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This Article is From Jan 14, 2021

कृषि कानूनों पर तय कार्यक्रम के तहत सरकार से चर्चा करेंगे लेकिन समिति के समक्ष नहीं जाएंगे: दर्शन पाल

किसान आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति क्‍या होगी, डॉ. दर्शनपाल ने कहा किठंड तो हम झेल ही चुके हैं. 26 जनवरी के बाद यहां और लोग आएंगे. हम आगे हर राज्य में जाकर और लोगों को जोड़ेंगे.हमें कोई जल्दी नहीं है. उन्‍होंने जोर देकर कहा कि हम तीनों क़ानूनों को रद्द करा कर ही जाएंगे.

कृषि कानूनों पर तय कार्यक्रम के तहत सरकार से चर्चा करेंगे लेकिन समिति के समक्ष नहीं जाएंगे: दर्शन पाल
कृषि कानूनों को निरस्‍त करने की मांग को लेकर किसान करीब 50 दिन से आंदोलनरत हैं (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
किसान नेता ने कहा, समिति के लोग कानूनों के समर्थन में हैं
किसी भी हाल में SC की गठित समिति के समक्ष नहीं जाएंगे
कहा, 26 जनवरी का ट्रैक्‍टर मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा
नई दिल्‍ली:

Kisan Aandolan: कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच आठवें राउंड की बातचीत 15 जनवरी को होगी है. हालांकि इस बातचीत से पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court )ने मामले में दखल देते हुए कृषि कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया है.कल सरकार से होने वाली बातचीत को लेकर किसान नेता डॉ. दर्शन पाल (Darshan Pal) ने कहा कि हम कल सरकार के साथ बातचीत के लिए जाएंगे. उन्‍होंने कहा कि पिछली मीटिंग में ही कल की तारीख़ तय हुई थी लेकिन सरकार हमें अगर समिति के सामने जाने के लिए कहेगी तो हम नहीं जाएंगेडॉ. दर्शन पाल ने कहा कि समिति के लोग तो क़ानूनों के समर्थन में हैं, ऐसे में हम किसी भी हालत में समिति के समक्ष नहीं जाएंगे.

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.26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के बारे में उन्‍होंने कहा कि हम कह चुके हैं हमारा ट्रैक्टर मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा. हम लाल किले या राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च नहीं करेंगे. जो लोग कह रहे हैं कि लाल किले पर जाएंगे, वे आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं. हम दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च ज़रूर करेंगे. उन्‍होंने कहा कि ट्रैक्टर मार्च का पूरा रूट हम तय करके बताएंगे.

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किसान आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति क्‍या होगी, डॉ. दर्शनपाल ने कहा किठंड तो हम झेल ही चुके हैं. 26 जनवरी के बाद यहां और लोग आएंगे. हम आगे हर राज्य में जाकर और लोगों को जोड़ेंगे.हमें कोई जल्दी नहीं है. उन्‍होंने जोर देकर कहा कि हम तीनों क़ानूनों को रद्द करा कर ही जाएंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन (Kisan Aandolan) से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और किसानों की शंका और शिकायतों को सुनने के लिए समिति गठित की है. 

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