामिल रहने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए कथित इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादियों में से दो ने हैदराबाद के दिलसुखनगर की ‘रेकी’ की थी जहां बृहस्पतिवार को बम विस्फोट हुए थे।
दिलसुखनगर नगर में हुए दो बम विस्फोटों में कम से कम 16 व्यक्ति मारे गए थे और 117 अन्य घायल हो गए थे।
महाराष्ट्र के नांदेड जिला निवासियों सैयद मकबूल और इमरान खान ने गत वर्ष अक्टूबर में अपनी गिरफ्तारियों के बाद पूछताछ में पुलिस को बताया कि उन्होंने जुलाई 2012 में आंध्र प्रदेश के दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल पर रेकी की थी।
मकबूल को वास्तव में हैदराबाद से 23 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था जहां वह गिरफ्तारी से बचने के लिए छुपा हुआ था।
दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि वह उन अन्य आरोपियों के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा हुआ था जिन्हें कथित रूप से म्यामां में मुस्लिमों पर की गई कथित ज्यादतियों का बदला लेने के लिए बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्मस्थलों पर फिदायीन हमले की कथित योजना बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों ने कहा, ‘वर्ष 2012 में रमजान के एक महीने पहले मकबूल ने इमरान की हैदरबाद स्थित दिलसुखनगर, बेगम बाजार और एबिड्स की मोटरसाइकिल से रेकी करने में मदद की थी। ऐसा रियाज भटकल के निर्देश पर किया गया था।’
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