उत्तर पूर्व मुंबई से सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता किरीट सौमय्या पर पुलिस स्टेशन से आरोपी को ले जाने का और ड्यूटी पर तैनात पुलिस इंस्पेक्टर पर हाथ उठाने का आरोप लगा है।
नवघर पुलिस स्टेशन की स्टेशन डायरी में सौमय्या के खिलाफ आरोप दर्ज है। इस डायरी के मुताबिक, 'जब मैं उसको (आरोपी-परिक्षित भुमे) को बुला कर पूछताछ कर रहा था, तब बीजेपी सांसद किरीट सौमय्या पुलिस थाने के डिटेक्शन रूम में 5-6 कार्यकर्ताओं के साथ घुस गए, दाएं हाथ में जोर से मारा और चिल्लाकर बोले कि मेरे कार्यकर्ता को मुझसे पूछे बिना क्यों बुलाया... उसे मेरे हवाले करो, और उसे लेकर कमरे से बाहर निकल गए। बाद में वह वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक के केबिन में गए और उनसे बात कर भुमे को लेकर निकल गए। पुलिस स्टेशन में आने से पहले उन्होंने भुमे के मोबाइल पर फोन करके भी मुझे धमकी दी। आने के बाद ये भी कहा कि तुम्हें देख लूंगा।'
इस मसले पर हमने किरीट सौमय्या का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन लगाया, तो वह बजाए इस मामले में अपनी बात रखने के अपने रुतबे का धौंस दिखाने लगे और कहने लगे कि मैं सांसद हूं... मैं जवाब देने के लिए यहां नहीं बैठा।
शायद इस रौब में घिरे, इंस्पेक्टर संपत मुंडे ने भी एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।
सौमय्या अपने जिस कार्यकर्ता की वकालत करने पहुंचे थे, उस पर बॉम्बे पुलिस एक्ट की धारा 37(3) और 135 के तहत मामला दर्ज हुआ था। चूंकि मामला जमानती है इसलिए उसे पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था, लेकिन शायद सत्ता के नशे में सांसद साहब को सब्र नहीं था। इसलिए वर्दी पहने पुलिसवाले ने उन पर हाथापाई का आरोप लगाया। स्टेशन डायरी में सारी घटना का जिक्र भी है, लेकिन खादी के खौफ से डरे खाकी वालों में इतनी भी हिम्मत नहीं कि वह मामला दर्ज कर जांच शुरू कर सकें। वहीं आला अधिकारी इस पूरे मामले को सिर्फ गलतफहमी बताकर मामला रफा दफा करने में जुटे हैं।
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