देहरादून:
भारी बारिश से तबाह हो चुके उत्तराखंड में व्यापक बचाव अभियान शुरू किया गया है और केदारनाथ तथा बद्रीनाथ से करीब नौ हजार लोगों को निकालने के लिए 40 हेलीकॉप्टर सेवा में लगाए गए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि आज का राहत और बचाव अभियान मुख्य रूप से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बाद अभियान बद्रीनाथ की ओर केंद्रित होगा, जहां नौ हजार लोग फंसे हुए हैं।
इसे 'सहस्राब्दी की सबसे भीषण त्रासदी' करार देते हुए उत्तराखंड के कृषिमंत्री हरक सिंह रावत ने कहा, सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में पूरे आधारभूत ढांचे को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा है कि उससे उबरने में हमें कम से कम पांच साल लगेंगे। केदारनाथ इलाके की यात्रा करने वाले रावत ने कहा कि वह वहां पर पांच घंटे रहे और इमारतों और मंदिर के आसपास के इलाके में हुए व्यापक नुकसान को देखकर स्तब्ध हैं।
रावत ने कहा, आस्था का केंद्र कब्रिस्तान में बदल गया है। इलाके में शव इधर-उधर पड़े हुए हैं। केवल गर्भगृह ही बचा है। कहा जा रहा है कि हजारों लोग अब भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं, जो ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इससे कई लोगों के घर तबाह हो गए और हजारों लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि मरने वालों की संख्या सैकड़ों हो सकती है और यह तभी पता चल सकेगा जब इलाके में लोग जा सकेंगे और पानी का स्तर घटेगा।
अधिकारियों ने कहा कि आज का राहत और बचाव अभियान मुख्य रूप से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बाद अभियान बद्रीनाथ की ओर केंद्रित होगा, जहां नौ हजार लोग फंसे हुए हैं।
इसे 'सहस्राब्दी की सबसे भीषण त्रासदी' करार देते हुए उत्तराखंड के कृषिमंत्री हरक सिंह रावत ने कहा, सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में पूरे आधारभूत ढांचे को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा है कि उससे उबरने में हमें कम से कम पांच साल लगेंगे। केदारनाथ इलाके की यात्रा करने वाले रावत ने कहा कि वह वहां पर पांच घंटे रहे और इमारतों और मंदिर के आसपास के इलाके में हुए व्यापक नुकसान को देखकर स्तब्ध हैं।
रावत ने कहा, आस्था का केंद्र कब्रिस्तान में बदल गया है। इलाके में शव इधर-उधर पड़े हुए हैं। केवल गर्भगृह ही बचा है। कहा जा रहा है कि हजारों लोग अब भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं, जो ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इससे कई लोगों के घर तबाह हो गए और हजारों लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि मरने वालों की संख्या सैकड़ों हो सकती है और यह तभी पता चल सकेगा जब इलाके में लोग जा सकेंगे और पानी का स्तर घटेगा।
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